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    आपके लिए भी ये जानना जरूरी आखिर क्‍या है यूएन के वेरिफाइड इनिशिएटिव का मिशन पॉज

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Wed, 01 Jul 2020 01:34 PM (IST)

    संयुक्‍त राष्‍ट्र ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक जानकारियों और अफवाहों को रोकने के मकसद से मिशन पॉज की शुरुआत की है। ये यूजर्स को जागरुक करने के मकसद से शुरू किया गया है।

    आपके लिए भी ये जानना जरूरी आखिर क्‍या है यूएन के वेरिफाइड इनिशिएटिव का मिशन पॉज

    न्‍यूयॉर्क (संयुक्‍त राष्‍ट्र)। सोशल मीडिया, मोबाइल मैसेज समेत दूसरी माध्‍यमों के जरिए फैल रही अफवाहों और भ्रामक जानकारियों पर संयुक्‍त राष्‍ट्र ने चिंता जाहिर की है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की तरफ से इसको रोकने के लिए वेरिफाइड इनिशिएटिव के तहत मिशन पॉज की शुरुआत की गई है। इसके तहत यूएन ने लोगों से अपील की है कि कोविड-19 से बचाव के लिए उन्‍होंने जिस तरह से एक दूसरे से दूरी बनाए रखने और मुंह को कवर करने जैसे उपाय अपनाने की बातें मानी हैं, ठीक वैसे ही सोशल मीडिया के तहत फैलाई जा रही गलतफहमियों पर लगाम लगाए। यूएन की तरफ से ये भी कहा गया है कि इसको लेकर सोशल मीडिया में वायरल हो रहे मैसेज को फार्वर्ड करने से पहले उसके बारे में विचार जरूर करें कि ऐसा करना ठीक होगा भी या नहीं।

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    वेरिफाइड इनिशिएटिव

    संयुक्त राष्ट्र के सूचना अभियान वेरिफाइड इनिशिएटिव की तरफ से दुनिया भर के लोगों से कहा गया है कि वो भावनात्मक रूप से भड़काऊ या गंभीर सामग्री को सोशल मीडिया पर शेयर न करें। इस अभियान को यूएन के ग्लोबल कम्यूनिकेशंस डिपार्टमेंट विभाग द्वारा चलाया गया है। इस मिशन की हैड और अवर महासचिव मेलिसा फ्लेमिंग ने इस मौके पर कहा कि लोगों द्वारा बिना सोचे समझे अनजाने में इस तरह की झूठी जानकारियां फैलाई जा रही है। यूएन की तरफ से इस मिशन की शुरुआत सोशल मीडिया डे के मौके पर की गई। फ्लेमिंग ने कहा कि इस मिशन के पीछे का मकसद लोगों को ये सोचने के लिए बाध्‍य करना है कि किसी भी मैसेज को फार्वर्ड करने से पहले वो उसकी गंभीरता और उससे होने वाले परिणामों के बारे में कई बार सोचें। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई है कि इस अभियान से बिना सोचे समझे मैसेज फार्वर्ड करने की मानसिकता पर रोक लग सकेगी और उनके व्‍यवहार में भी बदलाव आएगा।

    गलत सूचनाओं पर लगे ब्रेक

    यूएन की तरफ से जारी संदेश में वीडियो, ग्राफिक्‍स और तस्‍वीरों के जरिए बताने की कोशिश की गई है कि सोशल मीडिया पर केवल उन्‍हीं मैसेज को आगे बढ़ाएं जो भरोसेमंद होने के साथ-साथ वैज्ञानिक आधार पर प्रमाणिक भी हों। फ्लेमिंग का कहना है कि इस मिशन का उद्देश्य लोगों को दुष्प्रचार और गलत जानकारी के बारे में सोच-विचार करने के लिये प्रोत्साहित करना है। उन्‍होंने कहा कि अकसर यूजर्स उन जानकारियों को आगे बढ़ा देते हैं जो सटीक नहीं होती हैं लेकिन यूजर्स उन पर विश्‍वास करते हुए आगे बढ़ा देते हैं। यूएन के मुताबिक इस अभियान से अब तक दस हजार लोग जुड़ चुके हैं और लगातार इसमें इजाफा हो रहा है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए डिजिटल फर्स्‍ट रेस्‍पांडर्स भर्ती किये गए हैं। इस अभियान को अधिकतर देशों का समर्थन मिल रहा है।

    कई देशों ने जताई चिंता 

    गौरतलब है कि 12 जून को लातविया के नेतृत्व में कई देशों ने मिलकर एक वक्तव्य जारी किया था। इसमें कोरोना महामारी के दौरान फैलाई जा रही गलत जानकारी और अफवाहों को रोकने का आह्वान किया गया था। इसमें कहा गया था कि ऐसी अफवाहों से होने वाले नुकसान से कई देश चिंतित है। इन्‍होंने यूएन से इसको रोकने के लिए कदम उठाने की अपील की थी। यूएन के इस अभियान में कई दूसरी कंपनियां भी शामिल हो गई हैं। फ्लेमिंग ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इसका एक मकसद कोविड-19 के बारे में सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलने से रोकना भी है। उन्‍होंने कहा कि फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफार्म फेक न्यूज को फैलने से रोक सकते हैं।

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