केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद
केदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8 बजकर 28 मिनट पर पूजा अर्चना के बाद विधि विधान से बंद कर दिए गए। वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट भी दोपहर सवा एक बजे बंद कर दिए गए।
रुद्रप्रयाग, [जेएनएन]: रुद्रप्रयाग जनपद स्थित केदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8 बजकर 28 मिनट पर पूजा अर्चना के बाद विधि विधान से बंद कर दिए गए। वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट भी दोपहर सवा एक बजे बंद कर दिए गए। केदारनाथ मंदिर को पांच कुंतल फूलों से सजाया गया है। कपाट बंद होने के साथ ही भोले बाबा की चल विग्रह डोली ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई। शीतकाल में आगामी छह माह तक बाबा भोले की पूजा ऊखीमठ में ही होगी।
सुबह करीब पांच बजे से वेदपाठियों, हक हकूकधारियों, पुजारियों की उपस्थिति मंदिर में विशेष पूजा शुरू की गई। गर्भगृह में पूजा के बाद पंचमुखी मूर्ति को उत्सव डोली में रखा गया। इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।
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कपाट बंदी के दौरान सेना के बैंड की धुन और श्रद्धालुओं के जयकारे से केदारपूरी गुंजायमान हो उठी। डोली को मंदिर की परिक्रमा कराई गई। मुख्यमंत्री हरीश रावत भी डोली पर कंधा लगाकर करीब सौ मीटर दूर तक चले। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती, सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, मंदिर के पुजारी शिवशंकर लिंग समेत 300 से अधिक श्रद्धालु मौजूद थे।
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बाबा की उत्सव डोली आज शाम रामपुर पहुंचेगी। कल गुप्तकाशी मंदिर में विश्राम करेगी। इसके बाद तीन नवंबर को ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में इसे विराजमान किया जाएगा। वहीं बाबा भोले की आगामी छह माह तक पूजा होगी।
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वहीं, उत्तरकाशी जनपद में स्थित यमुनोत्री धाम के कपाट आज दोपहर सवा एक बजे बंद कर दिए गए। यमुना की डोली मंदिर से बाहर निकलते ही पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। इसके बाद शनिदेव की अगुआई में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यमुना की डोली शीतकालीन प्रवास के लिए खरसाली रवाना हो गई। अब यमुना मां की पूजा आगामी छह माह तक खरसाली स्थित यमुना मंदिर में ही होगी।
छह माह के लिए बंद हुए बाबा केदार के कपाट, देखें तस्वीरें
गंगोत्री धाम के कपाट कल बंद हो चुके हैं। सुबह दस बजे चंदोमति मंदिर से मां गंगा की डोली मुखवा के लिए रवाना हुई। दोपहर करीब डेढ़ बजे यह मुखवा गांव पहुंची। यहां ग्रामीणों ने रीति रिवाजों के साथ मां गंगा की डोली का भव्य स्वागत किया। विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद गंगा जी की मूर्ति को गंगा मंदिर में स्थापित कर दिया गया। अब आगामी शीतकाल में यहीं मां गंगा की पूजा होगी। वहीं, आगामी 16 नवंबर को बदरीनाथ के कपाट बंद होंगे।
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