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    Sharad Navratri 2025: नवरात्रि में भक्ति का अनोखा रूप, सीने पर कलश रखकर माता रानी की कर रही पूजा

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 06:06 PM (IST)

    सीतामढ़ी के कोट बाजार मंदिर में एक महिला सोनम कुमारी शारदीय नवरात्र के दौरान सीने पर कलश रखकर माता दुर्गा की आराधना कर रही हैं। उनकी यह तपस्या मनोकामना पूरी होने के बाद नौ दिनों तक चलेगी जिसमें वे अन्न और जल का त्याग करेंगी। मंदिर के पुजारी लक्ष्मण चौबे के अनुसार ऐसी तपस्या भक्तों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है।

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    सीने पर कलश स्थापित कर माता रानी की कर रही आराधना। फोटो जागरण

    संवाद सहयोगी, सीतामढ़ी। शारदीय नवरात्र में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी शक्ति की भक्ति के अनेक रूप देखने को मिलते हैं। कई भक्त अपने तरीके से माता पर आस्था दिखाते हैं, जिनमें से कुछ सामान्य होते हैं और कुछ बेहद कठिन।

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    उपवास के दौरान फलाहार करना एक सामान्य तरीका है, जबकि सीने पर कलश रखकर आराधना करना अत्यंत कठोर तपस्या के समान है। सीतामढ़ी नगर के सिद्धपीठ माता महारानी दुर्गा स्थान, कोट बाजार मंदिर में एक महिला सीने पर कलश स्थापित कर शक्ति की आराधना कर रही है।

    नगर के वार्ड 18 कोट बाजार के शंकर चौक निवासी संतोष कुमार की पत्नी सोनम कुमारी (30) का माता रानी की भक्ति का यह पहला साल है। बताती हैं कि सीने पर कलश स्थापना का मुख्य कारण पूर्व में मांगी गई मनोकामना का पूरा होना है। यह साधना नौ दिनों और रातों तक चलेगी। इन नौ दिनों में वह अन्न और जल दोनों का त्याग करेंगी।

    मानना है कि देवी दुर्गा उन्हें यह कठोर तपस्या करने की शक्ति प्रदान करती हैं। डुमरा के सिमरा नारायणपुर सिद्धपीठ माता पीतांबरा के अनन्य भक्त व पुजारी तांत्रिक लक्ष्मण चौबे बताते हैं कि इन कठिन साधनाओं को करने के पीछे भक्तों की असीम श्रद्धा और विश्वास होता है।

    ऐसी तपस्या का उद्देश्य तन और मन को शुद्ध करना, आत्मबल बढ़ाना और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करना माना जाता है। यह दर्शाती है कि भक्ति का कोई एक निश्चित रूप नहीं होता, बल्कि हर व्यक्ति अपनी आस्था और क्षमता के अनुसार मां की आराधना करता है।

    नगर के सिद्धपीठ माता महारानी दुर्गा स्थान, कोट बाजार मंदिर पूजा समिति के अध्यक्ष संजय कुमार पप्पू बताते हैं कि कोट बाजार का महारानी दुर्गा स्थान से माता के भक्तों की आस्था जुड़ी है। मनोकामना पूरी होने पर भक्त अपनी क्षमता और श्रद्धा के साथ माता रानी की पूजा करते हैं।

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