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    Bihar News: स्वास्थ्य विभाग से जारी हुआ नया फरमान, सभी अफसरों को मिल गया यह टास्क

    Updated: Sun, 16 Feb 2025 06:41 PM (IST)

    बिहार स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी सिविल सर्जनों और जिला कार्यक्रम प्रबंधकों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। इनमें SNCU में बेड ऑक्यूपेंसी रेट बढ़ाना भव्या एप पर ऑनलाइन कंसल्टेंसी को बढ़ावा देना आयुष्मान आरोग्य मंदिर के बोर्ड लगाना टीकाकरण कवरेज को बढ़ाना TB स्क्रीनिंग पर जोर देना और फाइलेरिया से बचाव के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का कवरेज बढ़ाना शामिल है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की राज्यस्तरीय बैठक में प्रदेश के सभी सिविल सर्जनों और जिला कार्यक्रम प्रबंधकों को जहां विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में बेड आक्यूपेंसी रेट बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

    वहीं, स्वास्थ्य पदाधिकारियों को ताकीद की गई है कि वे भव्या एप (बिहार स्वास्थ्य विजनरी योजना फार आल) पर कम से कम 95 से 99 प्रतिशत तक आनलाइन कंसल्टेंसी जरूर की जाए।

    27 प्रकार के कार्यो की जिम्मेदारी सौंपी गई

    इस बैठक में सिविल सर्जनों के साथ ही जिला कार्यक्रम प्रबंधकों को 27 प्रकार के कार्यो की जिम्मेदारी सौंपी गई।

    बापू सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने की।

    बैठक में विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के साथ ही दूसरे कई पदाधिकारी उपस्थित रहे। इस दौरान सिविल सर्जनों और जिला कार्यक्रम प्रबंधकों से कहा कि जिले के अंदर जितने भी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं। 

    वहां तीन दिनों के अंदर आयुष्मान आरोग्य मंदिर के बोर्ड निश्चित रूप से लगा दिए जाएं। आनलाइन कंसलटेंसी सुविधा को बढ़ावा देने के लिए सभी स्वास्थ्य पदाधिकारियों को अधिक से अधिक ऑनलाइन कंसलटेंसी के निर्देश दिए गए।

    विभाग से मिला यह भी निर्देश

    साथ ही यह भी कहा गया कि जो डॉक्टर, एएनएम-जीएनएम भव्या एप पर शत प्रतिशत कार्य नहीं कर रहे हैं, वैसों को चिह्नित कर उन्हें निलंबित करने की अनुशंसा विभाग से की जाए।

    स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक में कहा कि एसएनसीयू में बेड ऑक्यूपेंसी रिच बढ़ाने के लिए आउटरिच में एंबुलेंस से कमजोर बच्चों को रेफर करते हुए एसएनसीयू में भर्ती कराया जाए।

    उन्होंने यह निर्देश भी दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी प्रखंड या पंचायत टीकाकरण में 95 प्रतिशत से कम न हो।

    बैठक में सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आबादी के अनुसार टीवी स्क्रीनिंग पर जोर दिया गया। इसी प्रकार फाइलेरिया से बचाव के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का कवरेज कम से कम 95 प्रतिशत रखने के निर्देश भी दिए गए। इसके साथ ही सिविल सर्जनों को और भी कई प्रकार के कार्य सौंपे गए हैं।

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    14057 किसानों को मिला मृदा स्वास्थ्य कार्ड

    सिवान जिले में अच्छी व गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए मिट्टी की सेहत का ख्याल किसानों को रखना जरूरी है। इसको लेकर विभाग उन्हें सहयोग भी कर रहा है।

    संयुक्त कृषि भवन में मिट्टी जांच प्रयोगशाला में किसानों की मिट्टी जांच मुफ्त की जा रही है। मिट्टी के स्वास्थ्य जांच के बाद मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।

    जिले में इस वित्तीय वर्ष में 17 हजार 800 किसानों के मिट्टी मिट्टी नमूने की जांच की गई है। जबकि जिले में 14057 किसानों को स्वाइल हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया गया है।

    बता दें कि जिले में इस वित्तीय वर्ष में 17 हजार 800 मिट्टी नमूने की जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिला कृषि विभाग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार खेतों की मिट्टी में पोषक तत्व की कमीं को किसान दूर कर सकते हैं।

    प्रयोगशाला में की जाती है 12 पैरामीटर पर मिट्टी की जांच

    जिले में प्राप्त लक्ष्य के तहत शत-प्रतिशत मिट्टी के नमूनों की जांच करने के साथ ही किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया गया है।

    किसानों के खेतों की मिट्टी के नमूनों को एकत्रित कर प्रयोगशाला में मुफ्त जांच की जाती है। यह जांच 12 पैरामीटर पर की जाती है।

    इसमें पीएच, ईसी, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटास, सल्फर, जिंक, बोरोन, आयरन, मैगजीन, कापर की जांच कर यह पता लगाया जाता है कि मिट्टी में इनमें से कौन सा तत्व है और किसकी कमीं है।

    मिट्टी जांच के दौरान यह भी देखा जताा है कि मृदा अम्लीय है या क्षारीय। इसके बाद मिट्टी की उर्वरता में किस तत्व की कमीं है, किसानों को उसी के अनुसार पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए सलाह दी जाती है।

    अगर मिट्टी अम्लीय है तो उसमें चूना डालने की सलाह दी जाती है और अगर मिट्टी क्षारीय है तो जिप्सम डालने की सलाह दी जाती है। ताकि मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे।

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