Chaiti Chhath Puja 2025 Date: कब है चैती छठ? नोट कर लें नहाय-खाय, खरना और संध्या अर्घ्य की डेट
मंगलवार को नहाय-खाय के साथ चैती छठ व्रत की शुरुआत होगी। इस चार दिवसीय महापर्व का समापन 4 अप्रैल को होगा। चैती छठ को लेकर बाजार भी सजने शुरू हो गए हैं। वहीं इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां प्रारंभ हो गई है। घाटों को संजाने की काम शुरू कर दिया गया है। इन्हीं घाटों में व्रती सूर्य देव को अर्घ्य देंगे।

जागरण संवाददाता, गोपालगंज। Chaiti Chhath Puja: चार दिनों तक चलने वाले चैती छठ व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ मंगलवार से होगी। पर्व को देखते हुए घरों में तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती है और परिवार को सुख, शांति देने के साथ ही धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं।
घाटों को सजाने का काम शुरू
इस साल चैती छठ को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां प्रारंभ हो गई है। नगर परिषद की ओर से चैती छठ को देखते हुए घाटों को सजाने व संवारने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
नगर परिषद ने बुधवार की शाम तक तमाम छठ घाटों पर सफाई का कार्य पूर्ण करने के साथ ही रंग-रोगन का कार्य भी कराने का निर्देश दिया है। जिससे की छठ पूजा के दौरान व्रती महिलाओं को किसी भी तरह की परेशानी न हो।
एक अप्रैल से शुरू होगा चैती छठ का व्रत
चैती छठ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होती है, षष्ठी तिथि के दिन चैती छठ का पर्व मनाया जाता है। सप्तमी तिथि के दिन इस व्रत का पारण होता है।
चैती छठ का त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस साल एक अप्रैल से चैती छठ व्रत की शुरुआत होगी।
छठ पूजा को लेकर घरों में साफ-सफाई के साथ ही अन्य कार्यों को भी तेज कर दिया गया है।लोगों के घर के सभी लोग छठ महापर्व की तैयारियों में जुटे हुए हैं।
पंडित किशोर उपाध्याय ने बताया कि इस साल एक अप्रैल को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू होगा। उन्होंने बताया कि दो अप्रैल को खरना की पूजा होगी। तीन अप्रैल को भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य तथा चार अप्रैल को व्रती प्रातः कालीन अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करेंगे।
इस पर्व में पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि-विधान से छठ का व्रत रखती हैं। इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है। पंडित किशोर उपाध्याय ने बताया कि छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चली आ रही है। व्रती 36 घंटा निर्जला उपवास रखती हैं।
छठ व्रत का कार्यक्रम
- 01 अप्रैल - नहाय-खाय
- 02 अप्रैल - खरना
- 03 अप्रैल - संध्या अर्घ्य
- 04 अप्रैल - सुबह अर्घ्य सह छठ का समापन
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