अनाथ बच्चों के नाथ बनकर शिक्षा की जिम्मेदारी उठा रहे उमेश
उत्तराखंड के रुद्रपुर में पले-बढ़े उमेश कुमार ने अनाथ बच्चों के संरक्षण, उनकी शिक्षा और विकास का जिम्मा उठाया है। वह उन्हें आश्रय देने के साथ ही शिक्षा भी प्रदान करा रहे हैं।
रुद्रपुर, [गौरव पांडेय]: अनाथ होना शायद जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है। हर साल प्राकृतिक आपदा, रोग, महामारी, सड़क दुर्घटना आदि कारणों से कई मासूम अनाथ हो जाते हैं। ऐसे मासूमों के संरक्षण, उनकी शिक्षा और विकास का जिम्मा उठाया है उमेश ने। वह बिना किसी सरकारी मदद के अनाथालय खोल बच्चों की परवरिश करने के साथ ही उन्हें शिक्षित कर स्वावलंबी बनाने की जिद्दोजहद भी कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्मे उमेश कुमार उत्तराखंड के रुद्रपुर में पले-बढ़े। उनका परिवार यहां नई बस्ती खेड़ा में बसा है। उमेश ने बचपन में घोर गरीबी देखी। बकौल उमेश, अक्सर खाने के लाले रहते थे। मैंने भाई-बहनों के साथ बचपन में खुद भूख से सामना किया। खाली पेट ने मुझे वक्त से पहले ही परिपक्व बना दिया।
होश संभालते ही उमेश छोटे-मोटे काम-धंधों में जुट गए थे। बस्ती के माहौल में भूख से रोता कोई बच्चा दिखता तो उन्हें अपना बचपन याद आ जाता। इस बीच उमेश ने समाज के उपेक्षित और शोषित वर्ग की भलाई की ठानी और समाजसेवा में जुट गए। इरादे नेक थे, सो इलाके ही नहीं, शहरभर के लोग उनसे जुड़ने लगे।
बीते पांच साल से वे दर्जनों बच्चों की शिक्षा का खर्च उठा रहे हैं। इसके साथ ही अब उन्होंने अनाथों के कल्याण का बीड़ा भी उठाया है। इनके लिए उन्होंने बिना किसी सरकारी मदद के एक अनाथालय खोला है। फिलवक्त इसमें 12 बच्चों की परवरिश हो रही है। बच्चों के खाने, पहनने और पढ़ने का खर्च वह स्वयं उठाते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर फुलसुंगा स्थित अपने सौ गज के प्लाट में अनाथालय का स्थायी निर्माण भी शुरू कर दिया है।
अनाथ बच्चों का स्कूल खोलने की चाहत
उमेश कुमार अनाथ बच्चों के लिए एक स्कूल भी खोलना चाहते हैं। इसमें सभी को निश्शुल्क शिक्षा के साथ ही हर जरूरी सुविधा मिलेगी। उमेश कहते हैं कि अनाथाश्रम निर्माण के बाद वह इस सपने को पूरा करने में जुट जाएंगे।
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