Bihar Politics: पहले चिराग ने दिया झटका, अब पशुपति की बारी..., पासवान परिवार में अभी और बढ़ेगी तल्खी
Lok Sabha Election 2024 बिहार की सियासत में वक्त ऐसा पलटा कि भतीजे चिराग पासवान के सामने चाचा पशुपति कुमार पारस चारों खाने चित हो गए। पशुपति पारस ने भारी मन से नाइंसाफी के आरोप भारतीय जनता पार्टी पर भी लगाए हैं। NDA से बेटिकट हुए पशुपति पारस चिराग पासवान के खिलाफ हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं।
दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार की सियासत में भतीजे चिराग पासवान के सामने चाचा पशुपति पारस चारों खाने चित हो गए हैं। पशुपति पारस ने भारी मन से भाजपा पर नाइंसाफी के आरोप भी लगाए हैं।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से बेटिकट हुए राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने भतीजा चिराग पासवान के खिलाफ हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं।
यदि पारस चुनाव लड़ते हैं तो पासवान परिवार में ऐसा पहली बार होगा कि चुनावी अखाड़े में चाचा-भतीजा एक-दूसरे आमने-सामने होंगे।
जाहिर है, राजनीतिक विरासत की इस लड़ाई में पासवान परिवार में तल्खी और बढ़ेगी। शनिवार को पारस ने दिल्ली में पार्टी की कोर कमेटी के साथ बैठक की और चुनाव लड़ने हेतु विकल्पों पर रणनीति तय की।
चुनाव लड़ने हेतु पारस की हुई मान-मनौव्वल
केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद पारस जब पटना आए, तो उन्होंने अपने करीबियों के अलावा, हाजीपुर के पुराने सहयोगियों और समर्थकों के साथ तीन दिनों तक अलग-अलग बैठक की।
इस दौरान पारस चुनाव लड़ने के मुद्दे पर असमंजस की स्थिति में रहे। हालांकि, पारस से उनके समर्थकों ने हाजीपुर से चुनाव लड़ने हेतु काफी मान-मनौव्वल किया, तब वे माने। अब पारस चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं, तब रालोजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं।
हाजीपुर से भतीजा चिराग पासवान के विरुद्ध पारस चुनाव लड़ने हेतु अपने कार्यकर्ताओं से सहमति जता चुके हैं। वे और भी कई सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे।
स्पष्ट है कि चिराग की राह में पारस रोड़ा बनकर खड़ा होने की तैयारी में हैं। रालोजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि वैशाली, खगडि़या और समस्तीपुर सीट से पारस की पार्टी का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।
आखिर कहां चूके पशुपति पारस?
वर्ष 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी में टूट हुई थी। फिर पशुपति पारस को राजग का साथ मिला और चिराग पासवान एकदम से हाशिये पर चले गए। लेकिन, चिराग भाजपा के खिलाफ नहीं गए बल्कि उसके शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में बने रहे। साथ ही, बिहार में निरंतर सक्रिय रहे।इससे इतर पारस के बारे में यह चर्चा जोरों पर रही कि वे कैबिनेट मंत्री बनने के
बाद ज्यादा सक्रिय नहीं रहे और हाजीपुर संसदीय क्षेत्र तक सीमित रहे। यही वजह है कि भाजपा ने चिराग को एनडीए से जोड़ते उसे पांच सीटें उपहार में दी। वहीं पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोकजन शक्ति पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गयी है।
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