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    Jharkhand News: HMPV के खतरे के बीच तेजी से बढ़ रहे निमोनिया के मरीज, जांच की सुविधा भी नहीं

    Updated: Sat, 11 Jan 2025 08:05 AM (IST)

    प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही निमोनिया के मरीज भी बढ़ रहे हैं लेकिन अभी तक एचएमपीवी जांच शुरू नहीं हो पाई है। यही वजह है कि लक्षण होने के बाद भी प्रदेश में अब तक नए वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है। रिम्स में जांच के लिए किट पहुंच चुकी है जिसके बाद अब जल्द जांच शुरू होने की उम्मीद है।

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    झारखंड में तेजी से बढ़ रहे निमोनिया के मरीज

    जागरण संवाददाता, रांची। बढ़ती ठंड व शीतलहर के बीच छोटे बच्चों में निमोनिया और सांस में तकलीफ के मामले सामने आ रहे हैं। अस्पतालों के ओपीडी में सांस की समस्या से जुड़े मरीजों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन अभी तक नए वायरस एचएमपीवी की जांच शुरू नहीं हो पाई है। रिम्स और सदर अस्पताल में न ही सैंपल लिया जा रहा है और न ही जांच हो रही है।

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    जांच की व्यवस्था नहीं

    निजी जांच लैब में भी अभी तक इस संक्रमण के जांच की व्यवस्था नहीं है। डाक्टर ऐसे गंभीर मामलों में जांच कराने को इच्छुक हैं, लेकिन जांच नहीं होने की वजह से जांच के लिए अभी नहीं सलाह दे रहे हैं।

    रिम्स में शुक्रवार को 50 जांच किट पहुंच चुके हैं। निजी लैबों में अभी जांच की तैयारी चल रही है, जो अगले एक-दो दिनों में शुरू करने का दावा किया जा रहा है।

    गंभीर मरीजों की होगी जांच

    रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार बताते हैं कि किट पहुंच चुकी है और जो गंभीर मामले सामने आएंगे उन्हीं की अभी जांच कराई जाएगी।

    इन मामलों में जो क्रोनिकल डिजीज से पीड़ित हैं और सांस की गंभीर समस्या दिख रही है, साथ ही फेफड़े की समस्या वालों का टेस्ट पहले होगा।बुजुर्ग व बच्चों को गंभीर बीमारी या अन्य स्वास्थ्य समस्या हो तो सैंपल जांच के लिए लिया जा सकता है।

    डॉ. राजकुमार ने बताया कि एचएमपीवी से अधिक खतरा नहीं है। यह पुराना वायरस है और यह गले तक ही रहता है। जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है उन्हें निमोनिया या फेफड़े का संक्रमण हो सकता है, लेकिन यह कोरोना की तरह घातक नहीं है।

    सदर में निमोनिया के मरीज पहुंच रहे

    सदर अस्पताल में निमोनिया और सांस लेने में तकलीफ से ग्रसित बच्चों को लेकर स्वजन इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं। बच्चों के लिए बने पीकू वार्ड में निमोनिया व सांस की समस्या से ग्रसित बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

    इस मौसम में सांस से जुड़ी बीमारी की समस्या बढती है, साथ ही निमोनिया का भी खतरा रहता है। अभी इससे जुड़े मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन डरने की जरूरत नहीं है। कोविड गाइडलाइन का पालन कर संक्रमण से बचा जा सकता है।

    डॉ. प्रभात कुमार, सिविल सर्जन

    रिम्स मेडिसिन विभाग के HOD डॉ. बी कुमार बताते हैं कि अभी सर्दी-खांसी व सांस से जुड़े गंभीर मामलों में भर्ती होने की सलाह भी दी जा रही है।

    अब जांच किट उपलब्ध है तो एचएमपीवी के संदिग्ध को जांच के लिए लिखा जाएगा। उन्होंने बताया कि ओपीडी में आए दिन फेफड़े से जुड़ी समस्या लेकर मरीज पहुंच रहे हैं जिनमें निमोनिया के लक्षण बताए जा रहे हैं।

    फेफड़ों का संक्रमण है निमोनिया

    डॉक्टरों के अनुसार निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है। डॉ. बी कुमार ने बताया कि निमोनिया के होने के कई कारण हैं, यह बैक्टीरिया वायरस, इन्फ्लूएंजा, कोविड, फंगल संक्रमण जैसे कारणों से होता है। आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया एक लीडिंग कॉज ऑफ डेथ में गिना जाता है।

    ऐसे लोग जिनको हार्ट डिजीज, क्रानिक लंग डिजीज, दमा, सीओपीडी, किडनी के पेशेंट, कैंसर के पेशेंट हैं,उन्हें इस बीमारी से ज्यादा खतरा होता है। दमा की समस्या से ग्रस्त लोगों में निमोनिया होने का खतरा अन्य से छह से सात गुना ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में अभी सावधानी बरतनी जरूरी है।

    निमोनिया के लक्षण

    • बुखार आना।
    • खांसी, सांस फूलना।
    • हाथ, पैर व मुंह में नीलापन।
    • बहुत तेजी से सांसों का चलना, सुस्ती या बेहोशी जैसा अनुभव।

    ठंड के मौसम में निमोनिया का खतरा अधिक

    ठंड के मौसम में निमोनिया होने का अधिक खतरा रहता है। ठंड के मौसम में कई बार लोग लगातार व्यायाम नहीं करते, पानी कम पीते हैं। ऐसे लोगों को निमोनिया होने का खतरा ज्यादा होता है।

    कई बार लोग सर्दी जुकाम को नजरअंदाज कर देते हैं कि मौसम में बदलाव की वजह से ऐसा हो रहा है, निमोनिया का लक्षण हो सकता है।

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