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Uttarakhand Forest Fire: देश में हर साल बढ़ रहा जंगल जलने का दायरा, उत्तराखंड में मोर्चे पर वायु सेना

Uttarakhand Forest Fire नवंबर 2023 से छह मई तक उत्‍तराखंड में 1196 हेक्टेयर जंगल जल चुका है। तीन साल में अप्रैल 2024 ऐसा महीना रहा है जब देश में जंगलों में आग लगने की सर्वाधिक 5020 घटनाएं हो चुकी हैं। केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उड़ीसा छत्तीसगढ़ आंध प्रदेश समेत तमाम राज्यों में साल दर साल जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Published: Wed, 08 May 2024 03:51 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 03:51 PM (IST)
Uttarakhand Forest Fire: नवंबर 2023 से छह मई तक 1196 हेक्टेयर जंगल जल चुका है।

गोविंद बिष्ट जागरण हल्द्वानीः Uttarakhand Forest Fire: ग्लोबल वार्मिंग, मानवजनित लापरवाही और अत्याधुनिक संसाधनों के बजाय वन विभाग का परंपरागत तरीकों पर निर्भर रहना जंगलों में आग के दायरे को लगातार बढ़ा रहा है।

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चिंताजनक यह है कि केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध प्रदेश समेत तमाम राज्यों में साल दर साल जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। तीन साल में अप्रैल 2024 ऐसा महीना रहा है जब देश में जंगलों में आग लगने की सर्वाधिक 5020 घटनाएं हो चुकी हैं।

71 प्रतिशत वन वाले उत्तराखंड में नौबत यहां तक आ गई कि फील्ड पर सेना के जवान उतारने पड़े तो आसमान से वायुसेना ने पानी की बौछार की। अब सरकार ने और सख्ती करते हुए आग लगाने वालों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए हैं।

उत्तराखंड के जंगल आग की चपेट में हैं। नवंबर 2023 से छह मई तक 1196 हेक्टेयर जंगल जल चुका है। वनाग्नि पर काबू पाने के लिए वायुसेना के हेलीकाप्टरों की मदद ली जा रही है। इसके अलावा एनडीआरएफ को भी मोर्चे पर उतारा गया है।

वहीं, देश की स्थिति देखें तो पिछले माह यानी अप्रैल में जंगल में आग लगने की 5020 घटनाएं सामने आ चुकी है। जो कि पिछले तीन साल में दर्ज मामलों में सर्वाधिक है। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआइ) की रिपोर्ट बताती है कि अप्रैल में सबसे ज्यादा उड़ीसा के जंगलों में 794 घटनाएं देखने को मिली। हिमालयी राज्य उत्तराखंड चौथे नंबर पर रहा। जबकि सिक्किम में कोई मामला सामने नहीं आया।

उत्तराखंड सरकार सख्त लगेगा गैंगस्टर

जंगलों की आग पर नियंत्रण पाने को सरकार प्रयास में जुटी है। नैनीताल के बाद पौड़ी में भी वायु सेना हेलीकाप्टर आग बुझाने के के लिए मंगाया गया। महिला समूह, मंगल दल, होमगार्ड, पुलिस, अग्निशमन व राजस्व विभाग के अलावा एसडीआरएफ व एनडीआरएफ को भी जिम्मेदारी दे दी गई है। बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए वर्तमान में जिला पंचायती राज अधिकारी के नेतृत्व में हर जिले के गांवों में खुली बैठकें आयोजित की जा रही है।

वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा हैंकि आग लगाने की घटनाओं में शामिल लोगों के विरुद्ध अब गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। 

2024 की रिपोर्ट चिंताजनक

फायर सीजन होने के कारण भारतीय वन सर्वेक्षण अलग-अलग राज्यों को रोजाना अलर्ट जारी करने के साथ स्वयं भी निगरानी करता है। रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2022 में देश में 4957 घटनाएं सामने आई थी। 2023 में यह आंकड़ा 4281 था। अप्रैल 2024 की रिपोर्ट चिंताजनक है। इसमें शीर्ष पांच राज्य में उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश है। उत्तराखंड में जंगलों में लगी आग की चपेट में आकर अब तक पांच लोगों की मौत होने के साथ चार गंभीर घायल भी हो चुके हैं।

लोग जब घरों में थे तो नहीं सुलगे जंगल

जंगलों में आग की बड़ी वजह मानवीय गतिविधियां भी हैं। 2020 में लाकडाउन के चलते उत्तराखंड में पूरे फायर सीजन में 172.69 हेक्टेयर ही जला, जबकि इस साल छह मई तक यह आंकड़ा 1196 हेक्टेयर पहुंच चुका है। जंगलों में आग लगाने के आरोप में 374 पर प्राथमिकी हुई है।

उत्तराखंड में आग की वजहें

  • सर्दियों में हिमपात में कमी और बरसात के न होने से जंगलों में नमी कम होना।
  • चीड़ वाले जंगल से पिरुल की निकासी समय पर न होना।
  • राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण आग को बढ़ने से रोकना बड़ी चुनौती।
  • संवाद और सामंजस्य में कमी के कारण वन विभाग को ग्रामीणों का साथ नहीं मिलता।
  • स्थिति को पहले से न भांपने के कारण हालात बेकाबू होने के बाद नियंत्रण पाना मुश्किल।

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