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    इस पर्वत पर गिरा था देवी सती का सिर, पढ़ें पूरी खबर

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Thu, 15 Oct 2015 09:06 PM (IST)

    चंबा-मसूरी मोटर मार्ग पर तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर सुरकुट पर्वत पर सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर स्थित है। मान्‍यता है कि देवी सती का सिर इस पर्वत पर गिरा था।

    टिहरी। चंबा-मसूरी मोटर मार्ग पर तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर सुरकुट पर्वत पर सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर स्थित है। मान्यता है कि देवी सती का सिर इस पर्वत पर गिरा था। गंगा दशहरे के मौके पर यहां मेला लगता है, जबकि हर साल नवरात्रि में मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
    जब राजा दक्ष ने हरिद्वार कनखल में यज्ञ किया तो उसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। शिव के मना करने पर भी देवी सती यज्ञ में शामिल होने चली गई। वहां भगवान शिव का अपमान होने पर वे यज्ञ में कूद गई। भगवान शिव को जब यह पता चला तो वह क्रोधित होकर यज्ञ स्थल पर पहुंचे। यहां सती की देह को त्रिशूल में लटकाकर सृष्टि में विचरण करने लगे। इस दौरान सुरकुट पर्वत पर सती का सिर गिरा जिस कारण इसका नाम सुरकंडा पड़ा। तभी से यह स्थान सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर इकलौता सिद्धपीठ है, जहां गंगा दशहरे के मौके पर मेला लगता है और हर साल नवरात्रि में मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। खास बात यह है कि मंदिर में प्रसाद के रूप में रौंसली (थुनेर) के पत्ते दिए जाते हैं। दूर-दूर से लोग इस सिद्धपीठ के दर्शनों के लिए यहां आते हैं।
    कैसे पहुंचे
    ऋषिकेश से वाय चंबा होते हुए कद्दूखाल करीब 80 किमी की दूरी तय कर कद्दूखाल पहुंचा जाता है। कद्दूखाल से दो किमी की पैदल दूरी तय कर मंदिर तक पहुंचा जाता है। देहरादून से वाय मसूरी होते हुए 55 किमी का सफर तय कर यहां पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए वाहन आसानी से मिल जाते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार व देहरादून हैं और हवाई सेवा जौलीग्रांट तक है।
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