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    तहकीकात: IAS की पत्नी; मां और भतीजी 2 साल तक सहती रहीं सब, बिहार के चर्चित दुष्कर्म कांड की कहानी

    Updated: Sun, 15 Jun 2025 03:01 PM (IST)

    बिहार में लालू शासनकाल में एक आईएएस अफसर के परिवार की महिलाओं के साथ हुए दुष्कर्म का मामला जंगलराज की कड़वी याद दिलाता है। 1995 से 1997 तक राजद नेता के बेटे पर अफसर की पत्नी मां भतीजी और नौकरानियों के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा था। बाद में आरोपी गिरफ्तार हुए निचली अदालत ने सजा सुनाई लेकिन हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया।

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    बिहार का सबसे चर्चित दुष्कर्म कांड आज भी दिलाता है 'जंगलराज' की याद।

    डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू यादव के शासनकाल में 'जंगलराज' का मुद्दा तमाम विपक्षी नेता उठाते रहे हैं। आमलोगों के मन में भी इसे लेकर डर रहा है। एक दौर में ऐसा मामला भी सामने आया, जिसने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर हवा दे दी थी।

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    यह मामला था प्रदेश की राजधानी पटना का था। यहां एक आईएएस अफसर की पत्नी, मां, भतीजी और दो नौकरानियों के साथ दो साल तक दुष्कर्म की घटना ने सबको चौंका दिया था। ये मामला उजागर होते ही राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया था। इस केस में राजद की एक महिला नेता और उनके बेटे पर आरोप लगे थे।

    आइए जानते हैं दैनिक जागरण की ‘तहकीकात’ में चौथी कहानी बिहार की राजधानी पटना से। यह केस आज भी 'जंगलराज' की कड़वी याद को ताजा कर देता है।

    पहले जानिए, कौन पीड़ित और कौन आरोपी?

    बिहार की राजधानी पटना में सामने आए इस मामले ने नेता, नौकरशाही और काननू-व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी थी। केस साल 1995 का है। बहरहाल, मामला यूं है कि 1982 बैच के एक आईएएस अफसर की 18 जुलाई 1990 को शादी होती है।

    मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, साल 1995 में उक्त अफसर को बिहार सरकार सचिव स्तर के पद पर तैनाती देती है। इसी क्रम में वह आईएएस अफसर 2 नवंबर 1995 को पटना में बेली रोड पर हड़ताली मोड़ स्थित सरकारी आवास (फ्लैट) में अपने परिवार के साथ रहने के लिए आते हैं।

    इसके बाद अफसर समाज कल्याण विकास विभाग में अपना पदभार ग्रहण करते हैं और सबकुछ सामान्य रूप से चलता रहता है। पटना के एक वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि ये अफसर वैद्य और ज्योतिष के भी अच्छे जानकार थे। 

    बहरहाल, इसी दौरान आरजेडी विधायक और रसूखदार नेता हेमलता यादव को बिहार समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जाता है। यहीं से असल मामला शुरू होता है।

    मामले की आरोपी राजद विधायक हेमलता को पीड़ित आईएएस अफसर के ठीक बगल वाला घर रहने के लिए सरकार की ओर से अलॉट किया जाता है।

    कुछ ही दिनों बाद विधायक इस घर में शिफ्ट होती हैं और उनके साथ उनका 27 साल का बेटा और इस केस का मुख्य आरोपी मृत्युंजय यादव भी यहां आता है। जो कि उस वक्त दिल्ली में डीयू हिंदू कॉलेज का छात्र था।

    अब जानिए, क्रूरता और दुष्कर्म की पूरी कहानी

    • देश को हिला देने वाले इस कांड के अब तक के किरदारों को आप समझ चुके हैं, अब इस घटनाक्रम के आगे की कहानी। 7 सितंबर 1995 को इस दुष्कर्म कांड की पटकथा लिखी जाती है।
    • मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, उक्त दिन हेमलता यादव, उनका बेटा घर में मौजूद थे। उनके साथ राजद के और भी नेता घर में थे।
    • आरोप है कि हेमलता पीड़ित आईएएस अफसर की पत्नी को फोन करती हैं। वह कहती हैं कि मेरे नौकर की तबीयत खराब है, घर के काम में मदद के लिए आ जाओ।
    • पीड़ित आईएएस अफसर की पत्नी हेमलता के घर जाती हैं। आरोप है कि हेमलता उन्हें अपने साथ एक कमरे में ले जाती हैं और बाहर से दरवाजा बंद कर देती हैं।

    हवस का शिकार बनाने के बाद

    कमरे में हेमलता का बेटा और मुख्य आरोपी मृत्युंजय यादव मौजूद होता है। आरोप है कि वह पीड़ित आईएएस अफसर की पत्नी को अपनी हवस का शिकार बनाता है। दुष्कर्म की यही घटना आगे चलकर और भी भयानक रूप लेती है।

    इस घटना के बाद पीड़ित महिला को धमकी देकर वापस उसके घर भेज दिया जाता है। पीड़िता डर के कारण चुप रहती है। परंतु मुख्य आरोपी मृत्युंजय यादव इस दिन के बाद से बार-बार इस अपराध को दोहराने लगता है।

    इतना ही नहीं, आरोप है कि वह पीड़िता के घर जाता है और आईएएस अफसर की मां, भतीजी और दो नौकरानियों के साथ भी दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देता है।

