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    Jamui Assembly Election: टिकट के लिए उम्मीदवारों में होड़, समाजवादियों की धरती पर किसकी लगेगी लाटरी?

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 04:05 PM (IST)

    जमुई विधानसभा क्षेत्र में 2020 में भाजपा ने पहली बार जीत हासिल की। श्रेयसी सिंह के नेतृत्व में एनडीए में नो वैकेंसी का माहौल है फिर भी कुछ उम्मीदवार टिकट की उम्मीद लगाए हैं। महागठबंधन में राजद की मजबूत दावेदारी है लेकिन तेजस्वी युग में विजय प्रकाश के टिकट पर खतरा मंडरा रहा है। कुशवाहा खेमे से सुजाता सिंह भी प्रबल दावेदार हैं।

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    समाजवादियों की धरती पर किसकी लगेगी लाटरी। फाइल फोटो

    अरविंद कुमार सिंह, जमुई। समाजवाद की उर्वर धरती जमुई विधानसभा क्षेत्र पर 2020 के चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी का कमल खिला। उक्त सीट पर भारतीय जनता पार्टी की श्रेयसी सिंह का कब्जा है। इसलिए यहां भी जिले की अन्य सीटों की तरह एनडीए में नो वैकेंसी का बोर्ड लगा है।

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    इसके बावजूद एकाध संभावित उम्मीदवार श्रेयसी की सीट ट्रांसफर की चर्चा को हवा देकर राजनीतिक चौपाल में सुर्खियां बटोर रहे हैं लेकिन श्रेयसी सिंह का टिकट काटकर शायद ही भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर कोई जोखिम लेना चाहेगी।

    श्रेयसी के अलावा भाजपा से जिन नाम की चर्चा है उनमें लक्ष्मीपुर के पूर्व अंचलाधिकारी निर्भय प्रताप सिंह, विकास सिंह और प्रकाश भगत का नाम शामिल है।

    इधर, महागठबंधन में यह सीट हमेशा से राजद के खाते में रही है। लिहाजा उसके ही खाते में जमुई विधानसभा क्षेत्र का रहना लगभग तय है, यह मानकर आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार नेताओं के दरवाजे पर चक्कर लगा रहे हैं।

    अब तक इस सीट पर राजद में पूर्वांचल के कद्दावर नेता जयप्रकाश नारायण यादव के अनुज पूर्व मंत्री विजय प्रकाश चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल में तेजस्वी युग आने से उनके टिकट पर खतरा मंडराने की बात चर्चा में है।

    झाझा सीट पर जयप्रकाश के बेटे का दबदबा

    बताया जाता है कि जयप्रकाश नारायण यादव के परिवार में एक सीट जो दी जाएगी, वह झाझा की सीट होगी। कहा जा रहा है कि नरेंद्र सिंह के पुत्र अजय प्रताप राजद के टिकटार्थियों में सबसे ऊपर चल रहे हैं।

    इसकी वजह भी है। स्थानीय स्तर पर अजय प्रताप एकमात्र चेहरा हैं, जिनका सभी जाति और धर्म में पकड़ है और हर गांव में 10-20 लोगों को यह नाम से जानते और पहचानते हैं।

    उनकी यह छवि चुनाव में भी असर डालेगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। वैसे राष्ट्रीय जनता दल से एक और नाम बड़ी तेजी से इन दिनों उभर रहा है। कुशवाहा खेमे से ऐसी चर्चा है कि जमुई सीट कुशवाहा खाता में ही जाएगी और इसमें पप्पू मंडल की पत्नी सुजाता सिंह भारी पर रही है।

    हालांकि पप्पू मंडल का कट्टर हिंदूवादी चेहरा उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। सुजाता सिंह पिछले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार थीं और तकरीबन 20 हजार वोट मिले थे। इसके अलावा शमशाद आलम, रविंद्र मंडल सहित और भी कई ऐसे नाम हैं जो राजद से टिकट लेने के लिए कतार में हैं।

    यहां से पिछली बार राजद की टिकट पर विजय प्रकाश चुनाव लड़े थे और लगभग 40 हजार से अधिक मतों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। तब शमशाद आलम ने 18 हजार ला कर विजय प्रकाश की बड़ी हार की पटकथा लिखी थी।

    जनसुराज भी ठोंक रही ताल

    जनसुराज में भी अधिवक्ता रूपेश सिंह, जिला पार्षद अनिल साह, संजीव सिंह, कुशवाहा समाज के ज्योतिष कुमार सहित आधा दर्जन संभावित नाम है जो अपनी अपनी दावेदारी पक्की मानकर क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान भी चला रहे हैं।

    देखने वाली बात यह है कि बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष समाजवादी नेता त्रिपुरारी प्रसाद सिंह तथा पूर्व मंत्री नरेंद्र की धरती से इंडी गठबंधन का टिकट हासिल करने में किसे कामयाबी मिलती है।

    वैसे कुछ एक कांग्रेसी जमुई सीट कांग्रेस के खाते में जाने की चर्चा कर खुश होने का अवसर ढूंढ लेते हैं। अंतिम स्थिति क्या होती है, यह तो आने वाला समय बताएगा।

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