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स्‍मृति शेष: कर्पूरी के विचारों से प्रभावित थे बैद्यनाथ महतो, हर साल कराते थे लड़कियों की दहेजमुक्त शादी

जदयू सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो जननायक कर्पूरी ठाकुर के विचारों से काफी प्रभावित थे। इसके साथ ही गरीब-गुरबों के प्रति काफी संवेदनशील रहते थे।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 06:19 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 10:23 PM (IST)
स्‍मृति शेष: कर्पूरी के विचारों से प्रभावित थे बैद्यनाथ महतो, हर साल कराते थे लड़कियों की दहेजमुक्त शादी
स्‍मृति शेष: कर्पूरी के विचारों से प्रभावित थे बैद्यनाथ महतो, हर साल कराते थे लड़कियों की दहेजमुक्त शादी

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। बिहार के जदयू सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो के आकस्मिक निधन से बिहार का राजनीतिक गलियारा शोक में डूबा हुआ है। जदयू ही नहीं, बल्कि भाजपा, राजद, कांग्रेस समेत तमाम दलों के नेताओं ने दुख जताया। वाल्मीकिनगर के जदयू सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो जननायक कर्पूरी ठाकुर के विचारों से काफी प्रभावित थे। इसके साथ ही गरीब-गुरबों के प्रति काफी संवेदनशील रहते थे और मदद को तत्‍पर रहते थे। इतना ही नहीं, हर साल गरीब लड़कियों की दहेजमुक्‍त शादी कराते थे।  

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इस साल करायी थी आठ जोडि़यां शादी

बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री कर्पूरी ठाकुर से वे इतने अधिक प्रभावित थे कि बेतिया-अरेराज रोड स्थित अपने आवास के पास के चौक का नामकरण भी उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के नाम पर कराया था। वहां उनकी प्रतिमा भी स्थापित कराई थी। कर्पूरी जयंती के अवसर पर जिले में कहीं कार्यक्रम हो या न हो, बैद्यनाथ प्रसाद महतो इसका आयोजन जरूर कराते थे। वे प्रत्येक साल गरीब लडकियों की दहेज मुक्त शादी भी कराते थे। वे पिछले कई वर्षों से ऐसा कर रहे थे। इस साल उन्होंने आठ जोडिय़ों की शादी कराई थी। 

सांसद रहते किया था रेल चक्‍का जाम 

जाम की समस्या से जूझ रहे पश्चिम चंपारण के लोगों को निजात दिलाने के लिए सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो ने एक साथ तीन ओवरब्रिज की स्वीकृति अपने संसदीय कार्यकाल में दिलाई थी। नरकटियागंज में रेल ओवरब्रिज के निर्माण में देरी को लेकर कई बार सड़क पर भी उतरे। सांसद रहते हुए उन्होंने रेल चक्का जाम किया। इसको लेकर 17 नवंबर, 2013 को उन पर रेलवे एक्ट के तहत प्राथमिकी भी दर्ज हुई। 

दस्युओं के खिलाफ लोहा लेते रहे 

दस्यु सरगनाओं के खिलाफ मोर्चा लेने कारण वे चंपारण में काफी लोकप्रिय हुए। इसका राजनीतिक लाभ भी उन्हें प्राप्त हुआ। जब चंपारण में दस्यु गिरोह का आतंक परवान पर था और लोग दिन ढलने के साथ ही घरों में कैद हो जाने को विवश होने लगे थे तब उन्होंने दस्यु सरगनाओं के खिलाफ मुंह खोलने का साहस दिखाया। उन्होंने इलाके में जगह-जगह दस्यु गिरोहों के खिलाफ समिति तैयार कराई और लोगों को एकजुट किया। इसके बाद कई बार दस्युओं से मुकाबला भी हुआ। इलाके में धीरे धीरे दस्युओं का प्रभाव कम होना शुरू हुआ और वैद्यनाथ भी क्षेत्र में लोकप्रिय होते चले गए। 

बैंक की नौकरी छोड़ उतरे थे राजनीति में  

बैद्यनाथ प्रसाद महतो ने को ऑपरेटिव बैंक की अच्छी नौकरी को छोड़कर रजनीति और समाज सेवा के क्षेत्र में कदम रखा था। पश्चिमी चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया में 1992 से लेकर 1995 तक राष्ट्रीय सहकारी बैंक बेतिया में शाखा प्रबंधक रहे। बाद में इनका मन नौकरी में नहीं लगा और राजनीति में कूद पड़े। राजनीति में दिलचस्पी होने के कारण इन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में सक्रिय हो गए।

तीन साल तक रहे थे मंत्री 

साल 2000 में पहली बार नौतन विधानसभा से विधायक बने। इसके बाद 2005 में फिर दोबारा विधायक बने। 2005 में ही राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री बने। वे 2008 तक मंत्री बने रहे। इसके बाद उन्‍होंने 2009 में जदयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। हालांकि, 2014 में वे चुनाव हार गए थे। इसके बाद एनडीए के तहत 2019 में फिर चुनाव लड़े और इस बार जीत गए। इस बार उन्‍होंने कांग्रेस उम्‍मीदवार शाश्‍वत केदार को हराया।

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