अखाड़े में पहलवानों को धूल चटा रहा यह दिव्यांग, जानिए
उधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर के बिंदुखेड़ा में एक दिव्यांग अखाड़े में पहलवानों को धूल चटा रहा है। उसके जज्बे को देखकर लोगों को प्रेरणा मिल रही है।
रुद्रपुर, [रजत श्रीवास्तव]: मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान होती है...किसी कवि की यह पंक्तियां बदायूं जिले के जगदीश पर सटीक बैठती हैं। एक पांव से दिव्यांग जगदीश जिंदगी के दंगल में हौसले की बाजी लगाते हैं। वह एक पैर से कमजोर होने के बावजूद बड़े पहलवानों को धूल चटा देते हैं।
कोई दिव्यांग यदि अपनी जिंदगी से हार चुका हो तो बिंदुखेड़ा के कुश्ती मैदान में जिंदगी का मकसद जान सकता है। यहां पर जगदीश को जोर आजमाइश करता देख हर किसी की हिम्मत बढ़ जाएगी। मैदान में डोलते कदमों के साथ जब वह पहलवानों के साथ दो-दो हाथ करते हैं तो हर कोई हैरान रह जाता है और कई बार अपने सक्षम प्रतिद्वंदी को भी धूल चटा देते हैं।
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जगदीश मूलत: बदायूं जिले के दातागंज तहसील में गांव महतोषपुर के रहने वाले हैं। बचपन से ही महतोषपुर में कुश्ती को देखकर कुश्ती लड़ने का जज्बा जागा। जब 13 साल की उम्र थी तो उनके गांव में कुश्ती की प्रतियोगिता हुई। उसमें लंगड़ाते कदमों से प्रतियोगिता को जीत लिया।
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इसके बाद एक से बढ़कर एक प्रतियोगिता में उन्होंने जीत हासिल की और गांव की शान बन गए। परिवार में मां की मौत होने के बाद पिता जगदीश ने भी उनका हौसला बढ़ाया।
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उम्र बढ़ी तो कुश्ती के अखाड़े में बाहर भी जाने लगे। हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पीलीभीत, शाहजहांपुर के साथ ही उत्तराखंड में कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया।
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28 वर्ष की उम्र में भी एक पांव से बड़े-बड़े पहलवानों के साथ दो-दो हाथ करते हैं और उनको पटखनी दे देते हैं। शुक्रवार को जब बिंदुखेड़ा में प्रतियोगिता हुई तो पंजाब, हरियाणा समेत उप्र के कई अन्य जिलों से पहलवान पहुंचे। जगदीश ने कई राउंड में जब अपने प्रतिद्वंदी को पटखनी दी तो हर कोई हैरान हो गया।
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