सरकार गिरते रुपये को संभालने में नाकाम
रुपये को थामने में मनमोहन सरकार का कोई कदम कारगर साबित नहीं हो रहा है। सरकार के सभी उपायों को धता बताते हुए घरेलू मुद्रा सोमवार को डॉलर के मुकाबले नया ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रुपये को थामने में मनमोहन सरकार का कोई कदम कारगर साबित नहीं हो रहा है। सरकार के सभी उपायों को धता बताते हुए घरेलू मुद्रा सोमवार को डॉलर के मुकाबले नया रिकॉर्ड बनाता हुआ 63 के स्तर को पार कर गया। रुपये की इस चाल को देख शेयर बाजार भी अछूता नहीं रहा। इस दिन सेंसेक्स 291 अंक का गोता लगा गया। वह भी तब, जबकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लालकिले से लेकर सात रेसकोर्स तक खुद बाजार का भरोसा बंधाने में जुटे हैं। वित्तीय बाजारों के इस हाल से सरकार में हड़कंप मचा। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अधिकारियों की आपात बैठक बुलाकर पूरी स्थिति का जायजा भी लिया।
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मुद्रा बाजार का हाल
सिर्फ एक कारोबारी दिन में ही रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 148 पैसे नीचे चली गई। रुपये की कीमत में यह एक दशक की सबसे बड़ी गिरावट है। बीते शुक्रवार को ही एक डॉलर की कीमत ने 62.66 रुपये पर बंद हुई थी। अंतर बैंक मुद्रा बाजार में सोमवार को डॉलर की कीमत 63.22 रुपये तक पहुंची, जो बाद में 63.14 रुपये पर आकर थमी।
वित्त मंत्री ने की फौरी पहल
डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में सोमवार की गिरावट देख चिदंबरम ने आनन-फानन में अपने मंत्रालय के सभी अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई। आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम मुंबई में थे, लेकिन राजस्व, व्यय, वित्तीय सेवाएं और विनिवेश विभाग के सचिवों ने इसमें हिस्सा लिया। वित्त मंत्री ने सभी सचिवों से बाजार की स्थिति और भविष्य में उठाए जा सकने वाले कदमों पर राय मशविरा किया। आर्थिक मामलों के विभाग के साथ वित्त मंत्री मंगलवार को बैठक करेंगे।
सभी कदम साबित हुए बेदम
सरकार ने डॉलर को मजबूत होने से रोकने के जितने भी कदम उठाए हैं, बाजार ने उन सभी को नकार दिया है। इसके उलट बाजार में धारणा बन गई है कि सरकार विदेशी मुद्रा के देश से बाहर जाने पर और नियंत्रण लगाने की कोशिश में है। बाजार के जानकारों का मानना है कि सरकार ने उद्योगों के समक्ष विदेशी मुद्रा का जोखिम कम करने के लिए हेजिंग के रास्ते भी सीमित कर दिए हैं। यही वजह है कि सरकार जो कदम उठा रही है, बाजार उसके विपरीत परिणाम दे रहा है। सरकार की उहापोह अर्थव्यवस्था पर और भारी पड़ रही है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत जिस तेजी से कम हो रही है, अर्थव्यवस्था की हालत उसी रफ्तार से बिगड़ रही है।
शेयर बाजार पर भी मार
रुपये की तेज गिरावट का असर शेयर बाजार पर भी हो रहा है। सोमवार को जैसे-जैसे रुपया कमजोर होता गया, शेयर बाजार का ग्राफ भी नीचे जाता रहा। बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 290.66 अंक गिरकर चार माह के सबसे निचले स्तर पर 18307.52 पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी भी 93.10 अंक लुढ़क 5414.75 अंक तक लुढ़क आया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के निवेश निकालने के चलते शेयर बाजार में सोमवार को आई गिरावट ने निवेशकों के एक लाख करोड़ रुपये धो डाले।
सस्ते रुपये का असर
-विदेश में पढ़ाई, घूमना होगा महंगा
-पेट्रोल डीजल के और बढ़ सकते हैं दाम
-कारों समेत इलेक्ट्रॉनिक सामान की बढ़ेगी कीमत
-टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन के दाम बढ़ने की आशंका
-अर्थव्यवस्था पर बढ़ेगा बोझ, चालू खाते के घाटे पर दबाव
-विदेश से कर्ज ले चुकी कंपनियों पर बढ़ेगा वित्तीय बोझ
-आयातित कोयला इस्तेमाल करने वाले पावर प्लांट की महंगी होगी बिजली

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