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    भूस्खलन से खतरे में द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 06 Aug 2017 09:27 PM (IST)

    द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम के पीछे की तरफ बीते दो वर्षों से लगातार भूस्खलन हो रहा है, किंतु इसे रोकने को अब तक कोई प्रयास नहीं हुए, जिससे मंदिर को खतरा पैदा हो गया है।

    भूस्खलन से खतरे में द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम

    रुद्रप्रयाग, [बृजेश भट्ट]: द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम के पीछे की तरफ बीते दो वर्षों से लगातार भूस्खलन हो रहा है, किंतु इसे रोकने को अब तक कोई प्रयास नहीं हुए, जिससे मंदिर को खतरा पैदा हो गया है। स्थिति यह है कि बारिश होते ही वहां कटाव शुरू हो जाता है। पिछले दिनों तो मंदिर में मलबा तक घुस गया था, लेकिन धाम के प्रतिबंधित वन क्षेत्र में आने के कारण श्री बदरी-केदार मंदिर समिति यहां पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं करा पा रही है।

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    चौखंभा शिखर की तलहटी में समुद्रतल से 3289 मीटर की ऊंचाई पर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित करोड़ों ङ्क्षहदुओं की आस्था का केंद्र मद्महेश्वर धाम भूस्खलन की चपेट में है। बीते वर्ष अगस्त में मलबा मंदिर परिसर में घुस गया था, जबकि इस वर्ष 10 जुलाई को हुए भू-कटाव से मलबा भारी मात्रा में मंदिर के अंदर भर गया। 

     

    मंदिर समिति के पदाधिकारियों व स्थानीय युवाओं ने जैसे-तैसे मलबे को हटाया। बाद में वन विभाग की टीम ने भी मौके पर जाकर निरीक्षण तो किया, लेकिन भू-कटाव रोकने को कोई उपाय नहीं किए गए। विदित हो कि यह पूरा क्षेत्र प्रतिबंधित वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जिस कारण यहां कोई भी निर्माण बिना पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की स्वीकृति के संभव नहीं है। 

    श्री बदरी-केदार मंदिर समिति के कार्याधिकारी अनिल शर्मा ने बताया कि मंदिर के पीछे लगातार भूस्खलन हो रहा है, इससे मंदिर को नुकसान पहुंच सकता है। इस संबंध में प्रशासन को अवगत करा दिया गया है। समिति की ओर से पूर्व में यहां सुरक्षा दीवार के निर्माण का प्रयास किया गया था, लेकिन वन विभाग ने निर्माण रोक दिया। प्रतिबंधों के चलते मंदिर समिति यहां पर्याप्त संख्या में शौचालयों का भी निर्माण नहीं करा पा रही है।

     

    उप प्रभागीय वनाधिकारी (केदारनाथ वन प्रभाग) शिव लाल का कहना है कि मद्महेश्वर मंदिर के पीछे लगातार भू-कटाव हो रहा है। इसे रोका जाना जरूरी है। कटाव की रोकथाम के लिए नियमानुसार जो भी होगा, किया जाएगा। इस संबंध में जिला प्रशासन से वार्ता की जा रही है।

     

    जिलाधिकारी (रुद्रप्रयाग) मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि यह सचमुच गंभीर विषय है। बारिश होने पर मलबा मंदिर में घुस रहा है, जिससे मंदिर को खतरा पैदा हो गया है। इस संबंध में मैंने केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ को वार्ता के लिए बुलाया है।

     

     

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