विजय हजारे ट्रॉफी में झारखंड से आगे निकला बिहार, ईशान किशन की जगह रिकॉर्ड के शिखर पर पहुंचे सकीबुल गनी
विजय हजारे ट्रॉफी में बिहार क्रिकेट के लिए यह सीजन ऐतिहासिक है। बिहार के बल्लेबाज सकीबुल गनी ने ईशान किशन का रिकॉर्ड तोड़कर विजय हजारे ट्रॉफी के इतिहा ...और पढ़ें

ईशान किशन की जगह रिकॉर्ड के शिखर पर पहुंचे सकीबुल गनी
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जागरण संवाददाता, पटना। विजय हजारे ट्रॉफी में बिहार क्रिकेट के लिए यह सीजन ऐतिहासिक साबित हो रहा है। वर्षों तक झारखंड के साए में रहने वाला बिहार अब न सिर्फ अंक तालिका में उससे आगे निकल गया है, बल्कि व्यक्तिगत प्रदर्शन के मामले में भी नए रिकॉर्ड गढ़े जा रहे हैं। इसी कड़ी में बिहार के स्टार बल्लेबाज सकीबुल गनी ने झारखंड के ईशान किशन का रिकॉर्ड तोड़ते हुए विजय हजारे ट्रॉफी के इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करा लिया है।
सकीबुल गनी ने इस सत्र में लगातार शानदार पारियां खेलते हुए रन बनाने का नया कीर्तिमान स्थापित किया। उनकी इस उपलब्धि के साथ ही वह टूर्नामेंट के एक सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में शीर्ष पर पहुंच गए हैं।
इससे पहले यह रिकॉर्ड झारखंड के विकेटकीपर-बल्लेबाज ईशान किशन के नाम था, जिन्होंने अपने दौर में विस्फोटक बल्लेबाजी से सभी का ध्यान खींचा था। लेकिन इस बार सकीबुल ने निरंतरता, धैर्य और तकनीक के दम पर उस रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।
बिहार की टीम का समग्र प्रदर्शन भी इस बदलाव का बड़ा कारण रहा है। जहां पहले बिहार को कमजोर टीम के रूप में देखा जाता था, वहीं इस सीजन उसने बड़े राज्यों की टीमों को कड़ी टक्कर दी है।
झारखंड के मुकाबले बिहार ने ज्यादा मैचों में जीत दर्ज कर अंक तालिका में उसे पीछे छोड़ा। टीम की इस सफलता में गेंदबाजों की सटीक लाइन-लेंथ और बल्लेबाजों की जिम्मेदार पारियां अहम रहीं।
सकीबुल गनी की बात करें तो उन्होंने सिर्फ बड़े स्कोर ही नहीं बनाए, बल्कि मुश्किल परिस्थितियों में टीम को संभालने की भूमिका भी निभाई।
शुरुआती विकेट गिरने के बाद उन्होंने कई बार पारी को संभाला और अंत तक टिककर रन बटोरे। उनकी बल्लेबाजी में आक्रामकता और संयम का बेहतरीन संतुलन देखने को मिला, जिसने उन्हें अन्य बल्लेबाजों से अलग खड़ा किया।
क्रिकेट जानकारों का मानना है कि बिहार क्रिकेट के लिए यह दौर नई संभावनाओं का संकेत है। सकीबुल गनी जैसे खिलाड़ियों का उभरना यह दिखाता है कि राज्य में प्रतिभा की कमी नहीं है, जरूरत सिर्फ सही मंच और निरंतर अवसर की है।
विजय हजारे ट्रॉफी में इस प्रदर्शन के बाद सकीबुल पर अब राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की भी नजरें टिक गई हैं।
दूसरी ओर, झारखंड के लिए यह सीजन आत्ममंथन का अवसर बनकर आया है। ईशान किशन जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए टीम को नए चेहरों पर भरोसा करना होगा।
वहीं बिहार के लिए यह उपलब्धि सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि आत्मविश्वास की नई उड़ान है।
कुल मिलाकर, विजय हजारे ट्रॉफी का यह सत्र बिहार क्रिकेट के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। झारखंड से आगे निकलना और ईशान किशन का रिकॉर्ड तोड़ना,
दोनों उपलब्धियां यह संदेश देती हैं कि बिहार अब घरेलू क्रिकेट में सिर्फ भागीदार नहीं, बल्कि चुनौती देने वाली मजबूत टीम बन चुका है।
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