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बिहार में भोलेबाबा संग फर्जीवाड़ा: आरा में शिव जी की जमीन को पुजारी के बेटे ने किया अपने नाम, पता लगते ही जमाबंदी रद्द

आरा में भोलेशंकर की जमीन पर फर्जीवाड़ा को विफल करते हुए जमाबंदी रद्द करा दी गई है। पुजारी अंबिका गिरी की मौत के बाद उनके पुत्र बनारसी गिरी ने महादेवा रोड स्थित बुढ़वा महादेव मंदिर की जमीन की ऑनलाइन रसीद अपने नाम से कटवा ली। इसमें राजस्‍व कर्मचारी भी शामिल रहे। मंदिर समिति और पुजारी के परिजनों से विवाद में इसका खुलासा हुआ।

By dharmendra kumar singh Edited By: Arijita Sen Published: Mon, 19 Feb 2024 05:32 PM (IST)Updated: Mon, 19 Feb 2024 05:32 PM (IST)
आरा में भोलेशंकर की जमीन पर फर्जीवाड़ा विफल, जमाबंदी रद्द।

जागरण संवाददाता, आरा। कलियुग में इंसान भगवान को भी धोखा देने से बाज नहीं आ रहा है। शहर के महादेवा रोड स्थित हजारों लोगों की आस्था का प्रतीक प्राचीन मशहूर बुढ़वा महादेव मंदिर की फर्जी जमाबंदी मृत पुजारी के परिजनों द्वारा करा ली गई थी। पूरे खेल में पर्दे के पीछे से भू माफिआयों का बड़ा हाथ था। इसमें अंचल कर्मियों ने बखूबी साथ देते हुए अहम योगदान कर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया था।

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पुजारी के बेटे ने अपने नाम से कटवाई रसीद

मंदिर समिति की शिकायत के बाद सुनवाई करते हुए एडीएम मनोज कुमार झा ने फर्जी जमाबंदी को विगत दिनों रद्द कर दिया है।

मालूम हो कि महादेवा रोड स्थित बुढ़वा महादेव मंदिर पुराना खाता संख्या 10, खेसरा 306/क रकबा 3.125 डिसमिल में स्थित है। पुराने खाते में जमाबंदी बाबा जागेश्वर महादेव जी के नाम से दर्ज है, जो बुढ़वा महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

नया सर्वे खाता में जागेश्वर नाथ महादेव के नाम पर खाता तो खुला, परंतु सेवायत में अंबिका गिरी नाम भी दर्ज हो गया। अंबिका गिरी की मौत के बाद उनके पुत्र बनारसी गिरी ने ऑनलाइन रसीद अपने नाम से कटवा ली।

इसकी जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों के द्वारा मंदिर की देखभाल के लिए गठित मंदिर प्रबंधन समिति के लोगों को जानकारी दी गई।

इसके बाद मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार ने जब पता किया तो पता चला कि पहले सेवायत रहे अंबिका गिरी का नाम खतियान में दर्ज था, जिसके बाद उनके पुत्र ने रसीद अपने नाम से कटवा ली।

सेवायत नहीं हो सकते किसी मंदिर के रैयत

इसकी शिकायत उन्होंने अंचलाधिकारी आरा सदर, डीसीएलआर और एडीएम से की। जांच के क्रम में एडीएम ने पाया कि यह जमीन गैर मजरूआ मालिक किस्म की है और यह सार्वजनिक मंदिर है।

पूर्व में न्यायालय के द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार सेवायत किसी भी मंदिर के रैयत नहीं हो सकते हैं और इसके सार्वजनिक उपयोग को देखते हुए एडीएम ने जमाबंदी रद्द करते हुए सीओ को सुधार करने का निर्देश दिया।

अंचलकर्मियों की मिलीभगत से हुआ फर्जीवाड़ा

बुढ़वा महादेव मंदिर के खतियान में परिवर्तन अंचलकर्मियों की मिली भगत से 1995 के बाद केवल ऑनलाइन हुआ। इसका कोई वाद संख्या भी दर्ज नहीं है। इस मामले में जांच हुई तो कई कर्मी और पदाधिकारी के भी फंसने की आशंका है। दूसरी तरफ समिति के लोगों ने इस मामले की जानकारी डीएम और एसपी को भी दी है।

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