Gopal Khemka Murder: गोपाल खेमका मर्डर केस में उलझी पुलिस की थ्योरी, नौसिखिया कैसे बन गया शार्प शूटर?
पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका हत्याकांड को पुलिस ने सुलझा तो लिया पर कई सवाल अब भी बाकी हैं। शूटर की पहचान और वारदात को अंजाम देने के तरीके पर संदेह जताया जा रहा है। पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल हथियार और बाइक बरामद की है लेकिन शूटर का बेखौफ रवैया हैरान करने वाला है। पुलिस का दावा है कि वैज्ञानिक जांच से शूटर तक पहुंचे।

जागरण संवाददाता, पटना। बिहार पुलिस ने चर्चित उद्योगपति गोपाल खेमका हत्याकांड की गुत्थी 72 घंटे भीतर सुलझाने और इसके पीछे शूटर उमेश कुमार यादव सहित मास्टरमाइंड अशोक साव को सलाखों के पीछे भेज चुकी है, लेकिन पुलिस थ्योरी उलझी हुई है।
सवाल उठ रहा है कि जिस वारदात को अंजाम देने के लिए डेढ़ महीने पहले षड्यंत्र रचा गया, बातचीत के लिए मोबाइल और सिम खरीदा गया, उसे अंजाम देने के लिए मास्टरमाइंड ने पिस्टल नौसिखिया के हाथ में कैसे दे दी?
जब घटना को अंजाम देने के लिए रेकी गई थी, तो क्या शूटर को नहीं पता था कि वह अपनी जिस बाइक का इस्तेमाल वारदात में कर रहा है, उसके नंबर के जरिए पुलिस उसके घर तक पहुंच जाएगी?
शहर में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बाद भी वह मुख्य मार्ग से आराम से अपने घर जाता है, फिर दूसरे दिन जेपी गंगा पर पहुंच जाता है।
फिलहाल पुलिस का दावा है कि हत्या में इस्तेमाल हथियार, घटना में प्रयुक्त बाइक, घटना के समय पहने हुए कपड़े हेलमेट बरामद किया गया है। साथ ही जमीन के कागजात के साथ ही ऐसे कई साक्ष्य मिले हैं, जिसकी जांच की जा रही है।
कार की खिड़की के शीशे को भेदते हुए लगी थी एक गोली
गोपाल खेमका को गोली तब मारी गई थी, जब वह कार की ड्राइविंग सीट पर बैठकर गेट के खुलने का इंतजार कर रहे थे।
महज छह सेकेंड में कार की खिड़की के शीशे के पार से खेमका के सिर में सिर्फ एक गोली मारी गई थी। गोली भी सटीक निशाने पर लगी थी।
इसे देख वहां मौजूद पुलिस वाले भी इसके पीछे पेशेवर शूटर पर संदेह कर रहे थे, लेकिन पुलिस जिस उमेश कुमार यादव को शूटर बता रही है, उसके आपराधिक इतिहास को वह बता नहीं सकी है।
नौसिखिया के हाथ में पिस्टल व इतने बड़े उद्योगपति की हत्या के बाद वह आराम से अपने घर चला गया।
अधिकांश मामलों में अपराधी किसी बड़ी वारदात अंजाम देने में चोरी या लूट की बाइक का इस्तेमाल करते या फिर उसका नंबर प्लेट बदल देते हैं, लेकिन इस घटना में पुलिस ने जिस बाइक को बरामद किया, वह उमेश यादव के नाम पर निबंधित बतायी जा रही है।
इतना ही नहीं, जिस घटना के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। पुलिस चारों तरफ नजर दौड़ा रही थी।
उसके दूसरी सुबह तय समय पर शूटर बेखौफ होकर फिर से जेपी सेतु स्थित मालसलामी घाट पर पहुंच जाता है।
वहां आराम से मास्टरमाइंड अशोक साव का इंतजार करता है। वहीं पर उसे सुपारी की बाकी रकम दी जाती है और फिर शूटर आराम से अपने घर चला जाता है। वह कहीं भागने का प्रयास तक नहीं करता है।
हालांकि, बिहार पुलिस के वरीय अधिकारी दावा कर रहे हैं कि तमाम साक्ष्य, सीसीटीवी फुटेज, सर्विलांस सहित अन्य वैज्ञानिक तरीके से हुई जांच के बाद पुलिस शूटर और मास्टरमाइंड तक पहुंची।
वॉइस रिकॉर्डिंग में किसे धमकी दे रहा था अशोक
गोपाल खेमका हत्याकांड को लेकर पुलिस मुख्यालय में वरीय अधिकारियों ने मामले का पर्दाफाश किया। मीडिया कर्मियों के सामने पुलिस अधिकारी माइक के सामने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सुनाते है।
पुलिस का दावा था कि ऑडियो में अशोक साव किसी जमीन की खरीद बिक्री को लेकर किसी से बहस कर रहा है। इसमें गोपाल खेमका का भी नाम लिया जा रहा है।
पुलिस ने बताया कि ऐसी कई रिकॉर्डिंग मिली हैं, जिसकी जांच की जा रही है, लेकिन वह बहस किससे कर रहा था, उसका नाम उजागर नहीं किया गया।
साफ सुथरी छवि बना रखी थी अशोक
नालंदा निवासी अशोक साव उदयगिरी अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 601 से दबोचा गया था। आसपास के लोगों में उसने अपनी छवि साफ सुथरी बना रखी थी।
शहर के पाश इलाके में स्थित उदयगिरी अपार्टमेंट के आलीशान फ्लैट में रह रहा था। आसपास के लोगों के बीच उसकी छवि काफी साफ सुथरी थी।
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