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EXCLUSIVE: विमानवाहक पोत के निर्माण में तेजी से लगा है चीन, 2030 तक भारत से आगे जाएगा निकल

सेटेलाइट इमेज से इस बात का खुलासा हुआ है कि चीन तेजी से नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए विमानवाहक पोत के निर्माण में लगा हुआ है। यह भारत के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 01:33 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 09:15 AM (IST)
EXCLUSIVE: विमानवाहक पोत के निर्माण में तेजी से लगा है चीन, 2030 तक भारत से आगे जाएगा निकल

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। चीन तेजी से अपनी नौसेना की ताकत में इजाफा करने में लगा है। इसके तहत वह न सिर्फ अपनी सेनाओं को अत्‍याधुनिक करने में लगा हुआ है बल्कि तेजी से नए विमान, विमानवाहक पोत और पनडुब्बियां समुद्र में उतार रहा है। वहां की सरकारी मीडिया के मुताबिक चीन अपने नए विमानवाहक पोत 0001ए का लियोनिंग प्रांत में समुद्र में परीक्षण कर रहा है। लेकिन खबर सिर्फ इतनी ही नहीं है। खबर इसके आगे की है। दरअसल, चीन एक और विमानवाहक पोत का निर्माण कर रहा है। यह पोत काफी हद तक बन भी चुका है। सेटेलाइट इमेज से साफ पता चल रहा है कि डालियन शिपयार्ड में इसका काम बेहद तेजी के साथ पूरा किया जा रहा है। इस निर्माणाधीन विमानवाहक पोत के चीन की नौसेना में शामिल होने के बाद इनकी संख्‍या करीब 4-5 हो जाएगी। आपको यहां पर ये भी बता दें कि 2030 तक चीन के पास विमानवाहक पोत की संख्‍या छह हो जाएगी।

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आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन की सरकारी मीडिया में कुछ सप्‍ताह पहले 0001ए विमानवाहक पोत का परीक्षण शुरू करने की खबर आई थी। इस खबर में जो फोटो लगी थी उसमें इस निर्माणाधीन पोत के अलावा दो विमानवाहक पोत और दिखाई दे रहे थे। यहीं पर चीन मात खा गया। सेटेलाइट इमेज में यह बात बेहद साफ हो गई कि चीन इस तरह के विमानवाहक पोत तेजी से बनाने में लगा हुआ है। जहां तक 0001ए के परीक्षण की बात है तो आपको बता दें कि यह इसका पांचवां परीक्षण है। यह दूसरा स्‍वदेशी विमानवाहक पोत है। यह 0001ए श्रेणी का विमानवाहक पोत है। वजन करीब 70 हजार टन है। 2020 तक इसको सेना में शामिल किए जाने की उम्‍मीद है। इसके रडार, एवियोनिक्‍स और संचार से जुड़े परीक्षण पहले ही पूरे कर लिए गए हैं। अब पांचवें परीक्षण के दौरान इस पर विमान उतारने और टेकऑफ करने का परीक्षण किया जाना है। इस पर J-15 लड़ाकू विमान और J-18 हेलीकॉप्‍टरों को तैनात किया जाएगा।

J-15 लड़ाकू विमान का स्‍वदेशी नाम शेनयांग है जिसका नाटो नाम Flanker-X2 है। इसको फ्लाइंग शार्क के नाम से भी जाना जाता है। यह चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जो किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। इसको शेनयांग एयरक्राफ्ट कार्पोरेशन ने तैयार किया है। 2009 में इसका पहला परीक्षण किया गया था। इसके बाद इसको 2013 में सेना में शामिल किया गया। यह लड़ाकू विमान काफी कुछ सुखाई 33 से मेल खाता है।

इसके अलावा चीन 002 श्रेणी के विमानवाहक पोत बना रहा है, जो 0001ए श्रेणी से बि‍ल्‍कुल अलग होंगे। इनका वजन करीब 85 हजार टन होगा। इनकी शुरुआत 2017 में हुई थी और यह डालियान शिपयार्ड के अलावा जियांगनम शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा 003 श्रेणी के विमानवाहक पोत इन सभी से अलग होंगे। यह परमाणु उर्जा से संचालित होंगे और इनसे अत्‍याधुनिक फाइटर जेट ऑपरेट किए जाएंगे।

