जानें- आखिर कैसे ‘Operation Peace Spring’ कुर्दों के लिए बना है खतरा
अमेरिका के हटने के महज 48 घंटों के अंदर ही तुर्की ने उत्तरी सीरिया में जबरदस्त बमबारी की है। तुर्की को अब कुर्दों को कुचलने का भी सीधा और खुला रास्ता मिल गया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। उत्तरी सीरिया से अमेरिकी फौज के वापस हटने के एलान के 48 घंटों के ही अंदर तुर्की ने सीरिया पर जबरदस्त बमबारी की है। उसने इस Operation Peace Spring का नाम दिया है। इसमें तुर्की का साथ सीरियन नेशनल आर्मी दे रही है। इन दोनों ने मिलकर जो ऑपरेशन छेड़ा है उसका सबसे ज्यादा असर कुर्दों पर ही पड़ने वाला है। बल्कि यह जंग ही सीधेतौर पर उनके खिलाफ छेड़ी गई है। इस जंग से पहले तुर्की राष्ट्रपति ने खुद ट्विट कर कहा कि इसमें आईएस (इस्लामिक स्टेट) और सीरियाई कुर्दीश पीपुल प्रोटेक्शन या YPG को निशाना बनाया जाएगा।
तुर्की का बयान
आपको बता दें कि वाईपीजी को एक कुर्दिस्तान वकर्स पार्टी से संबंधित मानता आया है जो तुर्की में प्रतिबंधित है और आतंकी गतिविधियों में भी शामिल रही है। इसको वहां पर हिंसा के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। अपने ट्विट में इर्दोगन ने कहा कि इस ऑपरेशन का मकसद उनके देश की दक्षिण सीमा पर आईएस समेत दूसरे आतंकी संगठनों के रास्ते को रोकना और क्षेत्र में शांति कायम करना है।
पहले भी किए हैं हमले
आपको यहां पर ये भी बता दें कि कुर्दों के खिलाफ तुर्की ने यह पहली बार जंग नहीं छेड़ी है। इससे पहले भी दो बार वह सीधेतौर पर ऐसा कर चुका है। इससे पहले 2018 में ऑपरेशन ऑलिव ब्रांच और 2016 में ऑपरेशन यूफ्रेट्स शील्ड चलाया था। तुर्की के हवाई हमलों के मद्देनजर सीरियाई कुर्दी फौज ने अगले दो दिन तक हाई अलर्ट की घोषणा कर दी है। इसके अलावा वह अपने लड़ाकों का एकत्रित करने में भी जुटे हैं।
काफी समय से अशांत है इलाका
आपको बता दें कि उत्तरी सीरिया का इलाका काफी लंबे समय से अशांत रहा है। यहां पर इस्लामिक स्टेट ने काफी तबाही मचाई थी। इसके बाद कुर्दों ने अमेरिकी सहयोग से इस्लामिक स्टेट को यहां से उखाड़ फेंका था, लेकिन अब यही उनके लिए मुश्किल सौदा साबित हो रहा है। आईएस के लगभग खात्मे के बाद अमेरिका ने यहां से न सिर्फ अपनी वापसी का एलान कर दिया बल्कि तुर्की को भी किसी भी तरह के ऑपरेशन की खुली छूट दे दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इसी फैसले से अब कुर्द अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। ट्रंप के एलान के साथ ही अमेरिकी फौज ने भी इलाके को खाली करना शुरू कर दिया है, जिसकी वजह से तुर्की को हमले के लिए खुला रास्ता मिल गया है।
हमलों से खलबली
सीरियन डेमोक्रैटिक फोर्सेज जिसका नेतृत्व कुर्द कर रहे हैं उन्होंने कहा है कि तुर्की हवाई हमलों से पूरे क्षेत्र में खलबली मची हुई है। तुर्की के सरकारी चैनल ने भी पांच ऐसी जगहों पर जिक्र किया है जहां पर तुर्की ने भीषण बमबारी की है। यह पांचों जगह उत्तरी सीरिया में तुर्की की सीमा के निकट ही हैं। एक तरफ बुधवार को तुर्की ने हमले शुरू किए तो दूसरी तरफ ट्रंप ने अपने सैनिकों के वापस होने को लेकर ट्विट कर दिया। आपको यहां पर ये भी बता दें कि उत्तरी सीरिया में सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स का दबदबा रहा है, लेकिन अमेरिका के हटने से अब कुर्द अकेले पड़ गए हैं।
साढ़े तीन करोड़ के करीब है आबादी
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस इलाके में कुर्दों की आबादी करीब साढ़े तीन करोड़ के आसपास मानी जाती है। कुर्द पांच देशों में फैले हैं जिनमें इराक, सीरिया, तुर्की, ईरान और अर्मेनिया शामिल हैं। कुर्द इस पूरे क्षेत्र को कुर्दिस्तान का नाम देते हैं जिसकी आजादी के लिए ये काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि इनके संबंध हर देश से ही खराब हैं। इराक में 1992 में पहली बार इराक के एक इलाके में लोकतात्रिंक रूप से कुर्दिस्तान क्षेत्रिय सरकार बनी थी।
ठुकरा चुके हैं जनमतसंग्रह की मांग
अकेले इराक के कुर्दिस्तान इलाके में ही करीब 52 लाख कुर्द रहते हैं। इसके अलावा सीरिया में कुल जनसंख्या का दस फीसद, तुर्की में करीब 19 फीसद और ईरान में दस फीसद की जनसंख्या है। कुर्द ज्यादातर सुन्नी हैं। इसके अलावा भी दूसरे धर्म और समुदाय के लोग इससे जुड़े हुए हैं। इनकी जनमतसंग्रह की मांग को न सिर्फ ईरान, इराक, तुर्की और सीरिया भी कई बार ठुकरा चुका है। वहीं पश्चिमी देशों की भी इसमें आम राय नहीं है। हालांकि कुछ पश्चिमी देशों की राय में कुर्दिस्तान को स्वायत्त राज्य का दर्जा दे दिया जाना चाहिए।
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