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    HMPV Virus को लेकर बिहार में अलर्ट, मॉकड्रिल से परखी जाएगी ऑक्सीजन की व्यवस्था

    स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 123 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की क्रियाशीलता जांच के लिए 11 जनवरी को माकड्रिल आयोजित की है। इस दौरान ऑक्सीजन की शुद्धता जांच से लेकर रोगी के बेड तक ऑक्सीजन के प्रवाह की जांच होगी। संबंधित अधिकारियों को माकड्रिल के बाद रिपोर्ट गूगल फॉर्म पर उपलब्ध करानी होगी। प्रदेश में अब तक वायरस का कोई भी मामला सामने नहीं आया है।

    By Sunil Raj Edited By: Divya Agnihotri Updated: Sat, 11 Jan 2025 03:22 PM (IST)
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    123 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की जांच के लिए होगी मॉकड्रिल

    राज्य ब्यूरो, पटना। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के खतरों के बीच स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 123 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की क्रियाशीलता जांच के लिए 11 जनवरी शनिवार को मॉकड्रिल आयोजित की है।

    स्वास्थ्य विभाग की ओर से सरकार के निर्णय से सभी मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों के साथ ही सिविल सर्जन व आइजीआइएमएस, एलएनजेपी अस्पताल, नेत्र रोग अस्पताल राजेंद्र नगर के साथ ही सभी अधीक्षक उपाधीक्षक सदर व अनुमंडलीय अस्पतालों को अवगत करा दिया गया है।

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    मॉकड्रिल के दौरान होगी तैयारियों की जांच

    • विभाग के अनुसार यह सातवीं राउंड की मॉकड्रिल होगी। मॉकड्रिल के दौरान ऑक्सीजन की शुद्धता जांच से लेकर रोगी के बेड तक ऑक्सीजन के प्रवाह की जांच होगी।
    • विभाग ने अपने निर्देश में कहा है कि मॉकड्रिल के बाद संबंधित अधिकारी इसकी रिपोर्ट बनाकर गूगल फार्म पर जरूर उपलब्ध कराएं।
    • इस दौरान यदि किसी प्रकार की तकनीकी गड़बड़ी या दूसरी किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होती है तो इसकी जानकारी भी आवश्यक रूप से रिपोर्ट में दें।

    प्रदेश में अब तक नहीं सामने आया कोई मामला

    तीन लोगों की हुई HMPV की जांच

    ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) से सतर्कता बरतते हुए पहली बार प्रदेश में तीन आशंकितों की जांच आइजीआइएमएस की माइक्रोबायोलॉजी लैब में कराई गई। इसमें एक किशोर व दो वयस्क के नमूने लिए गए, जिन्हें कुछ दिन पूर्व सर्दी-खांसी व बुखार हुआ था।

    बुखार ठीक होने के सात दिन बाद दवाओं से खांसी ठीक नहीं हो रही थी। तीनों पहले से दीर्घकालिक रोग की दवाएं भी ले रहे थे। ऐसे में पल्मोनरी के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष शंकर ने एहतियातन एचएमपी वायरस की जांच कराने का परामर्श दिया गया था।

    आइजीआइएमएस के चिकित्साधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि माइक्रोबायोलॉजी विभाग में ही तीनों के नाक व गले के स्वाब का नमूना लिया गया।

    तीनों रिपोर्ट निगेटिव

    तीनों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। उन्होंने कहा कि संस्थान में एचएमपी वायरस की जांच के लिए आरटी-पीसीआर और म्यूटेशन के बाद बने नए स्ट्रेन की जांच के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा है।

    फेफड़ा रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष शंकर ने बताया कि एचएमपी वायरस ए1, ए2, बी1 व बी2 चार तरह का है। 2001 में इस श्वसन वायरस की पहचान हुई थी, इस बार इसके इतने खतरनाक होने की चर्चा क्यों है?

    यह संक्रमित व्यक्ति के नमूने की जीनोम सिक्वेसिंग से पता चलेगा। वैसे अभी भी यह स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य फ्लू के लक्षणों के साथ ही तीन से पांच दिन में खत्म हो जाएगा।

    यह रोग किसी को भी हो सकता है, लेकिन छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, किडनी-हृदय, बीपी-शुगर, लिवर, कैंसर आदि रोगों के मरीज, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती उनमें गंभीर लक्षण का कारण बन सकता है।

    सर्दी यानी नाक बहना या बंद हो जाना, बुखार, शुरुआत में बलगम व बाद में लंबे समय तक सूखी खांसी, घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं।

    प्रारंभिक अवस्था में सही उपचार से इसे फेफड़े तक पहुंचने से रोक सकते हैं। यदि लंबे समय तक सूखी खांसी, सांस लेने में कठिनाई हो तो यह निमोनिया व ब्रोंकियोलाइटिस का कारण बन सकता है।

    इमरजेंसी में आए रोगी का मापा जाएगा ऑक्सीजन स्तर

    HMPV वायरस के लक्षणों की निगरानी के लिए सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने सभी अस्पतालों के चिकित्सा पदाधिकारियों को सतर्क करते हुए पत्र लिखा है।

    उन्होंने निर्देश दिया है कि यदि कोई रोग इमरजेंसी में सर्दी-खांसी, बुखार, सांस फूलने की समस्या लेकर आता है तो तुरंत पल्स ऑक्सीमीटर से शरीर में आक्सीजन स्तर की जांच की जाए। इसके अलावा उनका बीपी भी मापा जाए।

    इसके लिए सभी अस्पताल पल्स ऑक्सीमीटर व बीपी मशीन दुरुस्त रखें। यदि किसी रोगी में एचएमपी वायरस की आशंका हो तो तुरंत उसकी सूचना दें ताकि एहतियाती कदम उठाने के साथ जांच आदि कराई जा सके।

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