नोएडा में एक बिल्डर की दो कंपनी के खेल में फंसे 2200 फ्लैट खरीदार, 2022 में हुई थी दिवालिया घोषित
जनारा होम्स सोसायटी के 2200 खरीदार बिल्डर की दो कंपनियों के फेर में फंसे हुए हैं। उनका आरोप है कि दिवालिया घोषित हुए अजनारा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अजनारा होम्स का निर्माण एपीवी प्रा. लि. के नाम से कराया। बिल्डर की चालबाजी और डमी कंपनी से बनाई परियोजना में 2200 खरीदार बुरी तरह से फंस चुके हैं। पार्किंग में स्टोर बनाकर बिल्डर ने कब्जा किया हुआ है।
प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अजनारा होम्स सोसायटी के 2200 खरीदार बिल्डर की दो कंपनियों के फेर में फंसे हुए हैं। खरीदारों का आरोप है कि दिवालिया घोषित हुए अजनारा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अजनारा होम्स का निर्माण एपीवी प्रा. लि. के नाम से कराया। अजनारा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी वर्ष 2022 में दिवालिया घोषित हो चुकी है।
आइआरपी (इंसोलवेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस) का कहना है कि यह परियोजना दिवालिया प्रक्रिया में शामिल नहीं है। बतौर आइआरपी अजनारा प्राइवेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी दिवालिया घोषित हुई है। जबकि अजनारा होम्स परियोजना को निर्माण एपीवी प्राइवेट लिमिटेड ने किया है।
इसी के तहत यह परियोजना दिवालिया प्रक्रिया में नहीं आती है। निवासियों के अनुसार सोसायटी में बेसमेंट और पार्किंग अधूरी है। जगह-जगह कचरे के ढ़ेर लगे हुए हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के नोटिस पर बिल्डर दिवालिया होने की बात कहते हुए लंबित कार्यों को पूरा नहीं कर रहा है।
पार्किंग में स्टोर बनाकर बिल्डर ने किया कब्जा
बिल्डर की चालबाजी और डमी कंपनी से बनाई परियोजना में 2200 खरीदार बुरी तरह से फंस चुके हैं। पार्किंग में स्टोर बनाकर बिल्डर ने कब्जा किया हुआ है। सोसायटी के मार्केट में अवैध कियोस्क बनाकर अवैध वसूली की जा रही है। सोसायटी में क्लब बनाने का काम अभी शुरू नहीं हुआ।
किड्स प्ले एरिया की जगह पर खाली जगह है। छतों पर टाइल्स नहीं हैं। आग बुझाने के इंतजाम नहीं होने से प्रबंधन के खिलाफ केस दर्ज है। यहां जो आग बुझाने के उपकरण हैं उनकी मियाद पूरी हो चुकी है। हजारों लोगों की जान को खतरा है। टावरों से प्लास्टर गिर रहा है।
600 से ज्यादा फ्लैटों की लंबित है रजिस्ट्री
शिकायतों का मेंटनेंस में समाधान नहीं होता है। सुरक्षा निम्न स्तर की है। सोसायटी के अंदर से वाहनों से पेट्रोल और पार्ट्स चोरी हो जाते हैं। स्विमिंग पूल कुछ दिन चालू रहा अब बंद हो गया। सोसायटी के बाहर खुले क्षेत्र में पार्किंग लोगों के लिए आवंटित कर दी गईं हैं।
आपात स्थिति में सूचना देने के लिए किसी भी मंजिल पर पब्लिक अनाउंसमेंट नहीं हैं। कुछ इस तरह की परेशानियों से ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अजनारा होम्स सोसायटी में फ्लैट खरीदार जूझ रहे हैं। प्राधिकरण की ओर से इन समस्याओं को हल नहीं किया गया। 600 से ज्यादा फ्लैटों की रजिस्ट्री यहां लंबित हैं। बिल्डर के दिवालिया होने के बाद से खरीदारों की मुसीबतें और बढ़ गईं हैं।
