Haryana Politics: विधानसभा की तैयारी के लिए लोकसभा चुनाव लड़ रही जजपा और इनेलो, कांग्रेस ने दोनों को बताया 'वोट काटू'
हरियाणा में जजपा और इनेलो भले ही लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी ठोक रही हैं। लेकिन दोनों पार्टियों का मुख्य फोकस हरियाणा विधानसभा चुनाव पर है। जननायक जनता पार्टी ने प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जबकि इनेलो ने सात लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं कुरुक्षेत्र के उपचुनाव में सीएम सैनी के खिलाफ दोनों ही पार्टियों ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा के चुनावी रण में ताल ठोक रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की निगाह विधानसभा चुनाव पर अधिक है। इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को मजबूती से लड़ने के लिए ही यह दोनों दल लोकसभा चुनाव लड़ने की औपचारिकता निभा रहे हैं।
हिसार लोकसभा सीट पर जजपा की निगाहें
जजपा का मुख्य फोकस हिसार लोकसभा सीट पर है, जबकि इनेलो का फोकस हिसार के साथ-साथ कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर है। बाकी लोकसभा सीटों पर दोनों दल अपने-अपने वोट बैंक को संगठित करने के साथ ही ऐसे हलकों को चिन्हित करने का काम करेंगे, जहां उन्हें अधिक मेहनत करने की जरूरत होगी। हरियाणा में भाजपा के साथ साढ़े चार साल तक सरकार में साझेदार रही, जननायक जनता पार्टी ने प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
इनेलो ने सात लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जबकि करनाल लोकसभा सीट (Karnal loksabha Seat) पर एनसीपी के उम्मीदवार मराठा वीरेंद्र वर्मा को समर्थन दिया है। जजपा व इनेलो दोनों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के खिलाफ करनाल विधानसभा के चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़े नहीं किए हैं।
कांग्रेस ने लगाए जजपा और इनेलो पर आरोप
कांग्रेस पहले ही आरोप लगा चुकी है कि जजपा व इनेलो जाटों के वोट काटने के लिए लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, हालांकि दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) और अभय चौटाला (Abhay Chautala) कांग्रेस के इस आरोप से बिल्कुल सहमत नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से जजपा ने सिर्फ हिसार और इनेलो ने हिसार व कुरुक्षेत्र लोकसभा सीटों पर अपना पूरा फोकस कर रखा है, उसे देखकर लग रहा है कि बाकी लोकसभा सीटें इन दोनों दलों की प्राथमिकता सूची में शामिल नहीं हैं।
अभय और दुष्यंत चौटाला के लिए हिसार सीट चुनौती
हिसार में जजपा की टिकट पर बाढड़ा की विधायक नैना चौटाला चुनाव लड़ रही हैं, जबकि इनेलो की टिकट पर पार्टी की महिला विंग की प्रदेश महासचिव सुनैना चौटाला (Sunaina Chautala) ताल ठोक रही हैं। हिसार से चूंकि दुष्यंत चौटाला सांसद रह चुके हैं, इसलिए अभय सिंह और दुष्यंत चौटाला दोनों के लिए इस सीट को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है। यह अलग बात है कि दुष्यंत चौटाला इनेलो के टिकट पर ही सांसद बने थे।
एक-दूसरे का प्रभाव खत्म करने में जुटे इनेलो और जजपा
इनेलो व जजपा अब दोनों अलग-अलग राजनीति करते हैं। दुष्यंत चौटाला अपनी माता को सांसद बनवाकर हिसार में अपना राजनीतिक प्रभाव कायम रखना चाहते हैं, जबकि अभय सिंह चौटाला की इच्छा दुष्यंत चौटाला का प्रभाव खत्म करते हुए अपना प्रभाव कायम करने की है इसीलिए उन्होंने सुनैना चौटाला को हिसार के रण में उतारा है।
भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर भी जजपा का ध्यान
जजपा का थोड़ा-बहुत ध्यान भिवानी-महेंद्रगढ़ की सीट पर है, जहां से अजय चौटाला सांसद रह चुके हैं, लेकिन वे भी इनेलो की टिकट पर ही सांसद रहे हैं। यहां जजपा ने अब पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह को टिकट दिया है। कुरुक्षेत्र में इनेलो के टिकट पर अभय सिंह चौटाला स्वयं चुनाव लड़ रहे हैं। अभय सिंह चौटाला कभी चुनाव लड़ने से नहीं डरते। उन्होंने कुरुक्षेत्र से अपने बेटे अर्जुन चौटाला को भी चुनाव लड़वाया है।
कुरुक्षेत्र सीट पर इनेलो का पूरा फोकस
कुरुक्षेत्र में इनेलो का एक समय बहुत प्रभाव हुआ करता था। यहां से कैलाशो सैनी इनेलो के टिकट पर सांसद रह चुकी हैं। इसलिए अभय चौटाला की कोशिश कुरुक्षेत्र में भाजपा के नवीन जिंदल और आईएनडीआईए गठबंधन के डॉ. सुशील गुप्ता (Sushil Kumar Gupta) से आगे निकलने की है। ऐसे में इनेलो का पूरा फोकस कुरुक्षेत्र में बना हुआ है।
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इनेलो व जजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि बाकी लोकसभा सीटों पर चुनाव जरूर लड़ा जा रहा है, जिसका फायदा यह होगा कि विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार तलाश करने के साथ ही यह आकलन करने में मदद मिलेगी कि दोनों दलों को किस विधानसभा क्षेत्र में किस रणनीति के तहत आगे बढ़ना है।
हुड्डा लोकसभा चुनाव पर रखेंगे विधानसभा चुनाव की नींव
हालांकि कांग्रेस का फोकस भी लोकसभा की बजाय विधानसभा चुनाव पर अधिक है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deependra Singh Hooda) जिस तरह टिकटों के आवंटन में सिरमौर साबित हुए हैं, उसे देखकर लग रहा है कि हुड्डा लोकसभा चुनाव की नींव पर विधानसभा चुनाव का भवन तैयार करना चाहते हैं।
काम कर गया भाजपा का प्लान
भारतीय जनता पार्टी ने सोची समझी रणनीति के तहत लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव नहीं कराए हैं। भाजपा यदि चाहती तो लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करा सकती थी, लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों खासकर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लोकसभा के बाद ही विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार की है। इसके पीछे सोच यह है कि कांग्रेस, जजपा व इनेलो को लोकसभा चुनाव में इतना थका दो कि विधानसभा चुनाव में उनके सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो जाए।
यही वजह है कि भाजपा की रणनीति को भांपते हुए उसके विरोधी दल लोकसभा में कम ऊर्जा खर्च कर रहे हैं। उनका पूरा ध्यान विधानसभा चुनाव पर बना हुआ है।
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