Move to Jagran APP

टिहरी झील ने बदली वन्य जीवन की धारा, होगा अध्ययन

नौ राज्यों को बिजली देने वाले टिहरी बांध की झील ने वन्य जीवों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। झील के कारण न केवल वन्य जीवों के व्यवहार, बल्कि उनके वास स्थलों में भी अंतर आ रहा है।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 22 Jul 2017 02:26 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jul 2017 08:42 PM (IST)
टिहरी झील ने बदली वन्य जीवन की धारा, होगा अध्ययन
टिहरी झील ने बदली वन्य जीवन की धारा, होगा अध्ययन

नई टिहरी, [अनुराग उनियाल]: नौ राज्यों को बिजली देने वाले टिहरी बांध की झील ने वन्य जीवों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। 42 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली इस झील के कारण न केवल वन्य जीवों के व्यवहार, बल्कि उनके वास स्थलों में भी अंतर आ रहा है। 

loksabha election banner

झील में टिहरी शहर ही नहीं डूबा, वन्य जीवों के पारंपरिक रास्ते (कॉरीडोर) भी समा गए। समस्या की गंभीरता को समझते हुए अब वन विभाग भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) से झील के कारण वन्य जीवों की जीवनचर्या में आ रहे परिवर्तनों पर अध्ययन कराने की तैयारी की है। इसके बाद ही पता चलेगा कि टिहरी झील बनने से इस क्षेत्र के वन्य जीवों में कितना अंतर आया। 

टिहरी बांध की झील बनने से पहले भागीरथी नदी के दोनों ओर सैकड़ों गांव आबाद थे। वर्ष 2006 में बांध बनने के बाद प्रतापनगर, चंबा, भिलंगना और थौलधार ब्लॉक के 144 गांव झील के आगोश में समा गए।

इन गांवों के निवासियों को तो सरकार ने विस्थापित कर दिया, लेकिन वन्य जीवों की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जबकि, 42 वर्ग किमी लंबी झील बनने से वन्य जीवों के आवास से लेकर उनके व्यवहार तक में भारी परिवर्तन आया है। 

पहले कोई भी वन्य जीव आसानी से भागीरथी नदी नदी पार कर एक-दूसरे क्षेत्र में आवाजाही कर सकते थे। लेकिन, अब वे अलग-अलग क्षेत्रों में कैद होकर रह गए हैं। वन्य जीव जिन रास्तों पर बरसों से आवागमन करते थे, वह भी झील में समा गए। 

टिहरी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी कोको रोसे भी झील के कारण वन्य जीवों में परिवर्तन की बात स्वीकार करते हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी बड़े भौगोलिक परिवर्तन के चलते इन्सान और वन्य जीव, दोनों की जीवनचर्या में अंतर आता है। हालांकि, यहां अभी तक इस संबंध में कोई अध्ययन नहीं किया गया। अध्ययन के लिए वह भारतीय वन्यजीव संस्थान को पत्र लिख रहे हैं। 

झील के कारण होने वाले बदलाव 

-वन्य जीव हो सकते हैं हिंसक 

-वन्य जीवों के वास स्थलों में कमी 

-वन्य जीवों की नस्ल में बीमारी 

-बेहतर नस्ल का अभाव 

इन वन्य जीवों पर पड़ा असर 

गुलदार, घुरड़, खरगोश, जंगली सुअर, सेही, भालू, हिरन समेत अन्य कई वन्य जीव।

यह भी पढ़ें: टिहरी झील में दो साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया फ्लोटिंग मरीना का संचालन

यह भी पढ़ें: देवभूमि पहुंचे रूसी पर्यटक, कमलेश्वर महादेव के किए दर्शन

यह भी पढ़ें: निखरी रंगत में नजर आ रही फूलों की घाटी, जानिए खासियत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.