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    पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल पर क्‍या कह रही है चीन की मीडिया, जरा आप भी जान लें

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Wed, 29 May 2019 08:45 AM (IST)

    चीन की मीडिया में पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल और इसकी चुनौतियों को लेकर एक लेख छापा है। ...और पढ़ें

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    पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल पर क्‍या कह रही है चीन की मीडिया, जरा आप भी जान लें

    नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में भाजपा को मिली प्रचंड जीत और उनके दोबारा पीएम बनने के बीच अब बस कुछ ही फासला है। इस बीच भारत के पड़ोसी देशों की सरकार और वहां की मीडिया इसको अपने ही तरीके से ले रही है। पाकिस्‍तान के बाद अब चीन की सरकारी मीडिया ने भी पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल को लेकर कयास लगाए हैं।

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    चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स के एक लेख में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी के सामने दूसरे कार्यकाल में उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्‍यवस्‍था को सही करने की है। लेख में यहां तक कहा गया है कि पीएम मोदी के लिए कई बड़ी समस्‍याएं उनका इंतजार कर रही हैं। लिहाजा उनके लिए यह दूसरा कार्यकाल आसान नहीं रहने वाला है। इसमें कहा गया है कि बीते दो माह से चल रहे चुनावी माहौल के बीच भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में गिरावट आई है। इसके अलावा वहां पर बेरोजगारी का मुद्दा भी अपने चरम पर है।

    यही वजह है कि पीएम मोदी के लिए अर्थव्‍यवस्‍था का मुद्दा सबसे बड़ा है। देश के इन चुनौतीपूर्ण मुद्दों से निपटना पीएम की बड़ी परीक्षा बनने वाली है। इसमें कहा गया है कि बढ़ती मांग के बीच बढ़ती बेरोजगारी भारत की सबसे बड़ी समस्‍या है। नई सरकार के लिए इन समस्‍याओं पर जीत पाना वास्‍तव में काफी मुश्किल होगा।

    लेख में कहा गया है कि 2014 में पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया कैंपेन को लॉन्‍च किया था। इसका मकसद भारत को ग्‍लोबल मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेंटर बनाना था। वर्तमान की बात करें तो मुमकिन है कि चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर से कुछ कंपनियां अमेरिका से शिफ्ट होकर भारत की तरफ या दूसरे देशों का रुख करें, लेकिन यह बहुत साफ है कि भारत इस मौके को किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहेगा। वैसे भी यह पीएम मोदी के मेक इन इंडिया के लिए अच्‍छा साबित हो सकता है।

    चीन की बात करें तो यहां पर सस्‍ता श्रम अब बीते युग की बात हो गई है। इसकी वजह से चीन की कुछ कंपनियां अपनी प्रोडक्‍शन यूनिट को भारत में शिफ्ट कर सकती हैं। चीन इसमें बाधा भी नहीं बनेगा और न ही उसका ऐसा कोई विचार है। यह इस लिहाज से भी अच्‍छा होगा, क्‍योंकि इससे भारत सरकार और चीन के बीच विश्‍वास और सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी।

    हालांकि, भारत एक्‍सपोर्ट ओरिएंटेंड इकोनॉमी की तरफ शिफ्ट होना चाह रहा है। लिहाजा उसका झुकाव अमेरिका की तरफ है। इसकी वजह से व्‍यापार घाटे को कम करना है। भारत के लिए अपनी अर्थव्‍यवस्‍था को रफ्तार देने के लिए वॉशिंगटन का साथ अच्‍छा उपाय साबित हो सकता है। यह दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा। लेख में लिखा है कि भारत की नई सरकार के लिए अमेरिका और चीन से संबंधों और सहयोग को बढ़ाना एक कड़ी चुनौती है, लेकिन भारत को अपनी अ‍र्थव्‍यवस्‍था को बेहतर करने के लिए वहां पर अपनी पुराने घिसे-पिटे आर्थिक ढ़ांचे और शिक्षा व्‍यवस्‍था को सुधारना होगा।। भारत के पास इस योजना पर आगे बढ़ने के अलावा कोई और चारा नहीं है।

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