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    गोमुख में भागीरथी की धारा 150 मीटर खिसकी

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 30 Jul 2017 08:23 PM (IST)

    बीती 16 जुलाई को जबरदस्त बारिश के बाद आकाश गंगा (छोटी नदी) में आए उफान से गंगा के उद्गम स्थल गोमुख में खासा नुकसान हुआ है।

    गोमुख में भागीरथी की धारा 150 मीटर खिसकी

    उत्‍तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: बीती 16 जुलाई को जबरदस्त बारिश के बाद आकाश गंगा (छोटी नदी) में आए उफान से गंगा के उद्गम स्थल गोमुख में खासा नुकसान हुआ है। भागीरथी नदी में भी मलबा जमा होने से धारा मूल स्थान से 150 मीटर दाहिनी ओर खिसक गई है। गंगोत्री से गोमुख के बीच रास्ता कई जगह टूट गया है और बरसाती नालों पर बनीं तीन पुलिया बह गई हैं।

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    पिछले दिनों गोमुख का निरीक्षण करने गई गंगोत्री नेशनल पार्क की टीम शनिवार को गंगोत्री को लौट आई। टीम लीडर रेंज अधिकारी प्रताप सिंह पंवार ने बताया कि तपोवन से निकलने वाली आकाश गंगा नदी में आए उफान से मलबा भागीरथी नदी के बीच में जमा है, इससे नदी का बहाव गोमुख के दाहिनी ओर हो गया है।

    गोमुख के निकट तपोवन जाने वाली पगडंडी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है।

    गोमुख के पास गंगोत्री ग्लेशियर के निचले स्थानों में पड़े छोटे क्रेवास (दरार) में भी मलबा भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि ग्लेशियर को कितना नुकसान पहुंचा, इसके आकलन के लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान को पत्र लिखा गया है।

    उन्होंने बताया कि कई जगह पुलिया बहने के कारण टीम ने रस्सियों के सहारे उफनते नाले पार किए। पंवार के अनुसार फिलहाल हालात को देखते गोमुख ट्रैक को बंद रखना ही ठीक है। बताया कि अभी उस क्षेत्र में बारिश हो रही है। अगस्त के दूसरे सप्ताह में ही हालात सामान्य होने की उम्मीद है।

     

    गोमुख नहीं जा पायी स्वच्छता टीम

    नमामि गंगे योजना के तहत तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) व  इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (आइएमएफ) की सात सदस्यीय टीम 25 जुलाई को गोमुख के लिए रवाना हुई थी, लेकिन टीम चीड़वासा नाले को पार नहीं कर पाई है। अभी टीम के सदस्य वहीं ठहरकर इंतजार कर रहे हैं। टीम को गोमुख, भोजवासा, तपोवन और नन्दन वन में स्वच्छता अभियान चलाना था। इसके अलावा शुक्रवार को एसडीआरएफ की टीम भी चीडवासा नाले को पार नहीं कर पाई। एसडीआरएफ की टीम गंगोत्री से भोजवासा कैंप में जा रही थी, लेकिन टीम गंगोत्री लौट आई है। 

     

    अभी तक यह साफ नहीं है ग्लेशियर के क्रेवास में कितना मलबा घुसा है

    वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के हिमनद विशेषज्ञ डॉ. डीपी डोभाल का कहना है कि अभी तक यह साफ नहीं है ग्लेशियर के क्रेवास में कितना मलबा घुसा है। हालांकि फिलहाल नुकसान जैसी बात कहना ठीक नहीं है, लेकिन जल्द ही टीम इसका पता लगाएगी। अध्ययन के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

     

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