गांव के लड़के ने बिना फंडिंग के बना डाली ₹100000 करोड़ की कंपनी, ऐसा होने पर अंबानी-अदाणी भी हो सकते हैं पीछे
Sridhar Vembu Success Story जोहो के फाउंडर श्रीधर वेम्बू इस समय सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। उनकी कंपनी जोहो की खूब चर्चा हो रही है। इस चर्चे के पीछे की 31 साल की मेहनत भी है। अमेरिका में नौकरी करने वाले श्रीधर अचानक अपने गांव लौट आते हैं और शुरू करते जोहो को खड़ा करने का काम।

नई दिल्ली। Sridhar Vembu Success Story: अगर आप न्यूज पढ़ते, सुनते या देखते हैं तो एक आपने जोहो का नाम जरूर सुना होगा। ये कंपनी है। इसे एक भारतीय ने ही बनाई है। आज ये कंपनी कई देशों में व्यापार करती है। लेकिन अचानक भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की वजह से चर्चा में आ गई। दरअसल, उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक प्रेजेंटेशन दी थी और उसको उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के पावर प्वाइंट पर नहीं बनाया था न ही गूगल पर। बल्की अपने प्रेजेंटेशन को उन्होंने जोहो के Zoho Show पर बनाया था। इसकी चर्चा उन्होंने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी की, जिसका वीडियो वायरल हुआ और जोहो को लाखों से करोड़ों भारतीय जानने लगे। शायद ही इससे पहले आपने इसका नाम सुना हो लेकिन अब ये नाम हर एक भारतीय की जुबा पर है। अगर यह कंपनी एक कदम उठा ले तो यह अदाणी ग्रुप और अंबानी की रिलायंस ग्रुप को टक्कर दे सकती है।
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Zoho कंपनी को जिन्होंने बनाया है उनका नाम श्रीधर वेम्बू (Sridhar Vembu) है। उनकी उम्र 57 वर्ष है। लेकिन उन्होंने इस कंपनी को 28 साल की उम्र में बनाई थी। आज इस कंपनी की वैल्यूएशन 12.4 बिलियन बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी भारतीय रुपये में यह 1.03 लाख करोड़ रुपये है। खास बात यह है कि अभी यह कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट नहीं है। और उससे भी बड़ी बात यह है कि इस कंपनी को बनाने में श्रीधर वैम्बू ने किसी से भी एक रुपये की फंडिंग नहीं ली है। यानी उनकी कंपनी जोहो बूटस्ट्रैप है। बूटस्ट्रैप का अर्थ है ऐसी कंपनी जिसे किसी ने अपनी सेविंग और पर्सनल रिसोर्स लगाकर बनाई हो किसी भी बाहरी निवेशक से कोई पैसा न लिया हो।
इतनी कहानी तो आपने जान ली लेकिन। जोहो करती क्या है इसकी शुरुआत कैसे हुई और कैसे अंबानी और अदाणी की कंपनी से जोहो आगे निकल सकती है। इन सबके बारे में भी जानना बहुत जरूरी है। आइए पहले जोहो के फाउंडर श्रीधर वेम्बू के बारे में जानते हैं।
IIT मद्रास से बीटेक और अमेरिका से श्रीधर ने की पीएचडी
तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे श्रीधर वैम्बू ने आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और अमेरिका की प्रिंसटन विश्वविद्यालय से पीएचडी की है। 1994 में उन्होंने क्वालकॉम में सिस्टम इंजीनियर के रूप में नौकरी करना शुरू किया। लेकिन एक दो साल नौकरी करने के बाद उन्होंने अचानक वापस अपने देश यानी भारत लौटने का फैसला किया। वो भारत लौटकर आए लेकिन दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद नहीं गए। बल्कि वह अपने होमटाउन यानी तमिलनाडु आ पहुंचे। और फिर यहीं से शुरू हुई एक नई कहानी। इस कहानी में उनके साथ उनके परिवार के अन्य कई किरदार भी शामिल हुए।
1996 में शुरू किया खुद का बिजनेस
श्रीधर वैम्बू ने अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ मिलकर एडवेंटनेट नाम की एक कंपनी शुरू की। इसका काम इंडियन सॉफ्टवेयर बनाना था। आगे चलकर यही एडवेंटनेट जोहो बन गई। आज जोहो के 50 से ज्यादा प्रोडक्ट है। ये सीधे तौर पर माइक्रोसॉफ्ट और गूगल को टक्कर दे रहे हैं। यहां तक की WhatsApp को भी टक्कर दे रहे हैं। इनकी प्रोडक्ट 180 से अधिक देशों में इस्तेमाल हो रहा है।
कंपनी को फर्श से अर्श तक ले जाने वाले श्रीधर वैम्बू इस समय कंपनी के सीईओ भी नहीं है। बल्कि वह कंपनी के चीफ साइंटिस्ट है। इस समय जोहो के सीईओ शैलेश कुमार डेवी हैं। कंपनी के फाउंडर श्रीधर वैम्बू जोहो में किसी भी तरह की फंडिंग का हमेशा विरोध किया है। उन्होंने कंपनी को पूरी तरह से अपनी सेविंग और मुनाफे में खड़ा किया है। 19 फरवरी को जारी 2024 बरगंडी प्राइवेट हुरुन इंडिया 500 रिपोर्ट के अनुसार, बूटस्ट्रैप्ड फर्म जोहो कॉर्पोरेशन नॉट लिस्टेड कंपनियों के रूप में उभरी थी।
जोहो की वैल्यूएशन रिलायंस और अदाणी ग्रुप से कितनी कम?
इस खबर को लिखते समय Reliance Industries Limited का मार्केट कैप 18,50,700 करोड़ रुपये है। वहीं, Adani Enterprises Limited का मार्केट कैप 2,89,468 रुपये है। इस समय जोहो की वैल्यूएशन 1.03 लाख करोड़ रुपये है। यानी यह अदाणी ग्रुप से ज्यादा कम नहीं है। अभी जोहो मार्केट में लिस्ट नहीं है। कंपनी के फाउंडर श्रीधर वेम्बू अभी चाहते भी नहीं की उनकी कंपनी मार्केट में लिस्ट हो। लेकिन अगर कंपनी लिस्ट होती है तो शायद इसकी वैल्यूएशन अदाणी एंटरप्राइजेज से ज्यादा हो सकती है।
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