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    महाराष्ट्र सिखाएगा तेंदुए के साथ जीने के तरीके

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Sat, 10 Sep 2016 04:00 AM (IST)

    महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके जुनार में तेंदुए-मानव संघर्ष थामने के लिए अपनाए गए फार्मूले की सफलता के बाद अब इसे उत्तराखंड में भी धरातल पर उतारने की तैयारी है।

    नई टिहरी, [अनुराग उनियाल]: 'तेंदुओं की स्वछंदता में खलल न पड़े और मानव जीवन भी महफूज रहे।' महाराष्ट्र में मुंबई से सटे संजय गांधी नेशनल पार्क और पुणे के ग्रामीण इलाके जुनार में तेंदुए-मानव संघर्ष थामने के लिए अपनाए गए इस फार्मूले की सफलता के बाद अब इसे उत्तराखंड में भी धरातल पर उतारने की तैयारी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत टिहरी, पौड़ी व अल्मोड़ा जिलों के छह गांवों में इसे लागू किया जाएगा। इसके लिए वनकर्मियों व ग्रामीणों की 13 सदस्यीय टीम महाराष्ट्र में प्रशिक्षण लेगी। स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप संशोधन कर अक्टूबर से चयनित गांवों में यह पहल शुरू भी कर दी जाएगी।

    तेंदुए का खौफ उत्तराखंड में एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में तो ग्रामीणों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हुई है। तेंदुओं के आतंक का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं वन्यजीवों के हमलों में करीब 85 फीसद घटनाएं तेंदुए के हमले की हैं। लगातार गहराते तेंदुए-मानव संघर्ष थामने के लिए अब महाराष्ट्र फार्मूले को अपनाने का निर्णय लिया गया है।

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    क्या है महाराष्ट्र फार्मूला
    संजय गांधी नेशनल पार्क से लगे मुंबई शहर और पुणे की जुनार तहसील के वन क्षेत्रों से लगे गांवों में तेंदुओं ने लोगों की नाक में दम करके रख दिया था। इसे देखते हुए ऐसे इलाकों में तेंदुए-मानव संघर्ष को थामने के लिए 'तेंदुए के साथ कैसे जिएं' कांसेप्ट पर काम किया गया। इसके तहत शहरी व ग्रामीण दोनों इलाकों में 'त्वरित रिस्पांस दल' गठित किए गए। इन दलों को बाकायदा प्रशिक्षित किया गया। इसके तहत कहीं भी तेंदुए की सक्रियता होने पर त्वरित रिस्पांस दल के सदस्य फुटमार्क के आधार पर तेंदुए की लोकेशन का पता लगाते हैं। साथ ही लोगों को सतर्क भी कर दिया जाता है। यही नहीं, तेंदुए को पिंजरा लगाकर पकड़ने का प्रयास किया जाता है। जरूरत पड़ने पर वनकर्मियों की टीम को ट्रेंकुलाइजिंग गन के साथ बुलाया जाता है। यही नहीं, दोनों क्षेत्रों में लोगों को जागरूक भी किया गया। नतीजतन, वहां गुलदार-मानव संघर्ष में काफी कमी आई है।

    छह वन कर्मी और छह ग्रामीण लेंगे प्रशिक्षण
    अपर प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) डॉ. धनंजय मोहन के मुताबिक महाराष्ट्र में अपनाए गए फार्मूले को उत्तराखंड में पायलट प्रोजेक्ट के तहत टिहरी, पौड़ी अल्मोड़ा के दो-दो गांवों में लागू किया जाएगा। इसके लिए संबंधित गांवों के दो ग्रामीण और वन रेंजों के रेंज अधिकारी व वन दारोगा को प्रशिक्षण के लिए संजय गांधी नेशनल पार्क और जुनार भेजा जा जाएगा। 12 सदस्यीय दल की अगुआई गोविंद वन्यजीव विहार पुरोला के वाइल्ड लाइफ वार्डन हेमशंकर मैंदोला करेंगे। दल 17 से 24 नवंबर तक प्रशिक्षण लेगा।

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    टिहरी में भी कम नहीं खौफ
    जनपद टिहरी को ही लें तो इस वर्ष अब तक तेंदुए के हमलों में दो लोगों को जान गंवानी पड़ी, जबकि छह घायल हुए हैं। गत वर्ष तीन लोग मारे गए थे और छह घायल हुए थे। ग्रामीण दहशतजदा हैं। बीती 24 जुलाई को नंदगांव और बीती 23 अगस्त को सजवाणा कांडा में पिंजरे में कैद आदमखोर तेंदुओं को मारने पर ग्रामीण आमादा थे।

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