तहकीकात: तंदूर से उठता धुआं...शक, साजिश और एक खौफनाक कत्ल की दास्तान
30 साल पहले दिल्ली के एक रेस्टोरेंट से उठता धुआं कुछ और नहीं बल्कि एक संगीन अपराध का सुबूत था। एक दिल दहलाने वाला अपराध। एक रात एक गुस्से में डूबा शख्स अपने खौ़फनाक इरादे को अंजाम देने के लिए हद से गुजर गया। आइए जानते हैं यह कैसे हुआ?

कुशाग्र मिश्रा, नई दिल्ली : आज से 30 साल पहले 2 जुलाई 1995 की रात नई दिल्ली के एक रेस्टोरेंट के किचन से अजीब सी गंध लिए धुआं उठ रहा था। यह धुआं ऐसा सच सामने लाया, जिसे दिल्ली कभी नहीं भुला सकती। ये सच था... 'तंदूर कांड'। जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
इस तंदूर में जल रही थी यूथ कांग्रेस की एक कार्यकर्ता, जिसकी हत्या कर सुबूत मिटाने के लिए उसका शव इस तंदूर में झोंक दिया गया था। ऐसा करने वाला कोई और नहीं बल्कि उसका पति ही था।
दैनिक जागरण की ‘तहकीकात’ में तीसरी कहानी पति-पत्नी के रिश्ते की डोर में शक की वजह से पड़ी गांठ की है, जो जुलाई 1995 में खौफनाक हत्याकांड की वजह बनी। आज की कहानी में हम बात करेंगे दिल्ली के 'तंदूर कांड' की।
शादी से पहले की दोस्ती, जो लाइलाज शक में बदली
नैना साहनी और सुशील शर्मा, दोनों ही कांग्रेस पार्टी के युवा नेता थे। नैना दिल्ली यूथ कांग्रेस की कार्यकर्ता थी और उनका पति सुशील शर्मा भी यूथ कांग्रेस का ही एक नेता था। सुशील शर्मा ने नैना साहनी से वर्ष 1993 में बिड़ला मंदिर में शादी की थी।
शादी के पूर्व से ही नैना का एक दोस्त था। कभी नैना साहनी के साथ पढ़ने वाला उनका दोस्त भी कांग्रेस पार्टी में ही एक कार्यकर्ता था। सुशील शर्मा को पत्नी नैना साहनी की इस कांग्रेस कार्यकर्ता के साथ दोस्ती मंजूर नहीं थी। धीरे-धीरे ये नामंजूरी गहरा घाव बनती गई। जो लाइलाज रोग शक में तब्दील हो गया।
नैना और उसके दोस्त के बीच संबंध होने का शक सुशील के जहन में घर कर चुका था। दो जुलाई 1995 की रात जब सुशील अपने घर पहुंचा तो नैना को फोन पर किसी से बात करते देखा। सुशील को देखते ही नैना ने फोन काट दिया, जिस पर वह आग बबूला हो गया।
उसने फोन पर रिडायल का बटन दबाया और दूसरी ओर से आई आवाज सुनकर वह अपना आपा खो बैठा। वह आवाज नैना के उसी दोस्त की थी, जिसे लेकर सुशील शक करता था। और फिर नैना और सुशील के रिश्ते में आया एक खतरनाक मोड़ ...
