Budget: 'डीजल-पेट्रोल पर...', बजट को लेकर विपक्ष की आई प्रतिक्रिया; कांग्रेस-VIP सहित तमाम दलों ने बोला हमला
Bihar Politics बिहार सरकार के बजट को लेकर विपक्षी दलों ने निराशा जताई है। विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी ने इसे निराशाजनक बताया है जबकि कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने इसे बेजान बेअसरदार और उम्मीद के प्रतिकूल बताया है। विपक्ष का कहना है कि बजट में न तो रोजगार की चर्चा है और न ही किसानों की चिंता।
राज्य ब्यूरो, पटना। विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने सोमवार को विधानसभा में पेश बजट को निराशाजनक बताया और कहा कि इस बजट में न रोजगार की चर्चा है न ही किसानों की चिंता। इस चुनावी वर्ष में बजट से बिहार के लोगों को काफी उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने निराश किया।
उन्होंने कहा कि बजट में किसानों की आय वृद्धि को लेकर भी कोई उपाय नहीं दिख रहा है। इस बजट से लोगों को भरमाने की कोशिश की गई है।
बजट के पहले ही विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने महिलाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह देने को लेकर मांग की थी, लेकिन सरकार ने बजट में इसका कोई प्रविधान नहीं किया।
यह बजट सिर्फ झूठ का पुलिंदा- मुकेश
उन्होंने कहा कि सही अर्थों में पुरानी घोषणाओं को ही नया करने की कोशिश की गई है। सरकार पहले भी प्रखंडों में स्टेडियम बनाने की बात करती रही है, पर बताती नहीं कितने प्रखंडों में स्टेडियम बने हैं, जो खेलने लायक हैं।
बजट से न ही महिलाओं को कोई फायदा होने वाला है, न युवाओं को फायदा होगा, न किसानों को कोई फायदा होने वाला है। यह बजट सिर्फ झूठ का पुलिंदा है।
बेजान, बेअसरदार और उम्मीद के प्रतिकूल है बिहार सरकार का बजट : डॉ. अखिलेश
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने सोमवार को पेश बिहार बजट को बेजान, बेअसरदार और उम्मीद के प्रतिकूल बताया है।
उन्होंने कहा कि चुनावी साल के बजट में उम्मीद थी कि इसमें रोजगार की बात होगी, मंहगाई को कम करने की कम से कम तात्कालिक कोशिश होगी, युवाओं के लिए रोजगार युक्त प्रशिक्षण की बात होगी, महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने की बात होगी, डीजल-पेट्रोल पर वैट घटाकर मंहगाई पर नकेल कसने की बात होगी, किसान के लिए एमएसपी की बात होगी लेकिन सब के सब ढाक के तीन पात।
डॉ. सिंह ने कहा कि डबल इंजन की सरकार का यह आखिरी बजट है इसलिए बड़ी उम्मीद थी कि बिहार वासियों को कम से कम मंहगाई और बेरोजगारी की मार से कुछ राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि मंहगाई को कम करने के बजाय सरकार तरकारी आउटलेट के जरिए मुनाफा कमाने की कोशिश में लग गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके अलावा नीतीश के सात निश्चय का कतरा भी बजट से गायब है।
बजट पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
- रालोजपा के मुख्य प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि बजट में गरीबों के लिए कुछ नहीं, सिर्फ जुमलेबाजी है। चुनावी वर्ष के इस बजट से सभी को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन यह पूरी तरह निराशाजनक साबित हुआ।
- उन्होंने सवाल उठाया कि बजट में जिन योजनाओं की चर्चा की गई है, उनके लिए धनराशि कहां से आएगी, इस पर सरकार पूरी तरह मौन है।
बजट बेहद निराशाजनक : माले
भाकपा (माले) के राज्य सचिव कुणाल ने बजट को बेहद निराशाजनक और दिशाहीन करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह से जनविरोधी है और संघर्षरत तबकों की मांगों को अनसुना करता है।
आशा, जीविका, रसोइया, आंगनवाड़ी, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से जुड़ी महिलाओं की कर्ज माफी, आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे सफाईकर्मी, कार्यपालक सहायक और अन्य स्कीम वर्करों सहित ठेका पर काम कर रहे लाखों लोगों की लोकप्रिय मांगों को बजट में कोई जगह नहीं मिली है।
केवल चुनावी जुमला है : माकपा
माकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी ने कहा कि बजट नहीं, केवल चुनावी जुमला है। गरीबों, छात्रों, नौजवानों के भविष्य के प्रति यह बजट मजाक है।
खास कर यह बजट स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, कृषि उद्योग की स्थापना सहित किसी भी जरूरत के क्षेत्र की बुनियादी विकास से काफी दूर है। आमलोगों की क्रय शक्ति वृद्धि की कोई योजना एवं दृष्टि सरकार के पास नहीं है।
जनविरोधी बजट : भाकपा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने बजट को जनविरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि चुनावी साल में सरकार ने लोकलुभावन नारा देकर राज्य की जनता को दिग्भमित करने का कार्य किया है।
योजनाकार में मामूली बढ़ती की गई है जबकि प्रतिबद्ध व्यय बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये का हो गया है।
मुख्यमंत्री आवास योजना को लेकर कोई विशेष उपबंध नहीं किया गया है। सामाजिक सुरक्षा योजना के एक करोड़ लाभार्थियों के पेंशन की बढ़ोत्तरी की कोई बातें नहीं की गई।
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