Bihar RERA : बिहार में रेरा ने बदले नियम और शर्तें, अब बिल्डरों को देना होगा पांच साल का हिसाब
बिहार में रेरा ने अपने निबंधन यानी पंजीकरण से जुड़े नियम और शर्तों में बदलाव किया है। इसके तहत अब बिल्डरों को कोई भी प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले अपने बीते पांच साल का हिसाब-किताब बताना होगा। नियमों में और क्या बदलाव हुए हैं यह जरूर जान लें।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने प्रोजेक्ट के निबंधन की शर्तों में बदलाव किया है। अब बिल्डरों को अपने नए अपार्टमेंट या टाउनशिप का निबंधन (रजिस्ट्रेशन/पंजीकरण) कराने से पहले अपने पांच साल के कामकाज का लेखा-जोखा देना होगा। यानी बिल्डर या डेवलपर्स ने पिछले पांच सालों में जो प्रोजेक्ट शुरू किए, उनका पूरा विवरण निबंधन से पहले लिया जाएगा।
अगर किसी एक कंपनी के माध्यम से प्रोजेक्ट का निबंधन कराया जा रहा है, तो उस कंपनी से जुड़े सभी निदेशक और प्रमोटरों को बताना होगा कि उनका किसी दूसरी कंपनी में कोई प्रोजेक्ट से जुड़ाव तो नहीं है। उनके किसी प्रोजेक्ट पर निगरानी विभाग के अधीन कोई केस तो नहीं चल रहा है?
रेरा अधिकारियों का कहना है कि अधिकांश मामलों में ऐसा देखा गया है कि एक जगह ब्लैकलिस्टेड कंपनी के प्रमोटर दूसरी कंपनी के साथ जुड़कर नया प्रोजेक्ट शुरू कर देते हैं। ऐसे लोगों को रोकने के लिए ही यह प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा बिल्डरों को किसी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की शुरुआत के समय उसके लिए अलग से खुलवाए गए खाते में जमा राशि का स्रोत भी बताना होगा। यह जानकारी उनको प्रोजेक्ट के आनलाइन निबंधन के समय जमा किए जाने वाले बैंक खाते की विवरणी के साथ देनी होगी।
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