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    बिहार भाजपा के इतिहास में पिछड़े वर्ग से लगातार चौथे प्रदेश अध्यक्ष बने सरावगी, संयोग या प्रयोग?

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 07:30 PM (IST)

    भाजपा ने दरभंगा शहर सीट से विधायक संजय सरावगी को बिहार भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। वह पिछड़ा वर्ग से आने वाले लगातार चौथे प्रदेश अध्यक्ष ...और पढ़ें

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    बिहार भाजपा के इतिहास में पिछड़े वर्ग से लगातार चौथे प्रदेश अध्यक्ष बने सरावगी

    रमण शुक्ला, पटना। बिहार में भाजपा ने एक बार फिर सामाजिक संतुलन एवं संगठनात्मक रणनीति को साधते हुए पिछड़ा वर्ग से आने वाले दरभंगा शहर सीट के विधायक एवं पूर्व मंत्री संजय सरावगी को प्रदेश अध्यक्ष (Bihar BJP New President Sanjay Saraogi) की कमान सौंपी है। इसके साथ ही भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी की राजनीति में पिछड़ा वर्ग केवल वोट बैंक नहीं, बल्कि नेतृत्व की धुरी भी है।

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    56 वर्षीय सरावगी पिछड़ा वर्ग से आने वाले भाजपा के लगातार चौथे प्रदेश अध्यक्ष हैं, जो अपने आप में एक बड़ा राजनीतिक संदेश है। यादव समाज के नित्यानंद राय, कलवाड़ समाज के संजय जायसवाल एवं दिलीप जायसवाल के उपरांत अब वैश्य माड़वारी समाज के संजय बिहार भाजपा की बागडोर संभालेंगे।

    सरावगी पास संगठन एवं सरकार दोनों का है अनुभव होने के साथ ही छठी बार दरभंगा शहर सीट से विधायक चुने गए हैं।

    भाजपा लंबे समय से बिहार की राजनीति में सामाजिक समीकरणों को साधने की रणनीति पर काम करती रही है। खासकर मंडल राजनीति के दौर में पिछड़ा वर्ग का प्रभाव बढ़ने के बाद पार्टी ने संगठन और सरकार दोनों स्तरों पर इस वर्ग को प्रतिनिधित्व देने पर जोर दिया है।

    सरावगी की नियुक्ति इसी रणनीति की अगली कड़ी मानी जा रही है। इससे पहले भी भाजपा ने प्रदेश नेतृत्व में पिछड़ा वर्ग के नेताओं को आगे बढ़ाकर यह दिखाया है कि पार्टी सामाजिक न्याय और समावेशी राजनीति के सिद्धांत पर चल रही है।

    संजय सरावगी की पहचान एक संगठननिष्ठ और जमीन से जुड़े नेता की रही है। पार्टी संगठन में उन्होंने विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया है और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता मजबूत मानी जाती है।

    पिछड़ा वर्ग से आने के बावजूद उनकी छवि केवल जातिगत नेता की नहीं, बल्कि एक संतुलित और सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाले नेतृत्व की रही है। यही वजह है कि पार्टी नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया।

    राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सरावगी की ताजपोशी से भाजपा को कई स्तरों पर लाभ मिल सकता है। एक ओर इससे पिछड़ा वर्ग में यह संदेश जाएगा कि भाजपा उनके नेतृत्व को लगातार आगे बढ़ा रही है, वहीं, दूसरी ओर संगठन में स्थिरता और निरंतरता बनी रहेगी।

    भाजपा की यह रणनीति विपक्ष की उस राजनीति को भी चुनौती देती है, जिसमें पिछड़ा वर्ग को परंपरागत रूप से अपने पाले में माना जाता रहा है। लगातार चौथे अध्यक्ष को इसी वर्ग से बनाकर भाजपा ने यह संकेत दिया है कि पिछड़ों की राजनीति पर उसका दावा कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत हो रहा है।

    पार्टी नेतृत्व का मानना है कि विकास, सुशासन एवं संगठनात्मक मजबूती के साथ जब सामाजिक प्रतिनिधित्व जुड़ता है, तो उसका असर व्यापक होता है।

    सरावगी के सामने अब संगठन को और अधिक मजबूत करने, बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और विभिन्न सामाजिक समूहों को साथ लेकर चलने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।

    संजय सरावगी को पिछड़ा वर्ग से लगातार चौथा प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने साफ कर दिया है कि उसकी राजनीति केवल सत्ता केंद्रित नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन और दीर्घकालिक रणनीति पर आधारित है।

    संयोग या प्रयोग

    भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री पद पर रहते हुए दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। इसके साथ उपरांत संजय सरावगी को राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री का दायित्व दिया गया था। अब पार्टी ने पूर्व राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है।

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