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गंगोत्री हाईवे को चौड़ा करने के लिए कुर्बान होंगे 6500 पेड़

छह से आठ मीटर चौड़े गंगोत्री हाईवे को 18 मीटर करने के लिए देवदार और कैल के साढ़े छह हजार से ज्यादा वृक्षों की कुर्बानी दी जानी है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 09:23 AM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 10:05 AM (IST)

उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: उत्तरकाशी जिले में ईको सेंसिटिव जोन से गुजर रहे गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग की चौड़ाई बढ़ाने के लिए कवायद शुरू होते ही आधा दर्जन गांवों की नींद उड़ी हुई है। वजह यह कि छह से आठ मीटर चौड़े गंगोत्री हाईवे को 18 मीटर करने के लिए देवदार और कैल के साढ़े छह हजार से ज्यादा वृक्षों की कुर्बानी दी जानी है।
हालांकि अभी पर्यावरण मंत्रालय ने इसे हरी झंडी नहीं दी है। बावजूद इसके न केवल पर्यावरणविद् चिंतित हैं, बल्कि आधा दर्जन गांवों की नींद भी उड़ी हुई है। गंगोत्री के पास स्थित धराली गांव के किसान विरेन्द्र पंवार आशंका जताते हैं कि 'इतनी बड़ी संख्या में पेड़ कटे तो भविष्य में भूस्खलन से इन गांवों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।

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गंगोत्री के निकट भैरव घाटी में सड़क काफी संकरी है। भारत-चीन सीमा पर स्थित इस भाग का सामरिक महत्व तो है ही, कपाट खुलने पर लाखों तीर्थयात्री भी गंगोत्री आते हैं। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार चारधाम यात्रा मार्ग चौड़ीकरण योजना के तहत हाईवे की चौड़ाई बढ़ा रही है।

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करीब एक साल पहले भूतल परिवहन मंत्रालय और उत्तराखंड शासन के बीच हुई बैठक के बाद उत्तरकाशी वन प्रभाग से भैरव घाटी में सड़क चौड़ीकरण की जद में आने वाले वृक्षों पर रिपोर्ट मांगी गई। इसी साल जून में सर्वेक्षण कार्य शुरू किया गया।

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गंगोत्री रेंज के रेंज अधिकारी गोविन्द सिंह पंवार ने बताया कि इस जद में करीब साढ़े छह हजार से ज्यादा वृक्ष आ रहे हैं। अभी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। अंतिम संख्या तभी बताई जा सकेगी।

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उधर, हाईवे चौड़ा करने को लेकर ग्रामीणों में विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। किसान विरेन्द्र पंवार बताते हैं कि धराली और छोलमी जैसे गांव एवलांच के साथ आए मलबे पर बसे हैं। जोतरिया, पछियारी, लदिया, तड़ी, चौंरिया तोक में सड़क किनारे सेब के बागीचे हैं। यदि यहां कटान किया गया तो भूस्खलन की आशंका बनी रहेगी।

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हर्षिल की प्रधान बसंती देवी भी कहती हैं कि बड़ी संख्या में हरे पेड़ों के कटान से संभावित नुकसान का पता लगाने के लिए भूवैज्ञानिकों से गहन सर्वेक्षण कराने के साथ ही एनजीटी से मंजूरी ली जाए और इससे भी पहले जरूरी है यहां के किसानों का भरोसा जीता जाए।
सरकार करे पुनर्विचार
उत्तराखंड नदी बचाओ व रक्षा सूत्र आंदोलन के संयोजक सुरेश भाई के मुताबिक नमामि गंगे के तहत गंगा की स्वच्छता और पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए एक ओर सरकार ने 30 हजार हेक्टेयर भूमि पर पौध रोपण का लक्ष्य रखा हैं। दूसरी ओर भैरव घाटी में हजारों पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया है। ऐसे में हिमालयी क्षेत्रों की वन विविधता को ध्यान में रखकर सडकों की चौडाई बढ़ाई जानी चाहिए। सरकार को ऐसे मामलों में पुनर्विचार करना चाहिए।

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