चीन के तेजी से इस दिशा में आगे जाने की दो प्रमुख वजह हैं। सबसे पहली और बड़ी वजह तो चीन की वह मंशा है जो उसके कदमों और महत्‍वाकांक्षाओं को धक्‍का दे रही है। इसका अर्थ पूरी दुनिया में अपने पांव फैलाने की कोशिश है। आपको बता दें कि चीन एशिया में अपनी धमक कायम करना चाहता है। उसकी निगाह काफी समय से हिंद महासागर पर लगी है, जिस पर भारत की बादशाहत कायम है। इसके तहत वह अपनी राह में आने वाले सबसे बड़ी परेशानी भारत से पार भी पाना चाहता है। इसके तहत वह भारत पर करीब से नजर भी रखना चाहता है, जिसके लिए उसको नौसेना की ताकत में इजाफा करना बेहद जरूरी है। इसके लिए यह जरूरी है उसके पास विमानवाहक पोत हों और पनडुब्बियां भी हों। इसकी तैयारी उसने काफी समय से करनी शुरू कर दी है। पिछले वर्ष ही उसने अपने स्‍वदेशी विमान वाहक पोत को समुद्र में उतारा था। इसके अलावा न्‍यूक्लियर सबमरीन को भी सेना में शामिल किया था।

दक्षिण चीन सागर पर अपना वर्चस्‍व बनाए रखने के लिए भी चीन को अपनी नौसेना में इजाफा करना बेहद जरूरी लगता है। आपको बता दें कि इस मुद्दे पर कई बार अमेरिका और चीन आमने-सामने आ चुके हैं। इस इलाके में कई बार अमेरिकी विमानवाहक पोत दस्‍तक दे चुके हैं। इसके अलावा अमेरिका के बमवर्षक विमानों का भी इस क्षेत्र में आना लगा रहता है, जो चीन की परेशानी का सबसे बड़ा सबब बना हुआ है। इतना ही नहीं इस इलाके पर चीन ही नहीं बल्कि कई देश अपना दावा ठोकते आए हैं। इन सभी को यहां से दूर रखने के लिए भी नौसेना को ताकत देना उसके लिए जरूरी हो गया है।

चीन की नौसेना की बढ़ती ताकत कहीं न कहीं भारत के लिए खतरे का संकेत जरूर है। आपको बता दें कि फिलहाल चीन के पास तीन और भारत के पास में एक विमानवाहक पोत है। लेकिन इस दिशा में चीन जल्‍द ही भारत से बाजी मार लेगा। लिहाजा भारत को भी समुद्र में अपना वर्चस्‍व बनाए रखने के लिए तेजी से विमानवाहक पोत की संख्‍या बढ़ानी होगी। हालांकि भारत भी आईएनएस विक्रांत को इस वर्ष परीक्षण के लिए समुद्र में उतारेगा। इसके बाद भी भारत को इस क्षेत्र में तेजी लानी ही होगी। 

आपको बता दें कि चीन अगले माह नौसेना की 70वीं वर्षगांठ मनाने वाला है। हर वर्ष की तरह इस बार भी वह नौसेना की ताकत को दिखाएगा। पिछले वर्ष विवादित दक्षिण चीन सागर में उसने इस मौके पर 48 पोत, 76 विमान, परमाणु पनडुब्‍बी, पहला स्‍वदेशी विमानवाहक पोत, 052D गाइडेड मिसाइल और जे15 फाइटर जेट को पेश किया था। इस बार वह इसमें 001A श्रेणी के विमानवाहक पोत और 055 श्रेणी के एशिया के सबसे पावरफल डिस्‍ट्रोयर को पेश करेगा। इसके अलावा न्‍यूक्लियर सबमरीन भी दिखाई देंगी। 

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