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    ओवर सब्सक्राइब होकर बंद हुआ Coal India का OFS, सरकार के खजाने में आएंगे 4000 करोड़ रुपये

    दो दिनों के लिए खुले कोल इंडिया का OFS आज बंद हो गया। इस ओएफएस में खुदरा और संस्थागत दोनों निवेशकों ने ओवर सब्सक्राइब किया। आज कंपनी के शेयर में गिरावट आने के बाद आज कोल इंडिया के शेयर सपाट स्तर पर बंद हुए।

    By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Fri, 02 Jun 2023 06:38 PM (IST)
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    Coal India's OFS closed after being oversubscribed, Rs 4000 crore will come to the government's treasury

    नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क: दो दिनों के लिए OFS के लिए खुले कोल इंडिया लिमिटेड के शेयर का आज आखिरी दिन था। ओएफएस को खुदरा और संस्थागत दोनों निवेशकों ने ओवर सब्सक्राइब किया। सरकार से इस ओएफएस से 4,000 करोड़ रुपये से अधिक मिलने की उम्मीद है।

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    किसने कितना किया सब्सक्राइब

    इन दो दिनों में सरकार ने कोल इंडिया में अपने 18.48 करोड़ शेयर या 3 प्रतिशत हिस्सेदारी 225 रुपये के फ्लोर प्राइस पर बेची।

    संस्थागत निवेशकों ने कल यानी को गुरुवार को कोल इंडिया के 28.76 करोड़ शेयरों के लिए बोली लगाई थी, जबकि खुदरा खरीदारों ने आज कोल इंडिया के 2.58 करोड़ शेयरों के लिए बोली लगाई थी। संस्थागत निवेशकों  ने शुक्रवार को 5.12 करोड़ शेयरों के लिए बोली लगाई।

    सपाट स्तर पर बंद हुए शेयर

    आज हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन कोल इंडिया के शेयर सपाट स्तर पर बंद हुए। आज एनएसई पर कंपनी के शेयर 0.25 रुपये चढ़कर 230.60 पर बंद हुआ तो वहीं बीएसई पर 0.35 रुपये चढ़कर 230.90 रुपये पर बंद हुआ। कल ओएफएस के पहले दिन कोल इंडिया के शेयर 5 फीसदी से अधिक टूटे थे।

    सरकार के पास इतनी हिस्सेदारी

    कोल इंडिया पहली पीएसयू जिसकी बिक्री सरकार ने इस चालू वित्त वर्ष में की है। फिलहाल भारत सरकार के पास कोल इंडिया में 66.13 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।

    सरकार ने इस वित्त वर्ष में 51 हजार करोड़ रुपये का विनिवेश करने का प्लान बनाया है जिसमें कोल इंडिया सरकार के इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगा।

    कंपनी प्रोफाइल

    कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) सरकार की महारत्न कंपनियों में से एक है। इसकी स्थापना नवंबर 1975 में हुई थी और इसी साल कंपनी ने 79 मिलियन टन (MTs) के मामूली उत्पादन किया था।

    आज CIL दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है। CIL भारत के आठ राज्यों में फैले 84 खनन क्षेत्रों में अपनी सहायक कंपनियों के साथ काम करती है।