टिहरी झील में दो साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया फ्लोटिंग मरीना का संचालन
दो साल बाद भी 'फ्लोटिंग मरीना' संचालन न होने के कारण ढाई करोड़ रुपये एक तरह से झील की अतल गहराइयों में समा गए।
नई टिहरी, [अनुराग उनियाल]: उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की अदूरदर्शिता के चलते ढाई करोड़ की लागत का तैरता रेस्तरां 'फ्लोटिंग मरीना' टिहरी झील में बदहाल खड़ा है। दो साल बाद भी इसका संचालन न होने के कारण ढाई करोड़ रुपये एक तरह से झील की अतल गहराइयों में समा गए। अगर इसे टिहरी झील विकास परिक्षेत्र प्राधिकरण की सुपुर्दगी में देकर स्थानीय युवाओं से संचालित कराया जाता तो यह दुरुस्त भी रहता और स्थानीय युवकों को भी रोजगार मिलता।
पर्यटन विभाग ने दो साल पहले इस फ्लोटिंग मरीना का निर्माण कराया था। सोच थी कि यह टिहरी झील के दीदार को आने वाले पर्यटकों को रोमांच का अहसास कराएगा और वह तैरते रेस्तरां में लजीज खाने का लुत्फ उठा सकेंगे। लेकिन, फ्लोटिंग मरीना की कवायद ट्रायल से आगे नहीं बढ़ पाई और वह टिहरी झील में खड़े-खड़े लहरों के थपेड़े खा रहा है। झील के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के चलते इन दिनों मरीना एक पहाड़ी पर अटका हुआ है। उसके कई पार्टस तो संचालन न होने के कारण खराब भी हो गए हैं।
सबसे बड़ी बात यह कि पर्यटन विकास परिषद ने इसे अब तक टिहरी झील में नौकायन समेत अन्य गतिविधियां संचालित करने वाले टिहरी झील विशेष परिक्षेत्र प्राधिकरण के सुपुर्द भी नहीं किया है। जबकि, स्थानीय कई बार पर्यटन विभाग से इस संबंध में आग्रह कर चुके हैं। टिहरी झील में नौका संचालन करने वाले कुलदीप पंवार का कहना है कि अब तक उत्तराखंड में यह सुविधा कहीं और उपलब्ध नहीं है। लेकिन, पर्यटन विभाग इसकी अहमियत ही नहीं समझ रहा।
वहीं, जिला पर्यटन अधिकारी, (टिहरी गढ़वाल) सोबत सिंह राणा का कहना है कि पर्यटन विभाग ने फ्लोटिंग मरीना को पीपीपी मोड (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) में देना है। यही वजह है कि इसे टिहरी झील विकास परिक्षेत्र प्राधिकरण के हैंडओवर नहीं किया गया। दो साल से मरीना झील में ऐसे ही खड़ा है।

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