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    गंगा के उद्गम स्थल गोमुख की आकृति में आ रहा बदलाव

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 28 May 2017 06:30 AM (IST)

    वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने दो दिन तक किए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है कि गंगा के उद्गम स्थल गोमुख (गाय का मुंह) की आकृति में बदलाव आ रहा है।

    गंगा के उद्गम स्थल गोमुख की आकृति में आ रहा बदलाव

    उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा के उद्गम स्थल गोमुख (गाय का मुंह) की आकृति में बदलाव आ रहा है। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने दो दिन तक किए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला। वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगोत्री ग्लेशियर के अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य है। हालांकि मई-जून में तापमान में यह वृद्धि सामान्य है।

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    गंगोत्री ग्लेशियर के अध्ययन के लिए वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान का पांच सदस्यीय दल 21 मई को गोमुख गया। टीम 22 और 23 मई अध्ययन कर 24 मई को गंगोत्री पहुंची। गुरुवार को उत्तरकाशी में जागरण से बातचीत में टीम लीडर संस्थान के निदेशक डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि इन दिनों गंगोत्री में अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। जबकि रात का तापमान माइनस पांच डिग्री है। यह सामान्य माना जा सकता है। 

    उन्होंने बताया कि टीम वर्ष 2014 से ग्लेशियर का अध्ययन कर रही है। अध्ययन में पाया गया कि ग्लेशियर प्रतिवर्ष 22 मीटर पीछे खिसक रहा है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि तापमान बढ़ने का असर साफ महसूस किया जा सकता है। बर्फ पिघल रही है और इस कारण उद्गम स्थल पर भागीरथी का जलस्तर भी बढ़ा है। उन्होंने बताया कि इसी वजह से जहां से गंगा निकल रही है उस स्रोत के आकार में भी परिवर्तन आया है। डॉ. गुप्ता के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव भी   यहां देखने को मिल रहा है।

    टीम में शामिल वैज्ञानिक डॉ.समीर तिवारी ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर में मानवीय दखल ज्यादा नहीं है। गंगोत्री नेशनल पार्क ने गोमुख जाने वाले पर्यटकों की संख्या को सीमित कर रखी है। उन्होंने बताया कि यूं भी पर्यटकों को गोमुख से पांच सौ मीटर दूर ही रोक दिया जाता है। उन्होंने कहा कि तापमान में वृद्धि की वजह का अध्ययन किया जा रहा है। अभी इस बारे में कुछ कहना ठीक नहीं है।

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