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कोरोना के बचाव को हर माह चाहिए 30 लाख लीटर सेनिटाइजर और 9 करोड़ मास्‍क!- WHO

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक कोरोना वायरस अब तक 148 देशों में फैल चुका है। वहीं इसके बचाव के लिए कुछ जरूरी चीजों की कमी परेशानी का सबब बनी हुई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 11:43 AM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 06:04 PM (IST)
कोरोना के बचाव को हर माह चाहिए 30 लाख लीटर सेनिटाइजर और 9 करोड़ मास्‍क!- WHO

जिनेवा। कोरोना वायरस की चपेट में अब दुनिया के 148 देश आ चुके हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (World Health Organization) के मुताबिक इसकी वजह से अब तक दुनिया में 6610 लोगों की मौत हो चुकी है। वर्तमान में 168019 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। डब्‍ल्‍यूएचओ लगातार इसको लेकर पूरी दुनिया को चेतावनी भी जारी कर रहा है। संगठन का पूरा ध्‍यान जहां इस महामारी को रोकने पर है वहीं इस महामारी की रोकथाम का जरिया बने स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों पर मंडराते संभावित खतरे से भी वो चिंतित है। दरअसल, ये चिंता बेवजह नहीं है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक इस खतरे से निपटने के लिए जरूरी चीजों की कमी संगठन के आड़े आ रही है। संगठन के आकंड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में इसके बचाव के लिए लगभग 9 करोड़ मास्‍क, 3 करोड़ गाऊन, 11 लाख गोगल्‍स, 8 करोड़ दस्‍ताने, 30 लाख लीटर सेनिटाइजर की हर माह जरूरत है। 

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कोरोना वायरस से पीडि़त टॉप-10 देश 

गौरतलब है कि इस वायरस से पीडि़त टॉप 10 देशों में चीन में 81077 मामले, इटली में 24747 मामले, ईरान में 14991 मामले, रिपब्लिक ऑफ कोरिया में 8236 मामले, स्‍पेन में 7753 मामले, फ्रांस में 5380 मामले, जर्मनी में 4838 मामले, स्विटजरलैंड  में 2200 मामले, यूएसए में 1678 मामले, नीदरलैंड में 1413 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। 

प्रोटेक्टिव इक्‍यूपमेंट्स की कमी

आपको यहां पर ये भी बता दें कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन इससे पहले भी  स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों के लिए प्रोटेक्टिव इक्‍यूपमेंट्स की कमी पर अपनी चिंता जाहिर कर चुका है। उसका कहना है कि इस इक्‍यूपमेंट्स की मैन्‍यूफैक्‍चरिंग को करीब 40 फीसद तक बढ़ाना होगा तभी जाकर कुछ हो पाएगा। यदि ऐसा न हुआ तो समस्‍या खड़ी हो सकती है। संगठन ने इन इक्‍‍‍‍‍यूपमेंट्स को बनाने वाले निर्माताओं को जल्‍द इनकी आपूर्ति करने की भी अपील की है। 

डाक्‍टर, नर्सों की कमी

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए केवल प्रोटेक्टिव इक्‍यूपमेंट्स की ही कमी नहीं हो रही है बल्कि डॉक्‍टरों, नर्सों और दूसरे स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की भी कमी आड़े आ रही है। संगठन का ये भी कहना है कि इक्‍यूपमेंट्स की कमी को खत्‍म करने के लिए सरकारों को भी आगे आना चाहिए और साथ ही उन्‍हें इनके लिए आयात और निर्यात के नियमों को भी लचीला बनाना चाहिए।   

इक्‍यूपमेंट्स की सप्‍लाई हो निर्बाध

संगठन के महानिदेशक का ये भी कहना है कि स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को बचाकर इस वायरस पर काबू पाना संभव है। लेकिन ये तभी होगा जब जरूरी इक्‍यूपमेंट्स की सप्‍लाई निर्बाध और मांग के अनुरूप हो। इस बीच पूरी दुनिया में जिस तरह से जरूरी चीजों की कीमतों बढ़ोतरी हुई है उस पर भी उन्‍होंने चिंता जाहिर की है।  

यहां पर की संगठन ने जरूरी चीजों की सप्‍लाई

आपको यहां पर ये भी बता दें कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप और  प्रोटेक्टिव इक्‍यूपमेंट्स की कमी को देखते हुए संगठन ने दुनिया के 47 देशों में इनकी सप्‍लाई की है। इसमें मास्‍क, दस्‍‍‍‍‍ताने गूगल्‍स, फेस शील्‍ड, गाउन और एप्रेन शामिल हैं। जिन देशों में इन चीजों की सप्‍लाई की गई है उसमें से ज्‍यादातर अफ्रीका के हैं। इसके अलावा अफगानिस्‍तान,, ईरान, मालदीव, म्‍यांमार, नेपाल, पाकिस्‍तान, भूटान, बांग्‍लादेश भी शामिल हैं। 

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