    पीड़ित परिवार की महिलाएं डर की वजह से चुप्पी साधे रहती हैं। यहां तक कि पीड़ित नौकरशाह (आईएएस अफसर) को भी काफी समय बाद इसकी जानकारी मिलती है।

    बताया जाता है कि साल 1995 से 1997 तक करीब दो वर्ष तक आरोपी पीड़ित परिवार की महिलाओं को अलग-अलग समय पर अपनी हवस का शिकार बनाता है। आरोप यह भी है कि क्रूरता इस कदर थी कि अवैध संतान न हो, इसलिए वह पीड़िता की नसबंदी भी करवा देता है।

    'जंगलराज' और चौपट कानून-व्यवस्था

    • दो साल तक यह सब सहने के बाद अंतत: पीड़िताएं हिम्मत दिखाती हैं और पटना पुलिस को लिखित में शिकायत दी जाती है। आरोप है कि पटना पुलिस मामले में कुछ नहीं करती और फाइल दबा दी जाती है।
    • हालांकि, इसके बाद प्रदेश में विपक्ष और भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी इसे लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं। इस कांड को लेकर वह कई बातों का खुलासा करते हैं।
    • वह प्रदेश में 'जंगलराज' और कानून व्यवस्था चौपट होने के आरोप लगाते हैं। चूंकि मामला एक आईएएस अफसर और उनके परिवार से जुड़ा होता है, ऐसे में यह तुरंत मीडिया में सुर्खियों में छा जाता है।

    इसके बाद क्या होता है?

    इसके बाद शुरू होता है कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ का दौर। दरअसल, पीड़ित आईएएस अफसर अपनी पत्नी के साथ तत्कालीन राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी के पास जाते हैं और न्याय की गुहार लगाते हैं। पत्र भी लिखते हैं।

    राज्यपाल बिहार गृह विभाग को शिकायत भेजकर कार्रवाई के लिए कहते हैं। तत्कालीन डीजीपी नियाज अहमद जांच करते हैं और रिपोर्ट देते हैं कि राजद विधायक के बेटे पर निराधार आरोप लगाए गए हैं। इसके बाद केंद्र सरकार को भी राज्यपाल यह रिपोर्ट भेज देते हैं।

    हालांकि, राज्यपाल की पहल पर 1997 में मुख्य आरोपी मृत्युंजय को गिरफ्तार कर लिया जाता है। आरोपी की मां और राजद विधायक हेमलता यादव फरार हो जाती हैं। मामला मीडिया में तूल पकड़ने और दो माह तक फरार रहने के बाद हेमलता सरेंडर करती है।

    जेल और कोर्ट का फैसला

    रिपोर्टस के मुताबिक, मुख्य आरोपी मृत्युंजय और उसकी मां हेमलता दोनों को जेल भेज दिया जाता है। तीन साल बाद दोनों आरोपी जेल से बाहर आ जाते हैं। पटना में स्थानीय कोर्ट का फैसला भी इस दौरान सामने आता है।

    कोर्ट की ओर से आरोपी मृत्युंजय को 10 साल और हेमलता को 3 साल की सजा सुनाई जाती है। चूंकि हेमलता जेल में 3 साल पहले ही रह चुकी होती है, ऐसे में उसे दोबारा जेल नहीं जाना पड़ता है।

    हाईकोर्ट में खारिज होती है अपील

    इसके बाद इस चर्चित मामले में पटना हाईकोर्ट से आरोपी बेटे और मां को बड़ी राहत मिलती है। हाईकोर्ट की ओर से निचली अदालत के फैसले को पलट दिया जाता है। सवाल उठाए जाते हैं कि 2 साल तक पीड़िता चुप क्यों रही? गर्भपात क्यों कराया, नसबंदी क्यों कराई?

    मृत्युंजय के वकील दलील देते हैं कि पीड़िता और आरोपी के बीच प्रेम संबंध था। पीड़िता शादी के लिए दबाव बनाते हुए बदनाम करने की धमकी दे रही थी। आरोप भी इसलिए लगाए गए ताकि अपने नौकरशाह पति के भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल सकें।

    बता दें कि तत्कालीन सरकार की ओर से उक्त आईएएस अफसर पर भर्ती घोटाले का आरोप लगाया गया था। ऐसे में पीड़िता अफसर और उनकी पत्नी का किसी ने साथ नहीं दिया।

    नतीजा यह हुआ कि हाईकोर्ट ने आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। इसके बाद पीड़ित आईएएस अफसर दिल्ली चले गए।

    अब कहां हैं पीड़ित और आरोपी?

    पटना के वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि पीड़ित आईएएस अफसर और उनकी पत्नी के बीच उम्र का काफी फासला था। इस पूरे घटनाक्रम के बाद जब झारखंड राज्य बना तो पीड़ित आईएएस अफसर वहां शिफ्ट हुए और बाद में उनका निधन हो गया। वहीं, अफसर की पत्नी अब गुमनामी में अपनी जिंदगी जी रही हैं।

    चर्चा यह भी है कि पीड़िता को अपने अफसर पति के निधन के बाद अनुकंपा पर नौकरी मिल गई थी। कुछ जानकार कहते हैं कि वह अब कोलकाता में गुमनाम रह रही हैं।

    इधर, आरोपियों की बात करें तो मामला सामने आने और जेल से बाहर आने तक राजद नेता हेमलता यादव की राजनीति पूरी तरह से खत्म हो गई थी। वह कहां रहती हैं; क्या करती हैं, कोई चर्चा नहीं करता। उनके बेटे के बारे में भी अधिक जानकारी नहीं है।

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