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    HMPV से खौफ के बीच चीन में क्या हो रहा है? सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई

    ह्यूमन मेटा न्यूमोवायरस के बढ़ते मामलों के बीच चीन में मौजूद एक भारतीय समुदाय के व्यक्ति ने वहां की जानकारी दी है।  चीन के डालियान में रहने वाले कर्नाटक के एक निवासी राजू नायक ने एक वीडियो अपलोड किया। कन्नड़ में बोलते हुए उन्होंने चीन के हालात की जानकार दी। उन्होंने बताया कि वहां अस्पताल के क्या हालात हैं। वहीं चीन के लोगों की जिंदगी कैसी है। 

    By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Thu, 09 Jan 2025 11:43 PM (IST)
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    भारतीय नागरिक ने बताया- चीन में ह्यूमन मेटा न्यूमोवायरस वायरस का खतरा कितना विक्राल है।(फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ह्यूमन मेटा न्यूमोवायरस (HMPV) को लेकर एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। चीन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों ने जानकारी दी है कि चीन में एचएमपीवी की कोई व्यापक प्रकोप नहीं है। वहां, जिंदगी सामान्य है।  

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    चीन में मौजूद एक भारतीय ने वीडियो किया शेयर

    एचएमपीवी प्रकोप के बारे में गलत खबरों को लेकर  चीन के डालियान में रहने वाले कर्नाटक के एक निवासी राजू नायक ने एक वीडियो अपलोड किया। कन्नड़ में बोलते हुए उन्होंने कहा, "मैं चीन के उत्तरी भाग में रहता हूं। मैं यह वीडियो इसलिए साझा कर रहा हूं क्योंकि यहां वायरस के प्रकोप के बारे में बहुत सारी गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं, अस्पतालों में भीड़भाड़, घबराहट और अराजकता के दावे। लेकिन चारों ओर देखें; जीवन पूरी तरह से सामान्य है।"

    चीन में जिंदगी सामान्य

    वीडियो में देखा जा सकता है कि सड़कों पर चहल-पहल है। शॉपिंग मॉल खुले हुए हैं। लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। वहीं, नायक ने एक अस्पताल का भी दौरा किया। वीडियो में देखा जा सकता है कि अस्पताल में कोई भीड़ नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि ठंड के समय HMPV के मामले बढ़ जाते हैं। यह एक सामान्य  घटना है।

    HMPV से घबराने की जरूरत नहीं

    बता दें कि ह्यूमन मेटा न्यूमोवायरस (HMPV) को लेकर भारत के सबसे बड़े शोध ने भी बड़ी राहत दी है। शोध परिणाम के मुताबिक, इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। फरवरी के बाद इसका असर धीरे-धीरे कम हो जाएगा। यह शोध भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मई 2022 से दिसंबर 2024 तक बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के बाल रोग विभाग में किया।

    यह वायरस पांच साल से कम उम्र के बच्चों, कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों और गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को आसानी से चपेट में लेता है। हालांकि, संक्रमित बच्चों में केवल एक प्रतिशत को ही गंभीर जटिलता का सामना करना पड़ा, जिसे सपोर्टिव थेरेपी जैसे आक्सीजन थेरेपी, संतुलित आहार और लक्षण आधारित उपचार से नियंत्रित करना संभव है।

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