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    कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण से दुनिया को मिलेगा ग्रीन प्लास्टिक

    By Srishti VermaEdited By:
    Updated: Mon, 27 Nov 2017 09:40 AM (IST)

    उपलब्धि-वैज्ञानिकों ने एथिलीन गैस बनाने की नई विधि तलाशी, एथिलीन से बनने वाली विभिन्न वस्तुओं के ईको फ्रेंडली विकल्प मिल सकेंगे...

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    कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण से दुनिया को मिलेगा ग्रीन प्लास्टिक

    सिंगापुर (प्रेट्र)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी विधि विकसित कर ली है जो प्रकाश संश्लेषण की तरह क्रिया करती है और एथिलीन गैस के उत्पादन के लिए सूर्य की रोशनी, पानी और कार्बन डाई ऑक्साइड का उपयोग करती है। पॉलीएथिलीन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली एथिलीन गैस का उपयोग प्लास्टिक, रबर और फाइबर बनाने में किया जाता है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि नई प्रणाली से प्लास्टिक का खतरा कम हो सकेगा, साथ ही कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा को भी कम करने में मदद मिलेगी। इसके जरिए एथिलीन से बनने वाली चीजें ईको फ्रेंडली होंगी, यानी ग्रीन प्लास्टिक आदि।

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    नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के शोधार्थियों द्वारा की गई इस खोज से एथिलीन उत्पादन की वर्तमान विधि का पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ विकल्प मिलने की उम्मीद जगी है। वर्तमान में एथिलीन के औद्योगिक उत्पादन में जीवाश्म ईंधन को 750 से 950 डिग्री सेल्सियस के बीच गर्म कर भाप बनाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में अत्याधिक मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है, जिसका असर प्राकृतिक ईंधन पर पड़ता है। इसके
    अलावा एथिलीन बनाने के वर्तमान तरीके का एक और नुकसान यह है कि इससे काफी मात्रा में कार्बन तत्व निकलते हैं। सरल शब्दों में बात करें तो एक टन एथिलीन बनाने में करीब दो टन कार्बन डाई ऑक्साइड मुक्त होती है। एथिलीन के उत्पादन में प्राकृति को पहुंचने वाले नुकसान के चलते ही वैज्ञानिकों ने इसके विकल्प को तलाशने का सोचा और यह विधि तलाश ली।

    क्या कहते हैं आंकड़े : 2015 में दुनियाभर में 17 करोड़ टन एथिलीन का उत्पादन हुआ। 2020 तक इसकी मांग 22 करोड़ टन होने का अनुमान है।

    यह है विधि : वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कॉपर उत्प्रेरक तैयार किया, जो आसानी से उपलब्ध पानी और कार्बन डाई ऑक्साइड को विद्युत की उपस्थिति में एथिलीन में बदल सकता है। बाद में इस कॉपर उत्प्रेरक को कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में प्रयोग किया गया, जिसमें सौर ऊर्जा के जरिए कार्बन डाई ऑक्साइड और पानी को एथिलीन में बदला गया।

    इस तरह पहुंचेगा प्रकृति को लाभ : एनयूएस के जेसन येओ बून सियांग के मुताबिक, मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए यह सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। हमारे द्वारा तैयार यह विधि न केवल पूरी तरह से नवीनीकरण ऊर्जा का स्रोत बनेगी, बल्कि कार्बन डाई ऑक्साइड को ग्रीनहाउस गैस में परिवर्तित कर देगी, जो उपयोगी है।

    एथिलीन के उत्पादन में निकलती है कार्बन डाई ऑक्साइड, अब इसी गैस का इस्तेमाल कर बनाई जाएगी एथिलीन

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