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Millet Farming: बिहार के इस जिले में मिलेट्स की बहार, मोटे अनाज की खेती ने फिर पकड़ी रफ्तार; सरकार दे रही विशेष ध्यान

Millet Farming in Bihar बिहार का खगड़िया जिला कभी मिलेट्स यानी मोटे अनाज के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था। खरीफ के मौसम में यहां बड़ी मात्रा में रागी ज्वार-बाजार काैनी खैरी आदि कि खेती होती थी। हालांकि कालांतर में इसका रकबा कम होता चला गया। हालांकि अब सरकार के ध्यान देने के बाद पोषक तत्व वाले मोटे अनाज की खेती ने एक बार फिर जोर पकड़ा है।

By Amit Jha Edited By: Mohit Tripathi Published: Fri, 10 May 2024 03:46 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2024 03:46 PM (IST)
पेज तीन का टाप बाक्स = खरीफ में 680 क्विंटल बीज अनुदानित दर पर किसानों के बीच वितरित किए जाएंगे

जागरण संवाददाता, खगड़िया। Millet Farming in Bihar । फरकिया अथवा खगड़िया कभी पोषक तत्व वाले मोटे अनाज की खेती को लेकर प्रसिद्ध रहा। यहां बड़ी मात्रा में रागी(मड़ुआ), ज्वार-बाजार, काैनी, खैरी आदि कि खेती होती थी।

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मुख्य रूप से खरीफ के मौसम में इन फसलों की खेती की जाती थी। वहीं, बाढ़ के मौसम में, खेतों में बालू बिछ जाता था, तो किसान आराम से मड़ुआ उपजा लेते थे।

कालांतर में इसकी खेती का रकबा कम होता चला गया। शौकिया तौर पर कुछेक किसान इसकी खेती करते रहे। हालांकि अब पोषक तत्व वाले मोटे अनाज की खेती ने जोर पकड़ा है।

मोटे अनाज के उत्पादन पर सरकार का विशेष ध्यान

मोटे अनाज के उत्पादन पर सरकार अब विशेष ध्यान दे रही है। सरकार ने जब से इस पर ध्यान दिया है, तबसे विभागीय स्तर पर इसकी खेती को लेकर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मोटे अनाज की खेती को हर स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिला कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र खगड़िया, दोनों की ओर से अधिक पोषक तत्व वाले मोटे अनाज की खेती पर जोर है।

इधर बीते वर्ष खरीफ के माैसम में सिर्फ अमनी पंचायत में, 25 एकड़ में मड़ुआ की खेती की गई। कौनी की 10 एकड़ और खैरी की 25 एकड़ में खेती हुई।

क्या कहते हैं स्थानीय किसान?

यहां के प्रगतिशील किसान प्रमोद कुमार सिंह कहते हैं कि एक एकड़ में मड़ुआ की खेती की थी। मजदूरी आदि मिलाकर लागत खर्च चार हजार आया। उपज 15 मन हुआ। शुरुआत में 60 और बाद में 80 रुपए किलो की दर से मड़ुआ बिका। इस बार अमनी में 50 एकड़ में इसकी खेती होगी।

प्रमोद कुमार सिंह के अनुसार, वे दो एकड़ में मड़ुआ की खेती करेंगे। मालूम हो कि अब किराना दुकानों में मड़ुआ और ज्वार के आटे खूब मिल रहे हैं। इसकी बिक्री भी ठीक-ठाक हो रही है।

2625 एकड़ में मोटे अनाज के प्रत्यक्षण का लक्ष्य

जिला कृषि विभाग के अनुसार, इस बार जिले में खरीफ के मौसम में ज्वार, बाजरा, रागी, चीना आदि की फसल का 2625 एकड़ में प्रत्यक्षण किया जाएगा।

जिला कृषि पदाधिकारी विभू विद्यार्थी ने कहा कि, अधिक पोषक तत्व वाले मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

खरीफ में 680 क्विंटल इसके बीज अनुदानित दर पर किसानों के बीच वितरित किए जाएंगे। बीते वर्ष अधिक पोषक तत्व वाले मोटे अनाज की खेती को लेकर कोई लक्ष्य विभागीय स्तर पर नहीं मिला था। इस बार लक्ष्य मिला है। 2625 एकड़ में प्रत्यक्षण किया जाएगा।

क्या कहते हैं अधिकारी? 

दरअसल विपरीत मौसम में भी किसान रागी, ज्वार-बाजरा आदि की खेती कर सकते हैं। इसमें सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती है। कम लागत में अधिक मुनाफा होता है। पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा रहती है। -विपुल मंडल, प्रधान, जिला कृषि विज्ञान केंद्र, खगड़िया।

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