रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, जानिए, आम आदमी पर क्या पड़ेगा असर?
आमतौर पर रुपये की गिरावट पर चर्चा आर्थिक स्तर पर होती है जैसे सुस्त आर्थिक वृद्धि दर, कॉर्पोरेट आय और बाजार में उतार-चढ़ाव। हालांकि, यह संकट सिर्फ बड़ ...और पढ़ें

नई दिल्ली। आमतौर पर रुपये की गिरावट पर चर्चा आर्थिक स्तर पर होती है जैसे सुस्त आर्थिक वृद्धि दर, कॉर्पोरेट आय और बाजार में उतार-चढ़ाव। हालांकि, यह संकट सिर्फ बड़ी कंपनियों या दलाल स्ट्रीट तक सीमित नहीं है। कमजोर रुपया आम आदमी की जेब पर भी चोट मारेगा। गिरता रुपया आवश्यक वस्तुओं जैसे खाने-पीने का समान से लेकर विदेश में शिक्षा या यात्रा तक का बजट हिला सकता है। आइये हम आपको बताते हैं कि खस्ता हाल रुपया आपका बजट कैसे बिगाड़ सकता है।
1. डगमगा जाएगा घर का बजटऊंची महंगाई से त्रस्त आम आदमी को कमजोर रुपया भारी पड़ सकता है। कच्चा तेल, फर्टिलाइजर, दवाइयां और आयरन ओर ये सभी चीजें देश में आयात होती हैं। हालांकि, इससे आम आदमी का सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन इससे आपकी रोजमर्रा की वस्तुएं महंगी हो सकती हैं। कच्चा तेल आयात होता है, रुपया कमजोर होने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रभावित होंगी। नतीजा, ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ेगी, दूसरे देशों से आने वाले समान महंगे हो जाएंगे। साबुन, डिटरजेंट, डियोडरेंट और शैंपू सभी में कच्चे तेल का इस्तेमाल होता है। यह भी महंगे हो सकते हैं। भारत में दालें बड़ी मात्रा में आयात होती है, तो इसके दाम भी बढ़ सकते हैं।
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2. कार खरीदना पड़ेगा भारीडॉलर के मुकाबले गिरता रुपये ऑटो उद्योग पर कई तरफ से वार करता है। आयातित कॉम्पोनेंट से इनपुट लागत बढ़ती है। विदेशी सहायक कंपनियों को ज्यादा रॉयल्टी देनी पड़ेगी। मुद्दे की बात यह है कि ऑटो कंपनियों के पास कार की कीमत बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा। मारुति ने पिछले दो माह में दो बार दाम बढ़ाए हैं। हुंडई, होंडा और फोर्ड जल्द फैसला ले सकती हैं।
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3. मनोरंजन के साधन पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगाइलेक्ट्रॉनिक चीजों जैसे कंप्यूटर, टेलीविजन, मोबाइल फोन, एसी, फ्रिज आदि सभी में आयातित कॉम्पोनेंट का प्रयोग होता है, तो इनके दाम भी बढ़ सकते हैं।
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4. विदेश में पढ़ाई हो सकती है सपने के समानविदेश में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी रुपये में लोन लेते हैं, लेकिन उनका सारा खर्च विदेशी मुद्रा में होता है। इसका सीधा असर विदेश जाकर पढ़ने की इच्छा रखने वाले बच्चों पर पड़ेगा। यानी विदेश में रहना और पढ़ना महंगा हो जाएगा।
5. नौकरी और वेतन पर खतराकुछ लोगों के लिए गिरता रुपया और भी घातक साबित हो सकता है। यह लोगों की नौकरी और वेतन कटौती का कारण भी बन सकता है। जो इंडस्ट्री आयात पर निर्भर हैं वह प्रोडक्शन और ऑपरेशन लागत पर बढ़ते बोझ को महसूस करेंगी। इससे निपटने के लिए कंपनियां लागत को नियंत्रित करेंगी। कंपनी इसके लिए लोगों की छंटनी कर सकती है, नियुक्ति पर पाबंदी लग सकती है या वेतन इजाफे पर रोक लगा सकती है।

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