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Munger Lok Sabha Seat: मुंगेर में Lalu Yadav के 'एमवाई' समीकरण का लिटमस टेस्ट, Lalan Singh को दे पाएंगे टक्कर?

मुंगेर से 1952 से लेकर 2024 तक यादव समाज से पांच बार सांसद चुने गए हैं। इसमें सर्वाधिक तीन बार डीपी यादव एक बार विजय कुमार विजय तथा एक बार 2004 में जयप्रकाश नारायण यादव लोकसभा चुनकर पहुंचे। इसमें डीपी यादव तथा जयप्रकाश नारायण यादव केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय से एक भी व्यक्ति अब तक संसद भवन तक नहीं पहुंच पाया है।

By Rajnish Kumar Edited By: Rajat Mourya Published: Fri, 10 May 2024 04:10 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2024 04:10 PM (IST)
मुंगेर में Lalu Yadav के 'एमवाई' समीकरण का लिटमस टेस्ट, Lalan Singh को दे पाएंगे टक्कर?

मनीष कुमार, मुंगेर। मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में इस बार राजद के एमवाई (यादव-मुस्लिम) समीकरण का लिटमस टेस्ट होने वाला है। यादव और मुस्लिम राजद का कोर वोटर रहा है पर 2004 के बाद से अब तक राजद ने मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से किसी भी यादव समाज के अलावा मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को प्रत्याशी नहीं बनाया है।

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2009 में राजद ने धानुक समाज के रामबदन राय को प्रत्याशी बनाया। जिसे जदयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने 1.89 लाख मतों के भारी अंतर से पराजित किया। इसके बाद 2014 में राजद ने दोबारा धानुक समाज के प्रगति मेहता को अपना प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में प्रगति मेहता मुकाबले में भी नहीं आ सके।

इस चुनाव में एनडीए से लोजपा प्रत्याशी वीणा देवी और जदयू प्रत्याशी राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के बीच मुकाबला हुआ। इसमें वीणा देवी को जीत मिली। 2019 के चुनाव में गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के पास चली गई। इसमें कांग्रेस की नीलम देवी व जदयू के राजीव रंजन सिंह के बीच मुकाबला हुआ। इसमें ललन सिंह 1.67 लाख मतों के अंतर से जीते।

इस बार फिर मुंगेर सीट राजद के खाते में है तथा राजद ने धानुक समाज की कुमारी अनीता को अपना प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में यह देखना है कि राजद अपने परंपरागत वोटरों को कुमारी अनीता के पक्ष में शिफ्ट कर पाता है अथवा नहीं।

बता दें कि मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या लगभग दो लाख तथा मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 90 हजार है। ऐसे में राजद धानुक व कुर्मी वोटरों के भरोसे चुनाव जीतने की जुगत लगा रहा है, लेकिन धानुक व कुर्मी समाज के वोटर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को छोड़ कर राजद के साथ जाएंगे, इसमें संदेह है।

विगत 15 वर्ष से अपने समाज के प्रत्याशी नहीं मिलने के बावजूद यादव व मुस्लिम समुदाय के लोग कुमारी अनीता को वोट करेंगे, यह कहना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।

यादव समाज से पांच बार चुने गए हैं सांसद

मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से 1952 से लेकर 2024 तक यादव समाज से पांच बार सांसद चुने गए हैं। इसमें सर्वाधिक तीन बार डीपी यादव, एक बार विजय कुमार विजय तथा एक बार 2004 में जयप्रकाश नारायण यादव लोकसभा चुनकर पहुंचे। इसमें डीपी यादव तथा जयप्रकाश नारायण यादव केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय से एक भी व्यक्ति अब तक मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से संसद भवन तक नहीं पहुंच पाया हैं। 2004 के बाद से अब तक न तो यादव समाज से और न ही मुस्लिम समुदाय से राजद ने किसी व्यक्ति को संसदीय चुनाव में उम्मीदवार बनाया है।

हालांकि, दो बार धानुक समाज से उम्मीदवार देकर जदयू के परंपरागत वोटों को बांटने तथा इसके आधार पर समीकरण तैयार कर चुनाव जीतने का जुगाड़ लगाया पर अब तक किसी भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली।

इस बार यह देखना है की राजद धानुक समाज से प्रत्याशी देकर लव-कुश समाज के कितने मतदाताओं को अपने पक्ष में वोट कराने में सफलता प्राप्त करता है अथवा पूर्व की तरह ही इस बार भी राजद का यह प्रयोग बेकार साबित हो जाएगा। वही यह भी देखना है कि यादव तथा मुस्लिम समुदाय के लोग अपने समाज से प्रत्याशी नहीं होने के बावजूद राजद के पक्ष में उत्साह से मतदान करते हैं अथवा उनके उत्साह में कमी आई है।

अगड़ा बनाम पिछड़ा का होता है प्रयास

मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में नए परिसीमन के बाद सवर्ण मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक लगभग साढ़े सात लाख से अधिक है। यदि कहें तो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का चार विधानसभा क्षेत्र बाढ़, मोकामा, लखीसराय व सूर्यगढ़ा को सवर्ण बाहुल्य माना जाता है। वहीं, पूरे लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी लगभग पौने चार लाख है। इसमें से धानुक व कोइरी-कुर्मी समाज परंपरागत रूप से जदयू व भाजपा का वोटर रहा है।

ऐसे में राजनीतिक रूप से माय समीकरण के माध्यम से यहां राजद के लिए जीत हासिल कर पाना नामुमकिन हो जाता है। ऐसे में राजद का हमेशा प्रयास होता है कि इस क्षेत्र से पिछड़ा वर्ग से ही उम्मीदवार दिया जाए, ताकि पिछड़ी जाति के वोटरों को विभाजित कर किसी तरह जीत हासिल किया जा सके। 2009 से लेकर अब तक के लोकसभा आम चुनाव में राजद के प्रत्याशियों के चयन को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है।

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