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    अब कैंसर के इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा बाहर, नीतीश सरकार ने दे दी खुशखबरी; 3 जिलों में होने जा रहा बड़ा काम

    Bihar Health News बिहार में कैंसर रोगियों के लिए अच्छी खबर है। अगले तीन साल में राज्य के सभी जिलों में कैंसर डे-केयर सेंटर खुलेंगे। अभी 17 जिलों में ये सेंटर संचालित हैं। इन सेंटर्स में कैंसर मरीजों को ओपीडी की सेवाएं दी जाती हैं। साथ ही कीमोथेरेपी की सुविधा भी उपलब्ध होती है। इस मरीजों को काफी फायदा होगा।

    By Sunil Raj Edited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 17 Feb 2025 10:02 PM (IST)
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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    राज्य ब्यूरो, पटना। अगले तीन वर्ष के अंदर प्रदेश के सभी जिलों में कैंसर रोगियों के इलाज के लिए डे-केयर सेंटर खुलेंगे। स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में काम प्रारंभ कर दिया है।

    वर्तमान में राज्य के 17 जिलों में कैंसर डे-केयर सेंटर संचालित हैं। 12 जिलों में डे-केयर की सेवाएं बहाल की जा चुकी हैं। पांच जिलों में सेवाएं बहाल होने का काम अंतिम चरण में है।

    स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने पूरे देश में इस वर्ष 200 जिलों में डे-केयर की स्थापना की स्वीकृति दी है।

    अब तक डे-केयर स्थापित नहीं किए जा सके

    केंद्र के आदेश के राज्यों को आवंटित डे-केयर की संख्या स्पष्ट हो पाएगी। विभाग का दावा है कि राज्य में 21 जिले ऐसे हैं, जहां अब तक डे-केयर स्थापित नहीं किए जा सकें हैं। उम्मीद है सरकार की घोषणा के आलोक में 21 जिलों में ऐसे सेंटर खुलने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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    होमी भाभा कैंसर अनुसंधान केंद्र के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डा (मेजर) केएन सहाय ने बताया कि राज्य में गैर संचारी रोग के तहत वर्तमान में 17 डे केयर सेंटरों की स्वीकृति मिली है।

    इन जगहों पर बन रहा डे-केयर

    • एनएमसीएच, पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, पूर्णिया, बेतिया, मधेपुरा, अरवल, कैमूर, भोजपुर व बिम्स,पावापुरी शामिल हैं।
    • यहां पर डे केयर की सुविधा दी जा रही है. इसके अलावा बेगूसराय, समस्तीपुर, मोतिहारी, सिवान और किशनगंज में कैंसर मरीजों के लिए डे केयर की स्थापना अंतिम चरण में हैं।
    • बता दें कि डे-केयर में कैंसर मरीजों को ओपीडी की सेवाएं दी जाती है। इमसें उनके शरीर के अंदर जहां पर भी गांठ है उसकी जांच, जांच करने के बाद अगर मरीज में लक्षण पाए जाते हैं, तो उसे ट्यूमर बोर्ड के पास निर्णय लेने के लिए भेजना, बोर्ड द्वारा कैंसर के स्टेज जैसे कार्य संपादित किए जाते हैं।
    • इसके बाद उनके इलाज की लाइन निर्धारित की जाती है। डे-केयर में मरीजों को कीमोथिरेपी की सुविधा भी उपलब्ध होती है।

    बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं पर लोगों का बढ़ा भरोसा : मंगल पांडेय

    राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व में राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक सुधार हुआ है।

    लोगों का भरोसा सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर लगातार बढ़ रहा है। 2006 से पहले प्रत्येक महीने औसतन 39 मरीज सरकारी स्वास्थ्य केंद्रो में उपचार के लिए आते थे। परंतु निरंतर हुए सुधारों के बाद यह संख्या अब प्रतिमाह औसतन 11,000 तक पहुंच गई है।

    यह परिवर्तन राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी और आम जन में बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। पांडेय ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर जनवरी 2024 में ओपीडी की औसतन प्रतीक्षा समय 72 मिनट थी, जो अब घटकर जनवरी 2025 में 36 मिनट तक हो गई है।

    जनवरी 2025 में ओपीडी में 23,93,177 मरीज आए और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाया। दवाओं के वितरित का प्रतिशत भी बढ़ा है। मई 2024 में जहां 69 प्रतिशत दवाइयां वितरित हुई थीं।

    वहीं, जनवरी 2025 में ये आंकड़ा बढ़कर 83 प्रतिशत हो गया है। पैथोलाजी के जनवरी 2025 में 5,92,173 परीक्षण हुए हैं। पैथोलाजी परीक्षणों का ओपीडी दौरे के हिसाब से 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है।

    मंत्री पांडेय ने कहा कि सरकार का लक्ष्य सभी नागरिकों को सुलभ, सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है।

    इसी दिशा में राज्य सरकार ने चिकित्सा संसाधनों का विस्तार, अत्याधुनिक उपकरणों की आपूर्ति, डाक्टरों की संख्या में वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अनेक पहल की हैं।

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