चिंताजनक! दिल्ली बन रही अर्बन हीट आइलैंड, बढ़ रहा गर्मी और लू का प्रकोप; रिपोर्ट ने उड़ाए होश
इसे जलवायु परिवर्तन का असर कहें या ग्लोबल वार्मिंग का प्रकोप... लेकिन देश की राजधानी साल दर साल हीट आइलैंड बन रही है। दिल्ली के बहुत से इलाकों में तापमान और गर्मी का एहसास कहीं ज्यादा रहता है जबकि कुछ इलाकों में यह अपेक्षाकृत कम बना रहता है। 2022 में राजधानी की गर्मी ने अप्रैल में 72 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। इसे जलवायु परिवर्तन का असर कहें या ग्लोबल वार्मिंग का प्रकोप... लेकिन देश की राजधानी साल दर साल हीट आइलैंड बन रही है। दिल्ली के बहुत से इलाकों में तापमान और गर्मी का एहसास कहीं ज्यादा रहता है जबकि कुछ इलाकों में यह अपेक्षाकृत कम बना रहता है।
मौसम विभाग से मिले आंकड़ों के आधार पर तैयार दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की रिपोर्ट बताती है कि बढ़ती आबादी एवं निम्न आय वर्ग के लोगों की बहुतायात के कारण दिल्ली में साल दर साल गर्मी का एहसास बढ़ रहा है। वैसे तो यहां गर्मी मार्च से शुरू हो जाती है, लेकिन अप्रैल से जून के दौरान अपने चरम पर रहती है।
2022 में राजधानी की गर्मी ने अप्रैल में 72 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इसी तरह 2021 में दिल्ली में सिर्फ तीन ही दिन लू चली थी। वहीं, 2022 में लू वाले दिनों की संख्या 17 पहुंच गई थी।
1991 से 2020 के दौरान दिल्ली में गर्मियों के दौरान माहवार औसत अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान (डिग्री से.)
मार्च अप्रैल मई जून जुलाई
अधिकतम 29.9 36.5 39.9 39.0 35.6
न्यूनतम 15.6 21.3 25.8 27.7 27.5
2011 से 2022 तक किस वर्ष कितने दिन चली लू
वर्ष लू वाले दिन
2011 0
2012 11
2013 07
2014 07
2015 03
2016 02
2017 09
2018 06
2019 08
2020 04
2021 03
2022 17
दिल्ली में गर्मी और लू के हॉटस्पॉट
एमसीडी जोन - नरेला जोन और नजफगढ़ जोन
वार्ड - हरकेश नगर, ख्याला, वजीरपुर, बिजवासन, विश्वास नगर, हरी नगर, जहांगीरपुरी, दिल्ली गेट, शास्त्री पार्क
क्या है अर्बन हीट आइलैंड?
जब किसी शहर में आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले तापमान में अधिक बढ़ोतरी हो जाती है, उसे अर्बन हीट आइलैंड कहते है। इसकी बड़ी वजह है इंसानी गतिविधियां। किसी भी शहर को हीट आइलैंड बनने में सबसे अहम रोल होता है उसकी बसावट का। वो शहर किस तरह का है, वहां इमारते कैसी हैं और उसे किस तरह से डिजाइन किया गया है. यही बातें सबसे बहम होती हैं। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में तापमान बढ़ने और इनके हीट आइलैंड में तब्दील होने में भी यही फैक्टर जिम्मेदार हैं।
कोई शहर हीट आइलैंड क्यों बन जाता है?
शहरों के हीट आइलैंड बनने की दो सबसे बड़ी वजह हैं. पहली, वहां की इमारतों की बनावट। दूसरी, हरियाली का कम होना और जलाशयों का दायरा घटना। कंक्रीट की ऊंची बिल्डिंग, इनमें लगे एयरकंडीशनर से निकलने वाली गर्मी, शहरों में ट्रैफिक के कारण बढ़ती गर्मी। सिर्फ यही नहीं बिल्डिंग में ईंट की जगह शीशे और स्टील का बढ़ता इस्तेमाल भी गर्मी के असर को बढ़ाने में मदद करता है। यह सब चीजें मिलकर एक शहर को हीट आइलैंड में तब्दील कर देती हैं।
शीत लहर से ज्यादा घातक है बढ़ती गर्मी
दिल्ली में प्री-मानसून में लू और मानसून में हीट इंडेक्स लोगों के लिए घातक बनते जा रहे हैं। राजधानी अर्बन हीट आइलैंड में बदल रही है। गर्मियों के दौरान कुछ हिस्सों में तो तापमान 48 और 49 डिग्री तक दर्ज हो रहा है। हीट स्ट्रोक के शिकार लोगों की संख्या भी साल- दर- साल बढ़ती जा रही है।
कैसे कम होगी यह गर्मी?
शहरों में ऐसे हीट आइलैंड न बने, इसका सबसे बड़ा उपाय है चारों तरफ हरियाली यानी पेड़-पौधों की संख्या को बढ़ाना। खुली जगहों पर पौधे लगाकर तापमान में कमी लाई जा सकती है। इसके लिए टैरेस गार्डन और किचन गार्डन बनाए जा सकते हैं। छत पर सफेद रंग से पुताई करा सकते है। ऐसे कई तरीकों को अपनाकर गर्मी के असर को कम किया जा सकता है। इसके अलावा ऐसी चीजों के इस्तेमाल को बढ़ावा दें जो एनर्जी की खपत को कम करें। एसी का जरूरत भर ही इस्तेमाल करें। जहां पर पंखे और कूलर से काम चल सकता है, वहां इनका ही इस्तेमाल करें।