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Himachal Politics: तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे पर आखिर क्यों हुई तीसरे जज की एंट्री, हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश

शिमला हाईकोर्ट (Shimla High Court) ने निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे (Independent MLAs Resignation Case) के मामले में अब बड़ा फैसला लिया है। दरअसल हाईकोर्ट की खंडपीठ के दोनों जजों का इस मसले पर अलग मत होने के कारण अब तीसरा जज इस मामले पर फैसला लेगा। अब तीसरे न्यायाधीश के फैसले पर ही निर्दलीय विधायकों की याचिका पर फैसला आएगा।

By rohit nagpal Edited By: Deepak Saxena Published: Wed, 08 May 2024 03:07 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 03:07 PM (IST)
तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे पर आखिर क्यों हुई तीसरे जज की एंट्री।

विधि संवाददाता, शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट से विधानसभा से अपना इस्तीफा देने वाले निर्दलीय विधायकों को कोई राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने से इंकार करते हुए स्पष्ट किया कि कोर्ट विधानसभा सदस्यों के इस्तीफे स्वीकार करने की शक्तियां नहीं रखता। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर सहमति जताते हुए यह फैसला सुनाया।

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दो सप्ताह के भीतर इस्तीफे पर निर्णय के आदेश

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से विधानसभा स्पीकर को तय समय सीमा के भीतर उनके इस्तीफे मंजूर करने की गुहार के आदेशों की गुहार भी लगाई थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कोर्ट विधानसभा स्पीकर को इस तरह के निर्देश नहीं दे सकता। न्यायधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने इस मुद्दे पर भिन्नता दिखाते हुए विधानसभा स्पीकर को दो सप्ताह के भीतर निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने पर उचित निर्णय लेने के आदेश जारी किए।

मुद्दे पर सहमति न होने पर तीसरा जज लेगा फैसला

खंडपीठ में इस मुद्दे पर सहमति न होने के कारण खंडपीठ ने इस मुद्दे पर निर्णय हेतु तीसरे न्यायाधीश के पास सुनवाई के लिए मामला रखने का आदेश पारित किया। अब तीसरे न्यायाधीश के फैसले पर यह निर्भर करेगा कि विधानसभा स्पीकर को इस्तीफे मंजूर करने संबंधी आदेश कोर्ट द्वारा जारी किए जा सकते हैं या नहीं।

विधायकों की बाहरी दबाव की हो जांच

मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई थी। गौरतलब है कि तीन निर्दलीय विधायकों ने उनके इस्तीफे मंजूर न करने के खिलाफ याचिका दायर की थी। विधानसभा स्पीकर ने इस्तीफे मंजूर करने की बजाए पहले विधायकों पर बाहरी दबाव होने की जांच करना जरूरी समझा।

इस्तीफे को बैक डेट से मंजूरी के दिए आदेश

इस दौरान इन विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन कर कर ली और इस्तीफे बैक डेट से मंजूर करवाने के आदेशों की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। निर्दलीय विधायकों का कहना था कि उन्होंने खुद जाकर स्पीकर के समक्ष इस्तीफे दिए, राज्यपाल को इस्तीफे की प्रतिलिपियां सौंपी।

याचिका में कही ये बात

विधानसभा के बाहर इस्तीफे मंजूर न करने को लेकर धरने दिए और हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया तो उन पर दबाव में आकर इस्तीफे देने का प्रश्न उठाना किसी भी तरह से तार्किक नहीं लगता और इसलिए इससे बढ़कर उनकी स्वतंत्र इच्छा से बड़ा क्या सबूत हो सकता है।

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स्पीकर के इस्तीफा मंजूर को बताया दुर्भावना

प्रार्थियों ने कहा कि उनके इस्तीफे मंजूर न करने की दुर्भावना स्पीकर के जवाब से जाहिर है जिसके तहत उन पर दबाव में आकर राज्यसभा चुनाव के दौरान बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के गलत आरोप लगाए गए हैं।

प्रार्थियों का कहना था कि यदि स्पीकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए उनके इस्तीफे मंजूर नहीं करता तो हाईकोर्ट के पास यह शक्तियां हैं कि वह जरूरी आदेश पारित कर उनके इस्तीफों को मंजूरी दे।

सुरक्षा में आकर सौंपे इस्तीफे

स्पीकर का कहना था कि कोर्ट के पास स्पीकर की कार्यवाही की न्यायिक विवेचना का अधिकार नहीं है। निर्दलीय विधायकों पर दबाव को दर्शाते हुए कहा गया था कि राज्यसभा चुनाव के बाद ये निर्दलीय विधायक सीआरपीएफ की सुरक्षा में प्रदेश से बाहर रहे और इसी सुरक्षा में आकर अपने इस्तीफे सौंपे।

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