Railway Claim Scam: ED के एक्शन से हड़कंप, 900 केस निपटाने वाले 3 वकील गिरफ्तार; जानें पूरा मामला
घायलों और मृतकों के फर्जी दस्तावेजों के सहारे 2015-2018 के बीच सौ करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा सामने आया। दावेदारों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का उपयोग करके वकीलों द्वारा रेलवे द्वारा दी गई राशि को अपने खातों में ट्रांसफर कर लिया गया। इस पूरे मामले में ED ने बुधवार को पटना नालंदा और मंगलुरु समेत चार स्थानों पर छापामारी की। साथ ही तीन वकीलों को गिरफ्तार किया।

राज्य ब्यूरो, जागरण, पटना। रेलवे क्लेम घोटाले में बुधवार को पटना, नालंदा और मंगलुरु समेत चार स्थानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमों ने एक साथ छापामारी की थी। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में इस कार्रवाई के बाद ईडी ने तीन अधिवक्ताओं को गिरफ्तार किया है।
इसमें परमानंद सिंह, विद्यानंद सिंह और विजय कुमार का नाम शामिल है। तीनों अधिवक्ताओं को गिरफ्तार करने के बाद ईडी ने इन्हें विशेष न्यायालय (पीएमएलए) के समक्ष पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया।
इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार ईडी ने विद्यानंद सिंह, परमानंद सिंह, विजय कुमार एवं अन्य के खिलाफ आइपीसी, 1860 और पीसी एक्ट, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत रेलवे दावा न्यायाधिकरण, पटना (आरसीटी) में दायर अनियमितता और अपराध के संबंध में CBI पटना में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की थी।
- जांच में यह पाया गया कि इस आपराधिक साजिश में आकस्मिक मृत्यु, दावा मामलों में दावेदारों को दी गई राशि का केवल एक हिस्सा ही दावेदारों को मिला। जबकि, बड़ा हिस्सा साजिशकर्ताओं ने हड़प लिया।
- ईडी की जांच से पता चला है कि एडवोकेट विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा और एडवोकेट विजय कुमार सहित उनके वकीलों की टीम ने लगभग 900 मामलों को निपटाया। इन मामलों का निपटारा न्यायाधीश आर.के. मित्तल ने आदेश जारी कर किया।
दावेदारों को लगभग 50 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था। यह पता चला है कि एडवोकेट विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने दावेदारों की जानकारी के बिना उनके बैंक खाते खोले और उनका संचालन किया।
इन दावेदारों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का उपयोग करके रेलवे से प्राप्त दावा राशि को अपने खातों में स्थानांतरित कर लिया या नकद निकाल लिया। ईडी को अपनी जांच और तलाशी के दौरान वकीलों और जज द्वारा उनके नाम पर अर्जित संपत्तियों की जानकारी मिली।
यही नहीं, दावेदारों द्वारा हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक और साइन किए गए खाली कागजात सहित भौतिक और डिजिटल रिकॉर्ड बरामद हुए हैं। फिलहाल आगे की जांच जारी है।
क्या है पूरा मामला
यह पूरा मामला रेलवे में हादसे के बाद घायलों और मृतकों के नाम पर फर्जी तरीके से क्लेम हासिल करने से संबंधित है।
घायलों और मृतकों के फर्जी दस्तावेजों के सहारे 2015-2018 के बीच सौ करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा किया गया था। इसी मामले में निदेशालय की टीम ने अपनी जारी जांच के बीच बुधवार को देशभर में पांच स्थानों पर छापा मारा।
पटना में भूपतिपुर समेत दो अन्य स्थानों, नालंदा में एक जबकि मंगलूरु में एक स्थान पर ईडी ने अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया। रेलवे में हादसे के बाद घायलों और मृतकों के नाम पर फर्जी तरीके से क्लेम हासिल करने से जुड़े अनेक मामलों के आंकलन के बाद रेलवे की ओर से इस मामले की शिकायत दर्ज कराई गई थी।
शिकायत में कहा गया था कि व्यापक पैमाने पर हादसों में फर्जी मौतों के नाम पर मुआवजे का दावा किया गया था। एक-एक व्यक्ति के नाम पर चार-चार बार मुआवजा लिया गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए रेलवे में हुए करोड़ो के इस घोटाले में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ के निर्देश पर सीबीआइ ने यह मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी। CBI की कार्रवाई को आधार मानकर इस मामले में ईडी ने अपनी जांच प्रारंभ की।
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