कत्ल की रात: प्वाइंट 32 बोर की पिस्तौल से मारीं दो गोलियां
फोन पर पत्नी के दोस्त की आवाज सुनने के बाद सुशील का गुस्सा उसके काबू में नहीं था। पुलिस के अनुसार गुस्से की हालत में 2 जुलाई 1995 को सुशील शर्मा ने प्वाइंट 32 बोर की पिस्तौल से दो गोली मारकर नैना साहनी की हत्या कर दी।
अब सुशील के पास सबसे बड़ा सवाल था कि नैना के शव का क्या करे? सबसे पहले सुशील शर्मा नैना का शव लेकर यमुना नदी के पास पहुंचा, सोचा की नदी में शव बहा देगा, लेकिन वहां पर दो पुलिसकर्मी गश्त कर रहे थे। उसकी हिम्मत नहीं पड़ी। पकड़े जाने के डर से वह लौट गया।
अब उसने नैना के शव को जलाने का सोचा। फिर उसने नैना का शव तंदूर में जलाने का फैसला किया। इसी वजह से इस हत्याकांड का नाम पड़ा तंदूर कांड।
यमुना में नहीं बहा सका तो तंदूर में जलाया
यमुना नदी में शव नहीं बहा पाने पर सुशील शर्मा पत्नी नैना साहनी का शव लेकर नई दिल्ली के अशोक यात्री निवास के बगिया रेस्टोरेंट पहुंचा। इस वक्त रात के करीब 10 बजे थे। उसने रेस्टोरेंट के मैनेजर केशव से बात की, जिसके बाद रेस्टारेंट के सभी कर्मचारियों को बाहर भेज दिया गया।
सुशील शर्मा ने अपनी कार से प्लास्टिक का बैग उतारा, जिसमें नैना साहनी का शव था। पुलिस के मुताबिक नैना साहनी के हाथ-पांव कटे हुए थे। इसके बाद सुशील शर्मा ने शव को ठिकाने लगाने के लिए तंदूर में आग लगा दी।
आग को तेज करने के लिए सुशील शर्मा ने तंदूर में बहुत सारा घी डाल दिया। इसके बाद शव के टुकड़े तंदूर में डालने शुरू किए। जब घी खत्म हो गया तो उसने रेस्टारेंट का मक्खन लेकर तंदूर में डाल दिया और बाद में चुनाव के दौरान इस्तेमाल पोस्टर डालते हुए आग को भड़काया।
अनारो देवी और हेड कांस्टेबल कुंजू न होते तो पता ही न चलता
तंदूर से निकलते तेज धुएं और जल रहे मांस की बदबू ने इस हत्याकांड को सामने ला दिया। सब्जी बेचने वाली अनारो देवी की वजह से यह हत्याकांड सामने आया। सब्जी बेचने वाली अनारो देवी 2 जुलाई 1995 की रात करीब सवा 11 बजे रोज की तरह सब्जी बेचकर अपने घर जा रही थीं।
तभी वहां से गुजरते वक्त बगिया रेस्टोरेंट से उन्हें धुंआ उठता दिखा। उन्होंने सोचा कि शायद रेस्टोरेंट में आग लग गई है। उन्होंने रेस्टोरेंट में जाकर इसकी जानकारी देनी चाही तो उन्हें भगा दिया गया। इससे अनारो की शंका बढ़ गई। उन्होंने इसकी जानकारी वहां गश्त कर रहे हेड कांस्टेबल अहमद नसीर कुंजू को दी।
तब हेड कांस्टेबल रेस्टोरेंट पहुंचा तो उसे भी अनारो की तरह ही आग नहीं लगी होने का ही जवाब दिया गया, मगर धुएं की अजीब सी गंध ने हेड कांस्टेबल का शव बढ़ा दिया। वह जबरन रेस्टोरेंट के किचन में पहुंचा, जहां तंदूर जल रहा था।
वहां पर एक महिला के शव के दोनों हाथ और दोनों पैर कटे हुए थे और उन्हें तंदूर में जलाया जा रहा था। हेड कांस्टेबल को देख सुशील शर्मा मौके से फरार हो गया, जबकि रेस्टोरेंट मैनेजर केशव को हेड कांस्टेबल ने मौके पर ही पकड़ लिया। पुलिस की जांच में शव की शिनाख्त नैना साहनी के तौर पर हुई।
हत्या के तीन दिन बाद बेंगलुरु से पकड़ा गया सुशील शर्मा
गिरफ्तारी से बचने के लिए सुशील शर्मा लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था। पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी, जबकि देश तंदूर कांड से दहल उठा था। हालांकि दिल्ली पुलिस ने सुशील शर्मा को तीन दिन बाद बेंगलुरु से गिरफ्तार किया। उसके पास से नैना साहनी की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल भी बरामद की गई।
पहले सजा-ए-मौत, फिर उम्रकैद और अब आजाद है वो
नैना का पहला पोस्टमार्टम लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में किया गया था और मृत्यु का कारण जलने की चोटें बताई गई थीं। जिसके बाद दूसरा पोस्टमार्टम कराने का आदेश उपराज्यपाल ने दिया। तीन अलग-अलग अस्पतालों के तीन डॉक्टरों की टीम बनाई गई।
इस पोस्टमार्टम में नैना साहनी के सिर और गर्दन में दो गोलियां लगे होने का सच सामने आया। इसके साथ ही जांच का रुख बदल गया। दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच की और 27 जुलाई 1995 को सत्र न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया।
7 नवंबर 2003 को सुशील शर्मा को सजा-ए- मौत और रेस्टारेंट के मैनेजर केशव को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। सुशील शर्मा ने जिला न्यायालय के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट चुनौती दी, लेकिन फैसले को बरकरार रखा गया।
8 अक्टूबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने सुशील शर्मा की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। 21 दिसंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने सुशील शर्मा को रिहा करने का आदेश दिया। जेल में 23 वर्ष रहने के बाद दिसंबर 2018 में वह बाहर आ गया। आज वह आजाद है।
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