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सिर्फ हमले के लिए नहीं है किम के 'परमाणु हथियार', इससे कहीं अधिक हैं इनके मायने

दुनिया के लिए खतरा बन चुका उत्तर कोरिया अपने हथियारों को हमले के लिए बल्कि किसी और तरह से इस्तेमाल कर रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 30 Oct 2017 03:54 PM (IST)Updated: Wed, 01 Nov 2017 09:07 AM (IST)
सिर्फ हमले के लिए नहीं है किम के 'परमाणु हथियार', इससे कहीं अधिक हैं इनके मायने
सिर्फ हमले के लिए नहीं है किम के 'परमाणु हथियार', इससे कहीं अधिक हैं इनके मायने

नई दिल्‍ली स्‍पेशल डेस्‍क। उत्तर कोरिया के चलते उपजा तनाव एक बार फिर से बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इस बार इसकी वजह बनी है उत्तर कोरिया की वह ड्रिल जो उसने अपने शहर में की है। यह ड्रिल दरअसल युद्ध के हालातों में शहर को जल्‍द से जल्‍द खाली कराने को लेकर करवाई गई है। लिहाजा माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया युद्ध की तैयारियां जोर-शोर से करने में जुटा है। साउथ कोरिया की समाचार एजेंसी के हवाले से एक अंग्रेजी अखबार ने इस बात की जानकारी दी है कि उत्तर कोरिया ने देश की राजधानी प्‍योंगयोंग से अलग इस ड्रिल को अंजाम दिया है। माना यह भी जा रहा है कि यह ड्रिल युद्ध के हालात में कम से कम नुकसान झेलने के लिए की गई है। अमेरिका ने भी इस ड्रिल के बाद युद्ध के खतरे की आशंका जताई है।

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ड्रिल का टाइमिंग चौंकाने वाला

उत्तर कोरिया की तरफ से किए गए इस ड्रिल की टाइमिंग को लेकर भी बातें काफी जोर-शोर से चल रही हैं। दरअसल दो दिन पहले ही अमेरिकी डिफेंस सेक्रेटरी जिम मैटिस साउथ कोरिया में थे। उनका कहना था कि किम जिस तरह से बर्ताव कर रहे हैं उस तरह से उनके द्वारा परमाणु युद्ध छेड़े जाने की आशंका बढ़ गई है। उन्‍होंने यह भी साफ कर दिया है कि अमेरिका किसी भी सूरत से उत्तर को‍रिया को परमाणु शक्ति के तौर पर स्‍वीकार नहीं कर सकता है। उनका कहना था कि उत्तर कोरिया गलत तरीके से अपने परमाणु कार्यक्रम को चलाए हुए है।

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किम एक बड़ी समस्‍या

इस बाबत Jagran.Com से बात करते हुए दक्षिण कोरिया में पूर्व भारतीय राजदूत स्‍कंद एस तायल का कहना है कि इस पूरे विवाद का एक ही हल है कि दुनिया इस बात को मान ले कि उत्तर कोरिया एक परमाणु शक्ति संपन्‍न देश है। उनका कहना है कि इसको लेकर पूरी दुनिया में तनाव कायम है। इस बीच कई देश इस तनाव को खत्म करने की बात जरूर कर रहे हैं लेकिन किम बातचीत के लिए सामने नहीं आना चाहता है। मर्केल भी मध्‍यस्‍थता करने की बात कर चुकी हैं। लेकिन इसको लेकर किम एक बड़ी समस्‍या है। तायल 2008-2011 तक दक्षिण कोरिया में भारतीय राजदूत थे।

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किम के हथियार हैं उसकी इंश्‍योरेंस पॉलिसी

रूस और यूरोप के कई देश इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि उत्तर कोरिया से बढ़ते तनाव के चलते थर्ड वर्ल्र्ड वार छिड़ सकता है लेकिन तायल ऐसा नहीं मानते हैं। उनका साफ कहना है कि उत्तर कोरिया ऐसी कोई गलती नहीं करेगा। न ही वह यह करना चाहता है। उत्तर कोरिया के लिए उसकी परमाणु ताकत एक इंश्‍योरेंस पॉलिसी की तरह है जिसका वह इस्‍तेमाल कर रहा है। वह थर्ड वर्ल्र्ड वार की बात से तो इंकार करते हैं लेकिन वह यह भी मानते हैं कि यदि ऐसा हुआ तो वह एक्‍सीडेंटली ही होगा। यहां पर यह बता देना भी जरूरी होगा कि अमेरिका की तरफ से यह बात स्‍पष्‍ट तौर पर कही गई है कि उत्तर कोरिया की वजह से थर्ड वर्ल्र्ड वार नहीं छिड़ेगा।

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उत्तर कोरिया को हैंडल करने में नाकाम ओबामा

उत्तर कोरिया और अमेरिका में यह तनाव कुछ वर्षों से नहीं है बल्कि बीते दो दशकों से यह तनाव लगभग चरम पर ही रहा है। ऐसे में अमेरिका में सत्‍ता का हस्‍तारण भी हुआ और ओबामा से ट्रंप के हाथों में सत्‍ता भी आई है। यह पूछे जाने पर कि ओबामा ने इस मुद्दे को किस तरह से हैं‍डिल किया था, तायल का कहना था कि तनाव पहले से ही इस मुद्दे पर बना हुआ है। जहां तक ओबामा के इस मुद्दे को हैंडिल करने की बात है तो उनकी नीतियां इसको लेकर कारगर साबित नहीं हुईं। इसकी वजह एक यह भी थी कि चीन ने उनका साथ नहीं दिया। वहीं दूसरी तरफ यदि डोनालड ट्रंप की बात करें तो न सिर्फ वह काफी एग्रेसिव हैं बल्कि उनकी इस मुद्दे पर नीतियां भी काफी ठोस हैं। इतना ही नहीं अपनी नीतियों को सही तरह से अमल में लाने के लिए उन्‍होंने चीन तक पर दबाब डाला जो कि सफल भी हुआ और संयुक्‍त राष्‍ट्र के लगाए प्रतिबंधों को चीन को भी मानना पड़ा।

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