UPSC Priya Rani Success Story: दादा के साहस ने प्रिया को पहुंचाया शहर, अब बनेगी IAS अफसर
प्रिया बताती है कि बीटेक के दौरान कैंपस प्लेसमेंट में उसने बेंगलुरु की एक कंपनी में एक वर्ष के लिए काम किया। इसके बाद तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी। इस क्रम में वर्ष 2021 में दूसरे प्रयास में उसे इंडियन डिफेंस सर्विस मिला। इसके बाद तीसरे प्रयास में सफलता नहीं मिलने के कारण मन दुखी था। इसके बाद पिता के कहने पर चौथे प्रयास में साक्षात्कार के लिए पहुंची।

जागरण संवाददाता, पटना। प्रतिभा कभी अमीर-गरीब नहीं देखती। यह मेहनत के अधीन होती है। यह साबित किया है, फुलवारीशरीफ के कुरकुरी निवासी किसान अभय कुमार की पुत्री प्रिया रानी ने। यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में उसे 69वां रैंक प्राप्त हुआ है।
प्रिया बताती है कि बीटेक के दौरान कैंपस प्लेसमेंट में उसने बेंगलुरु की एक कंपनी में एक वर्ष के लिए काम किया। इसके बाद तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी। इस क्रम में वर्ष 2021 में दूसरे प्रयास में उसे इंडियन डिफेंस सर्विस मिला। इसके बाद तीसरे प्रयास में सफलता नहीं मिलने के कारण मन दुखी था।
इसके बाद पिता के कहने पर चौथे प्रयास में साक्षात्कार के लिए पहुंची। जहां यह सफलता अर्जित की।
दादा व पिता के सपोर्ट से यहां तक पहुंची प्रिया बताती है कि करीब 20 वर्ष पहले दादा की साहस ने कुरकुरी से पटना पढ़ाई के लिए पहुंचाया। तब गांव में काफी लोग बेटी को पढ़ाने का विरोध किया, लेकिन दादा सुरेंद्र प्रसाद शर्मा व पिता अभय कुमार की साहस पटना में किराएं के मकान में शिफ्ट हुए।
बाद में जगदेव पथ में अपना मकान भी बना। तब डान बास्को स्कूल से प्राथमिक शिक्षा तथा संत माइकल से 12वीं पढ़ाई की। इसके बाद 2018 में बीआइटी मेसरा से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चौथा प्रयास में 69वीं रैंक प्राप्त हुआ। इससे पहले, दूसरे प्रयास में 284 रैंक आया। इससे वर्तमान में इंडियन डिफेंस सर्विस में कसौली हिमाचल में सेवा दे रही हैं।
नियमित पढ़ाई ने दिलाई पीटी व मेंस में सफलता प्रिया बताती है कि पीटी के लिए एनसीईआरटी व कुछ स्टैंडर्ड बुक के साथ-साथ अखबार नियमित रूप से पढ़ाई की। इसी से सफलता मिली। मुख्य परीक्षा के लिए अर्थशास्त्री को विषय बनाया था। आरंभ से ही विभिन्न किताब व सोर्स के सहारे नोट्स बना कर पढ़ते थ। बाद के लिए छोटे नोट्स भी बनाई, इससे परीक्षा के समय रिविजन करती थी।
संस्मरण
जब छोटी थी, गांव में थी, गांव से पहली लड़की थी, जो गांव से निकाल कर शहर में पढ़ाई कि लिए जा रही थी। लड़की होने के कारण दादा सुरेंद्र प्रसाद शर्मा के प्रयास से आई। पहले किराए के मकान में आया। उन्हें पढ़ाने के लिए मां-पिता जी काफी कंप्रमाइज करते थे, छोटी-छोटी स्ट्रगल आज भी हमें याद आती है।
सुबह चार बजे उठकर करती थी पढ़ाई
नए छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए सलाह देते हुए कहती है कि शिक्षा हर समय में सबसे महत्वपूर्ण चीजें है। करियर के लिए हमेशा ध्यान रखें। वह हमेशा से चाहती थी कि उनके अभिभावक मेरे नाम से समाज में जाने जाएं। इसके लिए हमेशा से खूब मेहनत करती थी। पढ़ाई के लिए सुबह चार बजे उठ जाती थी, नींद टूट जाएं इसके लिए 10 मिनट व्यायाम व टहलती थी। फिर टापिक की पढ़ाई करती थी।
चैलेंज
हमेशा देखते थे कि अपने बैच की लड़कियां विभिन्न नौकरी में है। वह यूपीएससी की तैयारी कर कुछ लगत तो नहीं की। यह ख्याल हमेशा मन में आती थी, तब सफलता को चैलेंज के रूप में लिया था।
साक्षात्कार
सामान्य रूप से प्रश्न पूछे जा रहे थे। तभी एक प्रश्न बोर्ड के सदस्य ने पूछा कि आप एक सवाल बताओ जो पहले से दिमाग में हो कि बोर्ड में यह पूछा जाएगा। तब मैने दो मिनट सोचकर खुद के बारे में परिचय को लेकर सवाल की अपेक्षा होने की जानकारी दी।
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