विकसित भारत का आधार तैयार करेंगे नए रेल गलियारे, उत्तर प्रदेश और बिहार से मुंबई-दिल्ली जाने वालों की सहज होगी यात्रा
रेलवे के प्रस्तावित तीन नए गलियारों से विकसित भारत का आधार तैयार होगा। इसके तहत देश में कुल 40 हजार किमी लंबे ट्रैक बिछाए जाएंगे। इससे उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड जैसे बड़ी आबादी वाले राज्यों से मुंबई दिल्ली हैदराबाद एवं बेंगलुरु समेत वैसे शहरों में आवागमन के प्रवाह को गति-सहजता और सुरक्षा मिलेगी जिस पर अभी ज्यादा भीड़ एवं आपाधापी होती है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। रेलवे के प्रस्तावित तीन नए गलियारों से विकसित भारत का आधार तैयार होगा। इसके तहत देश में कुल 40 हजार किमी लंबे ट्रैक बिछाए जाएंगे। तीनों गलियारे वर्तमान में सक्रिय दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से अलग होंगे और माल ढुलाई के साथ यात्रियों के लिए भी उपयोगी साबित होंगे। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे बड़ी आबादी वाले राज्यों से मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद एवं बेंगलुरु समेत वैसे शहरों में आवागमन के प्रवाह को गति-सहजता और सुरक्षा मिलेगी, जिस पर अभी ज्यादा भीड़ एवं आपाधापी होती है।
पिछले दो वर्षों से काम कर रहा था रेल मंत्रालय
रेलवे से जुड़े सूत्रों के अनुसार रेल मंत्रालय तीनों नए गलियारों की योजना पर पिछले दो वर्षों से काम कर रहा था। इसके लिए लगभग 18 मंत्रालयों से विमर्श करके संयुक्त प्रस्ताव बनाया गया। अभी प्रारंभ है। प्रस्ताव आया है। प्रारंभिक लागत का अनुमान लगभग 11 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि, यह अंतिम राशि नहीं है। काम शुरू होगा तो राशि बढ़ भी सकती है। तीनों गलियारों से 434 छोटे-बड़े प्रोजेक्ट भी जुड़े होंगे। इनके सहारे ही गलियारों पर काम आगे बढ़ेगा। डीपीआर बनाने से पहले संबंधित राज्य सरकारों से भी बातें होंगी।
रेल मार्गों पर भीड़ कम करने में मिलेगी मदद
मल्टी-माडल कनेक्टिविटी को सक्षम बनाने के लिए पीएम गति शक्ति के तहत तीनों गलियारों का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इससे लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार और लागत में कमी आएगी। ट्रेनें समय पर चलेंगी। कैंसिल नहीं होगी। रेल मार्गों पर भीड़ कम करने में मदद मिलेगी। बुनियादी संरचना के विकास से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। देश की आर्थिक वृद्धि कई गुना तेज होगी। तीनों गलियारे की विशेषता भिन्न एवं विशिष्ट होगी।
क्या है तीनों गलियारा?
पहला है ऊर्जा, खनिज एवं सीमेंट गलियारा, जो सड़कों से उत्पन्न प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा। इससे लॉजिस्टिक लागत में भी कमी आएगी। दूसरा है बंदरगाह कनेक्टिविटी जो मल्टी-माडल 'गति शक्ति' तरीके से रेलवे के माध्यम से बंदरगाहों को निर्बाध संपर्कता प्रदान करेगी।
तीसरा है अमृत चतुर्भुज। यह अधिक दबाव वाले रेलवे नेटवर्क पर स्वर्णिम चतुर्भुज की तरह होगा। इन तीनों गलियारों के तहत लगभग 40 हजार किमी नया ट्रैक बिछाया जाएगा, जिससे रेलवे की क्षमता बढ़ेगी। साथ ही प्रदूषण में कमी आएगी, क्योंकि रेलवे प्रभावी तरीके से 90 प्रतिशत तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन बचा सकता है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में कुशल, उत्पादक और टिकाऊ तरीके से बड़ा परिवर्तन आएगा।
पिछले दस वर्षों में बदला रेलवे का स्वरूप
पिछले दस वर्षों में रेलवे का प्रतिमान बदला है। अब पूरा ध्यान नई क्षमता और तकनीक प्राप्त करने के साथ-साथ सुरक्षा को प्राथमिकता देने पर पर केंद्रित किया गया है। इसी का नतीजा है कि दस वर्षों में 26 हजार किमी ट्रैक बनाए गए हैं। नए वर्जन की ट्रेनें बनाई जा रही हैं और यात्रा को सुरक्षित करने के लिए कवच प्रणाली पर तेजी से काम किया जा रहा है।
वेटिंग लिस्ट की समस्या से मिलेगी निजात
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने आश्वस्त किया है कि तीनों रेल गलियारे के पूरे हो जाने के बाद वेटिंग लिस्ट की समस्या खत्म हो जाएगी। ट्रैक बिछाने का काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। पहले प्रतिदिन लगभग चार किमी ट्रैक बिछाए जाते थे, जो अब बढ़कर प्रतिदिन लगभग 15 किमी हो गया है। पिछले वर्ष 5,200 किमी नए ट्रैक जोड़े गए थे। इस बार 5,500 किमी ट्रैक पर काम चल रहा है।
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