सोसायटी को जानें
- वर्ष 2010 में अजनारा होम्स परियोजना का निर्माण शुरू हुआ
- 15 एकड़ में बनी इस परियोजना के 17 टावरों में 2300 फ्लैट हैं
- दो टावरों में यहां पजेशन देना अब शुरू हुआ है
- वर्ष 2022 में अजनारा इंडिया प्रा. लि. के दिवालिया घोषित होने पर निर्माण कार्य बंद हुआ
- आइआरपी ने अजनारा की इस परियोजना को दिवालिया प्रक्रिया में शामिल नहीं किया है
ये पांच बड़ी समस्याएं
- एनपीसीएल के नोटिस के बाद भी प्रीपेड मीटर से मेंटेनेंस कट रहा है
- 600 से ज्यादा फ्लैटों की रजिस्ट्री सोसायटी में लंबित हैं
- बेसमेंट अधूरा है और कार पार्किंग तक के इंतजाम नहीं हैं
- किड्स प्ले एरिया परियोजना में दिखाया गया जो अभी तक नहीं बनाया गया
- आग बुझाने के उपकरण और इंतजाम नहीं होने से प्रबंधन पर केस दर्ज है
सोसायटी एओए को हैंडओवर नहीं की जा रही है। हैंडओवर से बचने के लिए बिल्डर ने डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय में आपत्ति दर्ज करा रखी है। एओए को बिल्डर पंजीकृत नहीं होने दे रहा है।
चंदन सिन्हा, एओए अध्यक्ष
बिल्डर प्राधिकरण में खातों को आइआरपी द्वारा हैंडल करने की बात कहता है। आइआरपी इस परियोजना को अपने अधीन नहीं बताते हैं। परियोजना कब और कैसे पूरी होगी यह कोई नहीं बता रहा।
दिनकर पांडेय
परियोजना में गोल्फ कार्ट की सुविधा दर्शायीं गई थीं। इनका कुछ अता पता नहीं है। किड्स प्ले एरिया अभी तक विकसित नहीं हुआ है। अब बच्चे भी बड़े हो गए हैं। स्विमिंग पूल भी पूर्ण रूप से संचालित नहीं हो सका है।
अंकित मिश्रा
पार्किंग को लेकर सबसे बड़ी समस्या है। बेसमेंट में पार्किंग नहीं बनने से आवंटित ही नहीं की गई है। हर रोज पार्किंग के लिए नई जगह खोजनी पड़ती है। ओपन पार्किंग में गाड़ी खड़ी करना मजबूरी है।
तपेंद्र ठाकुर
बेसमेंट में जगह-जगह कचरे के ढेर हैं और पानी जमा है। दुर्गंध से जाना मुश्किल होता है। कई दिनों तक बोरों में भरा कचरा यहां पर रखा रहता है। इस कचरे को बाहर नहीं फेंका जाता है।
राजकमल मिश्रा
टावर की ओसी-सीसी नहीं मिलने से फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हुई है। अभिताभ कांत समिति की सिफारिशों को मानते हुए बिल्डर बकाए का 25 प्रतिशत जमा करने वाली स्थिति में भी नहीं हैं।
आलोक कुमार
सोसायटी के अंदर आवारा कुत्तों का आतंक है। बच्चे पार्क में खेलने नहीं जा सकते हैं। बेसमेंट में आवारा कुत्ते लोगों को कहीं से भी हमला कर देते हैं। कुत्ते कई बच्चों और बुजुर्गों को काट चुके हैं।
जेपी श्रीवास्तव
एनपीसीएल के नोटिस के बाद भी मेंटेनेंस प्रीपेड मीटर से काटा जा रहा है। प्रबंधन लोगों की शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल देता है। कामन एरिया बना नहीं है उसका भी चार्ज वसूला जा रहा है।
भारतेंदु शेखर
हमारी कंपनी ने यहां पर हाल में रखरखाव की व्यवस्था संभाली है। परियोजना के दिवालिया प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं है। सभी दस्तावेजों को अभी हम लोागें ने देखा नहीं है। सोसायटी की वास्तविक स्थिति क्या है और लंबित कार्यों को पूरा कराने के बारे में मेरी ओर से कुछ नहीं कहा जा सकता है।
एसएल त्रिपाठी, एस्टेट मैनेजर अजनारा होम्स
प्रवेंद्र सिंह सिकरवार